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फरीदाबाद

गुरू गोबिंद सिंह महाराज का 351वां प्रकाश गुरूपर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 5 जनवरी : गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा प्रबंधक कमेटी एनएच-5 द्वारा दसम पिता खालसा पंथ के सृजनहार गुरु गोबिन्द सिंह महाराज का 351वां प्रकाश गुरुपर्व, ‘नवा साल गुरू दे नाल’0 हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। विधिवत रूप से सर्वप्रथम प्रकाश गुरू पर्व के उपलक्ष्य में रखे श्री अखंड पाठ साहिब का सभी संगतों के बीच भोग हुआ। इसके अलावा मुख्य ग्रंथी ने सबकी भलाई की अरदास करी। प्रबंधक कमेटी के प्रधान ने उपस्थित संगतों व शहरवासियों को गुरू पर्व की लख-लख बधाई दी। इसके उपरांत स्त्री सत्संग की बीबीयों ने कीर्तन सत्संग व गुरू के शब्दों के माध्यम सभी संगतों को मंत्रमुग्ध किया। इसके अलावा स्कूल के बच्चों ने शब्दों के माध्यम से अपनी मनमोहक प्रस्तुति देकर संगतों को भाव विभोर किया।
इस अवसर पर गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा एनएच.-5 से एक विशाल नगर कीर्तन निकाला गया जोकि पूरे एनआईटी क्षेत्र में से होकर गुजरा। इस नगर कीर्तन में विभिन्न गुरूदारों के अखाड़ों के बड़े व बच्चों ने रोमांचक तरीके से गतका खेल कर अपनी कला का प्रदर्शन किया। नगर कीर्तन के अंत में पंच प्यारे और गुरू ग्रंथ साहिब की पालकी चल रही थी जिसके पीछे साध संगत कीर्तन वाणी करते हुए चल रहे थे। जबकि उनके आगे-आगे बलजीत कौर उर्फ विम्पी, मुस्कान आदि सेवक जत्था झाडू सेवा करता चल रहा था और भाजपा नेत्री संदीप कौर फूल बिछा रही थी।
नगर कीर्तन के स्वागत के लिए पूरे एनआईटी क्षेत्र में जहां जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए थे वहीं विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के स्टॉल लगाकर नगर कीर्तन में शामिल लोगों का प्रसाद वितरित किया जा रहा था।
गुरूद्वारे में स्थानीय रागी ने संगतों के बीच खालसा पंथ के सृजनहार गुरू गोबिंद सिंह महाराज जी का इतिहास संगीत के माध्यम से विस्तार से बताते हुए कहा कि मुगलों का क्रूर शासन था। आमजन दु:खी था। लोग अपने आपको असुरक्षित, असहाय समझते थे। अपनी रक्षा के लिए लोगों का प्रतिनिधिमंडल हिंद की चादर गुरू पिता तेग बहादुर जी से मिला। उस समय आप (गुरू गोबिंद सिंह) अल्पायु में थे। पटना साहिब जी में आपका आगमन हुआ। नाशवान संसार में आपने बहुत कम समय व्यतीत किया। प्रांरभ से ही पिता जी से पे्ररणा लेते रहते थे। जुल्मों के खिलाफ लड़ते हुए पिता गुरू तेग बहादुर जी की शहादत के बाद धर्म की रक्षा के लिए आपको तैयार किया गया जो एक ऊंची सोच का प्रतीक था। निर्बल व कमजोर हो चुके लोगों को तैयार किया, ताकि वे अपने ऊपर होने वाले जुल्मों को रोक सके। श्री आनंदपुर साहिब बैसाखी वाले दिन एक समागम के बाद खालसा पंथ की सृजना की, ताकि अपनी व धर्म की रक्षा कर सके और इनका नेतृत्व भी आपने स्वयं संभाला और खालसा पंथ को मान सम्मान दिया। आपके द्वारा बनाई सिंहों की सेना जो एक अल्प संख्या में थी। इसी सेना ने मुगलों की धज्जियां उड़ानी प्रारंभ कर दी और मुगली सेना में भगदड़ मच गई। आनंदपुर साहिब छोडऩे के बाद आप चमकौर की घड़ी में आए। मुगली सेना आपका पीछा कर रही थी। आपने वाणी द्वारा जन-साधारण को सच्चे मार्ग पर चलना सिखाया व जातीय भेदभाव को समाप्त करवाकर सबको समानता का दर्जा दिलाया। ऐसे महान सख्सियत के सामने पूरा संसार नतमस्तक होता है। आज उनके प्रकाश गुरू पर्व पर हमें पे्ररणा लेते हुए सच्चे मार्ग पर चलने का प्रण लेना चाहिए। गुरू घर से जुड़ी साध संगतों ने गुरूद्वारा के बाहर आम जनता के लिए लंगर की व्यवस्था की।
इसके अलावा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने आए हुए रागियों व बच्चों को सरोपा भेंट किया। कार्यक्रम के उपरांत सबकी भलाई के लिए अरदास की गई व संगतों के बीच गुरू का अटूट लंगर बरताया गया।
इस अवसर पर गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा प्रबंधक कमेटी एनएच.-5 के प्रधान आदि सिख समुदाय के लोग विशेष तौर पर मौजूद रहे।  

 

 


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