मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 3 नवंबर: यदि एमबीए व एमसीए उत्तीर्ण युवा एक औद्योगिक संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें अपनी व्यक्तिगत उत्कृष्टता को टीम वर्क और कंपनी के लक्ष्य को अपनाना होगा। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा ने डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमैंट द्वारा आयोजित फैकल्टी डेवलपमैंट प्रोग्राम में यह उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि हम निजी से सामूहिक और व्यक्तिगत से संस्थान के लक्ष्यों की ओर बढें।
श्री मल्होत्रा ने जापानी मैन्यूफैक्चरिंग तकनीक मोनोजुकारी के सबंध में जानकारी देते बताया कि इस सबंध में 7 एम फ्रेम की जानकारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि लाभ के लिए पर फैक्ट क्वालिटी पर कार्य और वेस्टेज को शून्य करने के साथ-साथ 5 एस, जेआईटी, काईजन और क्यूसीडी और उपभोक्ता संतुष्टि पर ध्यान जरूरी है क्योंकि इसी से भारतीय एमएसएमई सैक्टर की स्थिर ग्रोथ संभव है।
भगवान श्री गणेश का उदाहरण देते श्री मल्होत्रा ने कहा कि अच्छा सुनने वाला बनना, आलोचना को स्वीकार करना, दूसरों के कार्यो को मान्यता देना, आत्म सम्मान के लिए कार्य, विनम्र रहना और समय के साथ स्वयं को अपडेट रखना सभी के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य की पूर्ति, मेहनत और समर्पण से सफलता और प्रसिद्वि दोनों मिलते हैं। उन्होंने कहा कि गाय अपने लिए दूध नहीं देती।
श्री मल्होत्रा ने कहा कि हमें अपने भीतर साकारात्मक विचारधारा को लाना होगा और हार से नहीं डरना होगा। उन्होंने कहा कि टीम भावना से प्रत्येक व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। श्री मल्होत्रा ने कहा कि कर्मचारियों को सीखने के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि उनमें स्किल डेवलपमैंट की भावना बढ़ सके। श्री मल्होत्रा ने फिनीशिएटिव, सर्विट्यूड और सौर के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक किया जिसके अनुसार कार्य को समाप्त करने उपरांत इसका श्रेय देना, गर्व के साथ सेवा देना और स्विच ऑफ व रिचार्ज को बढ़ावा देना शामिल है।
श्री मल्होत्रा ने डॉ० नीलम गुलाटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के लिए नया ज्ञान और उन्हें वर्तमान परिवेश के अनुरूप तैयार करने के लिए आयोजन निश्चित रूप से सराहनीय है। श्री प्रमोद बत्तरा के संबोधन पर श्री मल्होत्रा ने कहा कि ‘चलता है की भावना को समाप्त करना होगा और केएफपी (क्या फर्क पड़ता है) को बीएफपी (बहुत फर्क पड़ता है) में बदलना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे भीतर विश्वास, भरोसा और उम्मीद होनी चाहिए जो निश्चित रूप से हमें सफलता की ओर अग्रसर करती है। उपराष्ट्रपति वैकेंटानायडु के विचारों को सांझा करते श्री मल्होत्रा ने कहा कि रिफोर्म, प्रफोर्म, ट्रांसफोर्म और इन्फार्म आज देश की जरूरत है।
इससे पूर्व डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमैंट की प्रिंसीपल डॉ० नीलम गुलाटी ने श्री मल्होत्रा का स्वागत करते उपस्थितजनोंं से उनका परिचय कराया। डॉ० गुलाटी ने बताया कि फैकल्टी डेवलपमैंट प्रोग्राम का उद्वेश्य फैकल्टी और विद्यार्थियों के बीच इस तथ्य को लाना है कि वास्तव में वे एक दूसरे से क्या चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान और दक्षता के बीच एक सेतु बनाने का कार्य किया जा रहा है और यह हर्ष का विषय है कि श्री मल्होत्रा जैसे औद्योगिक लीडर ने विद्यार्थियों के बीच आकर उन्हें नए परिवेश के अनुरूप जानकारी प्रदान करने की सहमति दी।
डॉ० मीरा वधवा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर संस्थान की ओर से डॉ० नीलम गुलाटी, डॉ० मीरा वधवा व सरिता कौशिक द्वारा मल्होत्रा को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। 175 से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए जबकि कार्यक्रम दो घंटे से अधिक समय तक चला।