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फरीदाबाद, 16 जनवरी (नवीन गुप्ता): निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को कारोबार आसान बनाना होगा। नीति आयोग के सीओओ अमिताभ कांत ने आईआईसी नई दिल्ली में सिटीजन सेंटर फॉर गवर्नेंस द्वारा आयोजित मेक इन इंडिया लेक्चर में यह कहा। यदि भारत को अन्य अर्थव्यवस्थाओं से आगे बढऩा है तो ईडीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण में राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद होना आवश्यक है। राष्ट्र को डिजीटल बनाने के लिए सेवाओं, प्रक्रियाओं और प्रणालियों के एकीकरण और विभागों को साइलो से बाहर आने की जरूरत है। विश्व स्तर निर्माण के लिए हम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक हिस्सा होने की जरूरत है। 2016 में दुनिया भर में जहां एफडीआई में 16 प्रतिशत पतन हुआ है वही भारत में 60 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इससे प्रौद्योगिकी पर दबाव पड़ता है। 84 प्रतिशत रोजगार एमएसएमई प्रदान करते हैं जबकि चीन में 79 प्रतिशत उत्पादन बड़ी कंपनियों से आता है ।
हमें शहरीकरण की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। हर मिनट में 30 भारतीय ग्राम से शहर आते हैं क्योंकि शहर ही रोजगार के अवसर, नवाचार, 80 प्रतिशत जीडीपी, 90 प्रतिशत रोजगार और साथ ही 72 प्रतिशत कार्बनडाइआक्साइड उत्सर्जन करते हैं।
पूछे जाने पर अमिताभ कांत ने कहा कि पुरानी पड़ चुकी श्रम कानून की विशाल सेट कुंजी मेक इन इंडिया में एक बाधा है। देश के कानून पूर्वकथनीय और कर नीति अविरोधी होने चाहिए। हम रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स संरचना नहीं कर सकते हैं। 18वीं सदी के पुराने कानूनों को रद्द करने की जरूरत है।
अगर हम ऊर्जावान युवा भारत का लाभ लेना चाहते हैं, हमारी शिक्षा प्रणाली व्यावहारिक होनी चाहिए। पोषण और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का 40/45 प्रतिशत बोझ उद्यमियों पर है और इसे कम किया जाना चाहिए। ईएसआई और ईपीएफओ सबसे अक्षम सेवा प्रदाता हैं क्योंकि इन एजेंसियों को किसी भी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता।
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा ने कहा कि यदि सरकार उद्योग में पारदर्शी और डिजिटल कार्य बल और भुगतान प्रणाली चाहती है तो नियोक्ता का योगदान जो वर्तमान में 40/42 प्रतिशत है, उसे आधा करने की जरूरत है। सभी उपकर जोड़कर व्यक्तिगत कराधान 20 प्रतिशत और कंपनियों का 25 प्रतिशत पर बंद किया जाये। प्रतिनिधि सुझाव को एपेक्स मंडलों द्वारा आगामी बजट में शामिल करने के लिए माननीय वित्त मंत्री के पास भेज दिया गया है।
इस कार्यक्रम में पूर्व सीएमडी एनएसआईसी डॉ० एचपी कुमार, एनएसआईसी के निदेशक पी उदय कुमार, डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा, आरपीएफसी फरीदाबाद कुमार रोहित, आईएमएसएमई के अध्यक्ष राजीव चावला की उपस्थिति प्रधान रही। सत्र की अध्यक्षता पूर्व कैबिनेट सचिव प्रभात कुमार, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने की।