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फरीदाबाद,19 जनवरी (जस्प्रीत कौर): बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के महत्व को लेकर जागरूकता लाने के उद्देश्य से वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा ‘बौद्धिक संपदा और पेटेंट विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के आईपीआर प्रकोष्ठ एवं कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
कार्यशाला का उद्वघाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम के विशेषज्ञ वक्ता उद्यमी तथा इफेक्चुवल सर्विसेज, दिल्ली व नोएडा के निर्देशक डॉ० अमित गोयल थे।
उद्वघाटन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की बढ़ती प्रासंगिकता को देखते हुए इसकी भूमिका को पहचान देने की आश्यकता है और इस संबंध में बढ़े स्तर पर जागरूकता लाना भी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बौद्धिक संपदा को लेकर जागरूकता एवं सुरक्षा प्रदान करने के दृष्टिगत विश्वविद्यालय द्वारा संकायाध्यक्ष, मानविकी एवं विज्ञान, डॉ० राज कुमार की अध्यक्षता में एक आईपीआर प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। कार्यक्रम का संचालन डॉ० पारूल तोमर ने किया।
उद्वघाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ० अमित गोयल ने देश में बौद्धिक संपदा की स्थिति पर प्रकाश डाला, जिसमें उन्होंने बौद्धिक संपदा के महत्व, प्रकार तथा पंजीकरण प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने विश्वविद्यालय व विद्यार्थियों के संदर्भ में बौद्धिक संपदा तथा पेटेंट के महत्व पर विशेष रूप से व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संकायाध्यक्ष, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग डॉ० सीके नागपाल ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा आईपीआर प्रकोष्ठ का गठन संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों को बौद्धिक संपदा के महत्व को लेकर जागरूकता बनाने के उद्देश्य से किया गया है। इससे शोधकत्र्ताओं को उनकी बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रबंधन एवं इसके वाणिज्यिक पहलुओं में दृष्टिगत लाभ होगा। उन्होंने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य शोधकत्र्ताओं को उनके द्वारा किये जाने वाले अनुसंधान एवं अन्य कार्यों में पायरेसी की समस्या को रोकने के प्रति जागरूक बनाना है।
कार्यशाला के दौरान बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व के साथ-साथ इनकी सुरक्षा, पेटेंट प्रक्रिया, पेटेेंट के बारे में जानकारी, पेटेंट की खोज, ट्रेडमार्क तथा कॉपीराइट संरक्षण, नवीन खोजों में शिक्षा-उद्यम सहयोग की भूमिका, प्रकाशन एवं पेटेंट के संबंध में शोधकत्र्ताओं द्वारा क्या-क्या ध्यान रखा जाये संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। कार्यशाला के समापन पर प्रो० राज कुमार ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद किया।
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