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वार्ड नंबर-14-रोनिका चौधरी को निगम चुनावों में हारता देख चौधरी ने चंदर भाटिया का सहारा

शायद अपने ही गढ़ में हार मान बैठे है पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे एसी चौधरी
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 06 जनवरी (नवीन गुप्ता): आखिर ऐसा क्या कारण रहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे ए.सी.चौधरी को निगम पार्षद का छोटा सा चुनाव लडऩे के लिए पहले तो अपनी पुत्रवधु रोनिका चौधरी को घर की चारदिवारी से बाहर निकाल चुनाव लडऩे के लिए मजबुर करना पड़ा और फिर अपनी हार नजर आती देख चुनावों में जीत हासिल करने के लिए अपने ही घूर विरोधी रहे पूर्व भाजपा विधायक चंदर भाटिया का सहारा लेना पड़ा। एनआईटी क्षेत्र में यह बात आजकल चर्चा का विषय बनी हुई है, खासकर वार्ड नंबर-14 के अंर्तगत एनएच-5 के घर-घर में। इससे लगता है कि चौधरी साहब को अब अपने पर भरोसा ही नहीं रहा है जो उन्हें अपने ही गढ़ में दूसरे नेताओं से मदद मांगनी पड़ रही है।
ध्यान रहे कि एक समय ऐसा था जब प्रदेश सरकार में दो-दो बार कैबिनेट मंत्री रहे ए.सी.चौधरी की चौखट से नगर निगम के पार्षद चुने व मनोनीत किए जाते थे। और आज वह समय आ गया है जब उन्हीं चौधरी साहब को अपनी पुत्रवधु को ही निगम पार्षद का छोटा सा चुनाव जिताने के लिए गली-गली घर-घर घूमना पड़ रहा है। आलम यह है कि अब उन्हें अपने ऊपर भी भरोसा नहीं रहा है कि अपने दम पर वो अपनी पुत्रवधु रोनिका चौधरी को चुनाव में जिता पाएंगें। इसलिए उन्होंने अपनी पुत्रवधु को जिताने के लिए क्षेत्र के एक पूर्व भाजपा विधायक चंदर भाटिया का सहारा लेना पड़ रहा है। चंदर भाटिया को अपने आगे कर चौधरी साहब को रोनिका के लिए लोगों से भीख की तरह एक-एक वोट मांगनी पड़ रही है।
मजेदार बात तो यह है कि ए.सी.चौधरी की पुत्रवधु को हराने के लिए कोई ओर नहीं बल्कि चौधरी साहब का दत्तक पुत्र कहे जाने वाला पूर्व पार्षद नरेश गोंसाई पूरे जोर-शोर से खड़े हैं जिनको कि कांग्रेस शासनकाल में एसी चौधरी ने ही निगम पार्षद का चुनाव हार जाने पर सरकार से निगम सदन में पार्षद मनोनीत करवाया था। ऐसे में अगर साम-दाम-दंड-भेद यानि किसी भी तरीके से रोनिका चौधरी चुनाव जीत जाती है तो चौधरी साहब की इज्जत बच सकती है। और यदि रोनिका नरेश गोंसाई से चुनाव हार जाती है तो चौधरी साहब की इस बुढ़ापे में मिट्टी खराब ही हुई समझो।
वैसे तो फिलहाल तक वार्ड-14 में भाजपा उम्मीदवार सरदार जसवंत सिंह की पोजिशन नम्बर-1 पर चल रही है और वो इस वार्ड के सिख बाहुल्य होने के कारण जीत के कगार पर है। लेकिन चौधरी साहब को फिर भी सबसे ज्यादा खतरा अपने दत्तक पुत्र कहे जाने वाले नरेश गोंसाई से बना हुआ है जिसको चुनाव हराने कि लिए ही शायद चौधरी साहब ने अपने पुत्र विनय चौधरी की बजाए अपनी पुत्रवधु रोनिका को चुनावी दंगल में उतारा है ताकि उनके महिला होने का फायदा उन्हें मिल सके। चौधरी साहब के निकटतम कहे जाने वाले लोगों का कहना है कि चौधरी साहब भाजपा उम्मीदवार से तो रोनिका की हार बर्दास्त कर सकते है, लेकिन अपने ही चेले रहे नरेश गोंसाई से वो चुनाव हार जाए वो उन्हें किसी कीमत पर गंवारा नहीं है।
ऐसा ही कुछ गोंसाई खेमे में भी चल रहा है। गोंसाई के निकटतम लोगों की मानी जाए तो वो पहली बात तो किसी भी कीमत पर ये चुनाव जितना चाहते है। लेकिन यदि किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाता है तो वो रोनिका चौधरी को किसी भी हालात में जीतता नहीं देख सकते, इसके लिए चाहे उन्हें अंतिम क्षणों में चुनाव में दूसरे नंबर पर चल रहे उम्मीदवार की ही मदद क्यों पा करनी पड़े।
अब देखना यह है कि इस निगम चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है।
-क्रमश:


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