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मोदी सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बड़ी गड़बड़

मैट्रो प्लस से महेश गुप्ता की रिपोर्ट
नई दिल्ली/फरीदाबाद,15जून: केंद्र सरकार ने देश के कई शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत फिर से नया रूप देने का फैसला लिया है। इसके लिए देश के कई शहरों का चयन किया गया है। लेकिन सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत शहरों के लिए जो बजट आवंटित किया गया है उसके खर्च का जो आंकड़ा सामने आया है। वह कई सवाल खड़ा करता है। इस प्रोजेक्ट के तहत जो पैसा खर्च किया जाएगा वह शहर के महज 2.7 फीसदी क्षेत्र के ऊपर खर्च किया जाएगा।
इस अवसर पर 59 शहरों का चयन 40 का बाकी केंद्र सरकार ने कई शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विकास करने का ऐलान दिया है। जिसमें से 40 शहरों के नाम की अभी घोषणा होनी बाकी है। जिन 59 शहरों को इस प्रोजेक्ट के तहत चुना गया है उसका आंकड़ा यह बताता है कि पहले चरण में शहर के बहुत ही छोटे हिस्से का विकास किया जाएगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 59 शहरों पर कुल 1.31 लाख करोड़ रुपए का खर्च किया जाएगा।
इन क्षेत्रों में किया जाएगा विकास वर्ष 2015-2020 के बीच शहरों पर खर्च होने वाले 1.05 लाख करोड़ रुपए को एरिया बेस्ट डेवेलेपमेंट के आधार पर खर्च किया जाएगा। जिन शहरों को चुना गया है उनके एक चुनिंदा हिस्से को स्मार्ट बनाया जाएगा। जिसमें मुख्य रूप से आईटी और मूलभूत ढांचों पर ध्यान दिया जाएगा। यहां वाई-फाई, हॉटस्पॉट सेंसर बेस पब्लिक लाइट सड़कों का फिर से निर्माण इस जोन में स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही मल्टी मोडल ट्रांजिट प्वाइंट्स बनाए जाएंगे।
59 शहरों के सिर्फ 2.7 फीसदी क्षेत्र का विकास इस प्रोजेक्ट में कुछ अन्य निवेश भी प्रस्तावित है। जिसमें मुख्य रूप से पैन सिटी प्रोजेक्ट शामिल है। इसके तहत पूरे शहर को इसमें शामिल किया जाएगा। इसके लिए सिर्फ 26141 करोड़ रुपए का ही बजट प्रस्तावित है। 59 शहरों में स्मार्ट सिटी के तहत शहरों के कुल 249 वर्गकिलोमीटर के क्षेत्र को ही शामिल किया गया है। जिसका विकास किया जाना है और यह महज 2.7 फीसदी क्षेत्रफल ही है। 2011 के जनगणना के आंकड़ों को देखें तो इन 59 शहरों का कुल क्षेत्रफल 9065 वर्गकिलोमीटर है।


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