एसडीएम तथा एससीपी बल्लभगढ़ ने किया था दलालों को पकडऩे का दावा
दलालों से नहीं करवाया गया अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ सैटिंग का खुलासा
चपड़ासी से क्लर्क बने बैठे बाबु चला रहे हैं अधिकारियों को
मैट्रो प्लस
बल्लभगढ़, 8 अक्टूबर (महेश गुप्ता): शहर के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी सरकारी कार्यालयों से दलालों को पकडऩे व उन पर अंकुश लगाने का कितना ही दावा करें लेकिन वास्तविकता देखी जाए तो उनके इन दावों में दूर-दूर तक कहीं कोई सच्चाई नजर नहीं आती है। यह आखों-देखी वो कड़वी सच्चाई है जिससे आम जनता को हर रोज जुझना पड़ता है। यह हम ही नहीं बल्कि दु:खी मन से वो आम जनता भी कह रही है जोकि सरकारी कार्यालयों में बैठे दलालों के चंगुल में किसी ना किसी रूप में फंसी हुई है और उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं बल्लभगढ़ के एसडीएम कार्यालय के उस ई-दिशा केंद्र की, जोकि बनाया तो गया था आम जनता की सुविधा के लिए लेकिन वहां तो कब्जा हो चुका है उन दलालों का, जोकि वहां पब्लिक डीलिंग की सीटों पर बैठने वाले सरकारी बाबुओं को कमीशन के रूप में मोटी-मोटी रकम देते हैं जिसके बदले में उनका काम यहां बेरोक-टोक चलता है। इन दलालों के अनुसार कमीशन की उनकी यह रकम इन बाबुओं द्वारा ही अपने उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है जिसकी एवज में उन्हें इन सरकारी कार्यालयों में बे-खौफ काम करने दिया जाता है।
यहां यह बात भी काबिलेगौर रहे कि एक तरफ तो एसडीएम बल्लभगढ़ पार्थ गुप्ता अपने कार्यालय से तथा एससीपी बल्लभगढ़ अमन यादव शिकायत के आधार पर घरों में घुसकर दलालों को पकडऩे का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एसडीएम कार्यालय में पब्लिक डिलिंग की सरकारी सीटों पर अभी भी बैठे हुए दलाल उक्त अधिकारियों के इन दावों को झुठला कर उनका मुंह चिढ़ा रहे हैं।
ध्यान रहे कि अभी हाल ही में एसडीएम बल्लभगढ़ पार्थ गुप्ता ने अपने कार्यालय से कुछ दलाल पकडऩे का दावा कर अखबारों में खबरें छपवाकर वाह-वाही लूटी थी। लेकिन पकड़े गए इन दलालों पर उन्होंने क्या कार्यवाही की इसका आज तक किसी को कोई पता नहीं है। इस मामले में एसडीएम पार्थ गुप्ता से जब बात की गई तो उनका कहना था कि उन्होंने स्वयं द्वारा पकड़े गए दलालों को पुलिस के हवाले कर दिया था। इसके बाद उनका क्या हुआ, इसकी उन्हें फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।
वहीं दूसरी तरफ एससीपी बल्लभगढ़ अमन यादव ने पिछले दिनों इनसे अलग तीन दलालों को पकड़कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन उन दलालों की एसडीएम कार्यालय के किन-किन अधिकारियों/कर्मचारियों से सैटिंग थी इसका जवाब ना तो पुलिस के पास है और ना ही किसी और अधिकारी के पास। इसका खुलासा आज तक भी नहीं किया गया है।
एसडीएम कार्यालय के ई-दिशा केंद्र में फैले दलालों के इस साम्राज्य का आखों-देखा हाल जानने के लिए आम जनता की शिकायत पर शुक्रवार को जब इस संवाददाता ने दौरा किया तो नजारा वास्तव में देखने लायक था। इस संवाददाता को ई-दिशा केंद्र में मौके पर वहां ड्राईविंग लाईसैंस क्लर्क (डीएलसी) तथा गाडिय़ों के नंबर बनाने वाले संबंधित क्लर्क की पब्लिक डीलिंग वाली सीटों पर संबंधित क्लर्क की बजाए दो अलग-अलग दलाल बैठे नजर आए जोकि वहां उनकी सीटों पर बैठे पब्लिक डीलिंग के नाम पर अपना काम करते हुए लोगों को अपने चंगुल में फंसाने का काम कर रहे थे। इस सारे घटनाक्रम को हमारे संवाददाता ने अपने मोबाईल में कैद कर लिया जिसकी विडियो क्लीपिंग भी मैट्रो प्लस के पास मौजूद है। ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है कि एसडीएम महोदय को अपने कार्यालय में बैठे दलालों और वहां फैले भ्रष्ट्राचार की जानकारी नहीं है। जबकि एसडीएम कार्यालय के ई-दिशा केंद्र में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं। इस सबको देखते हुए लगता है कि दाल में कुछ काला ही नहीं अपितू पूरी दाल ही काली है। अगर ऐसा ना होता तो एसडीएम बल्लभगढ़ तथा एससीपी बल्लभगढ़ द्वारा पकड़े गए दलालों से कई राज खुलकर सामने आते, लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं।
गौरतलब रहे कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के नए-नए अधिकारियों के लिए ट्रेनिंग का सैंटर बन चुके बल्लभगढ़ सब-डिवीजन में आने वालों लोगों को इन नए अधिकारियों की अज्ञानता के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि ये नए-नए आईएएस अपनी अज्ञानता के चलते चपड़ासी से क्लर्क बने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से पूछकर ही अपना काम चलाते है और ज्यादातर इन पर ही निर्भर रहते हैं। शायद यहीं एक कारण भी है कि इनके कार्यालय में उनकी बजाए इनके अधीनस्थ कर्मचारियों और उनके दलालों का राज चलता है। आलम यह है कि एसडीएम कार्यालय में अब क्र्लर्कों की सीटों पर क्लर्क की बजाए उनके दलाल बैठे काम करते नजर आते हैं।