Metro Plus News
फरीदाबादहरियाणा

मिर्गी के समय भी महिलाएं मां बन सकती है: डॉ० रोहित गुप्ता

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 27 दिसंबर: औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में मिर्गी रोग तेजी से बढ़ रहा है। यह बीमारी पुरुष और महिला दोनों को होती है। लेकिन अगर गर्भावस्था में यह दिक्कत हो जाए तो महिला और बच्चा दोनों की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए मिर्गी रोग में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। समय पर डॉक्टरी सलाह लेना जरुरी है। यह कहना है सैक्टर-16 स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ० रोहित गुप्ता का।
डॉ० रोहित गुप्ता ने बताया कि मिर्गी रोग महिलाओं को दो तरह से प्रभावित करता है। पहला ऐसी महिलाएं जो गर्भधारण से पहले ही मिर्गी रोग से पीडि़त हैं। दूसरी वह जिनमें गर्भधारण के बाद इसके दौरे आते हैं। दोनों स्थितियों में सावधानी बरतकर और फॉलिक एसिड डाइट लेकर महिला स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। उन्होंने कहा कि मिर्गी के दौरों का कारण प्रेग्नेंसी में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, नींद में कमी, मानसिक तनाव व दवाओं से मेटाबॉलिज्म में बदलाव और ब्लड में मिर्गी की दवाई की मात्रा का कम होना आदि है। इससे गर्भपात, प्रसव पूर्व दौरे, समय से पहले डिलीवरी, प्रसव में जटिलता और दौरे के कारण बेहोशी आदि समस्याएं हो सकती है। इसके अलावा बच्चे को भी नुकसान होने की संभावना रहती है, जैसे प्रीमेच्योर बच्चा होना, कम वजन, ऑक्सीजन की कमी से बच्चे की हार्ट रेट कम होना, गर्भ में चोट लगने व शारीरिक विकृतियों की आशंका रहती है
पहले से प्रेग्नेंसी प्लान करें
डॉ गुप्ता ने बताया कि ऐसे मामलों में यह जरूरी है कि गर्भधारण का प्रयास करने से पहले ही आप अपने न्यूरोलॉजिस्ट से बात करें और उनसे राय लें ताकि डॉक्टर यह मूल्यांकन कर सके कि आप अपनी बीमारी को सही तरीके से नियंत्रित कर पा रही हैं या नहीं और क्या गर्भधारण करने से पहले आपके ट्रीटमेंट में किसी तरह के बदलाव की जरूरत है। सबसे जरूरी बात यह है कि आप दौरे को नियंत्रित रखने वाली अपनी सभी दवाएं नियमित रूप से उतनी ही मात्रा में खाती रहें।
दौरे का देखें असर
डॉ गुप्ता ने कहा कि देखने में आया है कि कुछ गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के उपचार की दवाएं लेते रहने के बावजूद दौरे पड़ते हैं। जो उनके साथ-साथ उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन अगर इस स्थिति को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए, तो खतरा ना के बराबर रह जाता है। कुछ मामलों में अपरिपक्व प्रसूति या प्रीमैच्योर बर्थ निर्धारित समय से पहले जन्म भी हो सकता है। इसलिए अगर गर्भावस्था के दौरान दौरा पड़ता है, तो गर्भवती महिलाएं शीघ्र ही अपनी गाइनोकोलॉजिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट को इसकी जानकारी दें।


Related posts

सरस्वती शिशु सदन में बच्चों ने लिया स्वच्छ भारत अभियान में अपनी पूरी भागीदारी निभाने का संकल्प

Metro Plus

71वें निरंकारी संत समागम स्थल पर निरंकारी प्रदर्शनी का उद्वघाटन

Metro Plus

खेतों से लेकर CM की कुर्सी तक कैसे पहुंचे मनोहर लाल, पैराशुट से या फिर संघर्षों से?

Metro Plus