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फरीदाबाद, 11 जनवरी (नवीन गुप्ता): वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के विवेकानंद मंच द्वारा स्वामी विवेकानंद की 154वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय युवा सम्मेलन-2017 आज प्रारंभ हो गया। स्वामी विवेकानंद जयंती को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में आयोजित किया जाता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर किया तथा स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। रामकिशन मिशन में सहायक सचिव स्वामी स्वसमवेद्यानंद तथा पुनरुत्थान विद्यापीठ, अहमदाबाद से दिलीप केलकर पहले दिन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे।
दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान निबंध लेखन, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी तथा पोस्टर मेकिंग जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विश्वविद्यालय के अलावा अन्य शिक्षण संस्थानों के प्रतिभागी भी हिस्सा ले रहे है।
इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने मुख्य वक्ताओं तथा प्रतिभागियों का अभिनंदन किया तथा स्वामी विवेकानंद के जीवन और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं युवाओं के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेगी। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानंद के उपदेशों को आत्मसात करने तथा राष्ट्र विकास में योगदान देने का आह्वान किया।
उद्वघाटन सत्र को संबोधित करते हुए स्वामी स्वसमवेद्यानंद ने स्वामी विवेकानंद के जीवन और आदर्शों के बारे में वक्तव्य प्रस्तुत किया तथा स्वामी विवेकानंद के जीवन प्रसंगों के माध्यम से उनके महान एवं प्रेरणादायी नेतृत्व गुणों के बारे में बताया। उन्होंने युवाओं को जीवन की चुनौतियों का सामना करने की अपनी क्षमताओं को पहचानने तथा विजेता बनाने का मंत्र दिया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए दिलीप केलकर ने ‘भारतीय जीवन दृष्टिÓ पर अपने विचार रखे तथा प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली को विश्व की सबसे पुरानी एवं उपयुक्त शिक्षा प्रणाली बताया। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को पुनरुत्थान की आवश्यकता है, जिसके लिए शिक्षण संस्थानों को उपयुक्त माहौल तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यक्तित्व क्षमता पर निर्भर करती है और व्यक्तित्व विकास का माध्यम बनती है। इसलिए, शिक्षा व्यवस्था में संभावित क्षमताओं के अनुरूप व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि तंत्र ज्ञान के साथ अध्यात्मिक ज्ञान का होना भी जरूरी है। इसलिए, तंत्र ज्ञान को व्यवहारिक बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने भारतीय जीवन दर्शन पर अपने वक्तव्य रखा।
कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने स्वामी स्वसमवेद्यानंद तथा दिलीप केलकर को यादगार स्वरूप स्मृति चिन्ह भेंट किया।
कार्यक्रम का समन्वयन निदेशक युवा कल्याण डॉ० प्रदीप कुमार डिमरी तथा अध्यक्ष, सांस्कृतिक मामले डॉ० सोनिया ने किया।