दो शताब्दी तक परतंत्रता की यातनाएं भोगते रहने और अनेक प्रकार के त्याग और बलिदान करने के बाद कहीं जाकर भारत देश स्वतंत्र हुआ था: बिमला वर्मा
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 25 जनवरी: सैक्टर-28 स्थित डायनेस्टी इंटरनेशनल विद्यालय में गणतंत्र दिवस का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। सर्वप्रथम विद्यालय की प्रधानाचार्या बिमला वर्मा ने ध्वजारोहण कर राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर छात्रों ने अनेक प्रकार के देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। छात्रों ने ईशवंदना कर अपने देश की उन्नति व प्रगति की भगवान से प्रार्थना की। कई छात्रों ने देशभक्ति से पूर्ण एकल प्रस्तुति के द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अनेक छात्रों ने अपने विचारों को भाषण में पिरोकर गणतंत्र दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला। छात्रों ने सुंदर वेशभूषा में समूह गान द्वारा अपनी विविध संस्कृति को प्रकट किया। अंग्रेजी अत्याचार व देशभक्तों के बलिदान से भरपूर नाटिका ने छात्रों को ओज से भर दिया। साथ ही छात्रों ने नृत्य प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस मौके पर विद्यालय की प्रधानाचार्या बिमला वर्मा ने कहा कि 26 जनवरी के दिन मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवस सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण पर्व है। उन्होंने बताया कि हमारा देश 15 अगस्त के दिन लगभग दो शताब्दी तक परतंत्रता की यातनाएं भोगते रहने और अनेक प्रकार के त्याग और बलिदान करने के बाद कहीं जाकर भारत देश स्वतंत्र हुआ था। परतंत्र भारत में विदेशी, ब्रिटिश शासन द्वारा अपने स्वार्थ साधने के लिए बनाया गया संविधान ही चलाया करते थे। उस शोषक और प्रर्पोडक मनोवृत्ति वाले संविधान के बल पर ही अंग्रेज यहां राज-काज चलाया करते थे। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों की गठित समिति द्वारा बड़े परिश्रम से स्वतंत्र भारत का अपना और नया संविधान तैयार किया गया। वह संविधान जो वास्तव में 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस जैसा पावन राष्ट्रीय पर्व मनाने का मूल कारण है।
इस मौके पर विद्यालय के डॉयरेक्टर डॉ०सुमित वर्मा ने कहा कि स्वतंत्र भारत का अपना संविधान 26 जनवरी, 1950 के दिन लागू किया गया। गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भारत तथा भारत के बाहर प्रत्येक उस स्थान पर मनाया जाता है जहां पर भारतीय मूल का एक भी व्यक्ति निवास कर रहा है। पर एक तो दिल्ली के राजधानी होने और दूसरे राष्ट्रपति का निवास यहीं पर होने के कारण केंद्रीय स्तर पर यह पर्व नई दिल्ली में मनाया जाता है।
इसके पश्चात अंत में छोटे-छोटे बच्चों द्वारा हाथ में तिरंगा लिए व आसमान में गुब्बारे उड़ाकर कार्यक्रम का समापन किया गया।