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DLF Industries Association ने मोदी की MSME Industries में प्लांट व मशीनरी के लिये निवेश तथा वार्षिक टर्नओवर की सीमा में बढ़ोतरी का स्वागत किया

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 27 फरवरी: डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय कैबिनेट द्वारा MSME उद्योगों के लिये प्लांट व मशीनरी के लिये निवेश तथा वार्षिक टर्नओवर की सीमा में बढ़ोतरी का स्वागत करते कहा है कि यह निश्चित रूप से सरकार की ईज आफ डुईंग बिजनेस नीति के अनुरूप एमएसएमई सैक्टर को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध होगा।
एमएसएमई सैक्टर के लिये केंद्र सरकार ने 5 करोड़ रूपये की वार्षिक टर्नओवर को माइक्रो 5 से 75 करोड़ रूपये को स्माल व 250 करोड़ तक की टर्नओवर को मीडियम कैटगिरी में शामिल करने का निर्णय लिया है।
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जे.पी. मल्होत्रा के अनुसार सरकार की यह नीति जहां एमएसएमई सैक्टर के लिये काफी प्रभावी सिद्ध होगी वहीं इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
श्री मल्होत्रा ने एमएसएमई सैक्टर की भारतीय अर्थव्यवस्था में भागीदारी पर विचार व्यक्त करते कहा है कि देश की जीडीपी में 30 फीसदी और भारत की कुल मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट में 28 लाख करोड़ के रूप में 45 प्रतिशत भागीदारी तथा पिछले पांच वर्षों में 4.5 फीसदी की ग्रोथ उपरांत यह क्षेत्र रोजगार व राजस्व में एक बड़ा योगदान दे रहा है। श्री मल्होत्रा ने कहा कि एमएसएमई सैक्टर वर्तमान में दक्ष श्रमशक्ति और सुदृढ़ वर्क फोस की इस कमी का सामना कर रहा है परंतु इस क्षेत्र ने अपनी चुनौतियों से लड़ते हुए अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी भागीदारी को बनाए रखा।
श्री मल्होत्रा ने एमएसएमई मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते कहा है कि 2017 में 60 मिलियन ईकाईयां कार्यरत हैं जिनमें से अधिकतर प्रोपराईटरशिप अथवा व्यक्तिगत हैं। यही नहीं इन ईकाईयों में 20 मिलियन लोग कार्यरत हैं और बैंकिंग तथा गैर-बैंकिंग स्त्रोतों से इस क्षेत्र में काफी निवेश जारी है। श्री मल्होत्रा ने बताया कि जीएसटी प्रक्रिया में आने उपरांत एमएसएमई ईकाईयों के समक्ष कैपीटल की कमी संबंधी समस्या बढ़ी हैं और उन्हें जब बड़े उद्योगों के समान मान लिया जाता है तो प्रोत्साहन मिलने कम हो जाते हैं।
श्री मल्होत्रा ने डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से बैंकिंग व वित्तीय संस्थानों से भी आग्रह किया है कि वे एमएसएमई सैक्टर के लिये वर्किंग कैपीटल लिमिट बढ़ाएं और इसमें कम से कम 20 फीसदी बढ़ोतरी की जाए। उन्होंने कहा है कि इससे जहां एमएसएमई सैक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं वित्त संबंधी समस्या को स्थाई समाधान हो सकेगा जो कि समय की मांग है।

 

MSMEs thank PM Modi: JP Malhotra

Report By Rtn. Naveen Gupta from the Desk of Metro Plus 

Faridabad, 26 February: DLF Industries Association wish to Prime Minister Narender Modi  & the Union cabinet for approving the change in criteria for classifying MSMEs from ‘investment in plant & machinery’ to ‘annual turnover’. With this, enterprises with up to Rs 5 crore annual turnover will be under the ‘Micro’ category, Rs 5 crore to Rs 75 crore will be classified as ‘Small’ enterprises, and above that till Rs 250 crore will be ‘Medium’ enterprises. According to Mr. JP Malhotra President DLF Industries Association, the move will encourage ease of doing business, make the norms of classification growth oriented and align MSMEs to the new tax regime revolving around GST. 

Mr. JP Malhotra said that the MSME sector, consisting of 60 million enterprises, contributes 30 percent to India’s GDP, 45 percent or Rs 28 lakh crore to India’s total manufacturing output and 40 percent to the country’s exports. Yet, MSMEs have grown at just about 4.5 percent in the past five years, affected by issues related to financing and inadequate infrastructure. Most of the sector’s woes are on the financial front-the lack of adequate capital due to complex collaterals needed to get term loans, a high corporate tax rate, difficulties in obtaining private equity funding, delay in fund disbursement, poor infrastructure facilities, and access to markets. MSMEs also face lack of a skilled and efficient workforce and complex and rigid labour laws &  high social cost burden due to ESI PF etc.

As per the ministry for MSMEs, there were 60 million such units in 2017, mostly owned by individual proprietors, employing around 120 million workforce Most of these units being outside the formal banking system borrow capital from informal sources or use their own limited funds. In addition to the general shrinking of demand, MSMEs are facing a shortage of capital as funds are getting locked in the GST regime.

We at DLF Industries Association demand that the government should, as an interim measure, instruct & ensure banks to enhance working capital limit by at least 20 percent adding that, This would help MSMEs tide over the capital shortage in the short term. This is sure to ease out some of financial problem & put MSMEs back on growth trajectory – hopes Mr. J.P. Malhotra.


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