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दलित उपद्रवियों ने तलवारें लहराकर किया फरीदाबाद में गुंडागर्दी का नंगा नाच: कई पुलिसकर्मी घायल

खुली दुकान हमारी, बंद दुकान तुम्हारी और जय भीम के नारों से दलित उपद्रवियों ने मचाया जमकर आतंक
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 2 अप्रैल: शांतिप्रिय शहर फरीदाबाद को दलित उपद्रवी धूं-धूं कर जला रहे थे और पुलिस मुकदर्शक बने सब देख रही थी। दलित उपद्रवियों ने लाठी, बल्लम, तलवारें आदि लहराकर गुंडागर्दी का जो नंगा नाच आज फरीदाबाद शहर में किया उसने पुलिस व्यवस्था की धज्जियां उड़ाकर रख दी। पूरा देेेश दलित उपद्रवियों की गुंडागर्दी से परेशान था। कहीं गाडिय़ों में आग लगाई जा रही थी तो कहीं रेल रोककर उस पर पथराव किया जा रहा था।शहर में खुली दुकान हमारी, बंद दुकान तुम्हारी के नारों से जबरन उपद्रवियों द्वारा मार्किटों को बंद करवाया जा रहा था। लोगों ने दुकानों में तोडफ़ोड़ होने व लूटने के डर से अपनी-अपनी दुकानें ही बंद कर दी। शहर की ज्यादातर मार्किट बंद रही जिनमें एनआईटी की एन.एच.-5 तथा एन.एच.-1 की मुख्य मार्किट भी शामिल थी। ये मार्किट पूरी तरह से वीरान नजर आ रही थीं। लोगों में इन दलित उपद्रवियों का इतना आतंक बना हुआ था कि वो किसी भी कीमत पर दुकान खोलने को तैयार नहीं थे। बच्चे, बुढ़े, औरतें सभी को उपद्रवियों के कहर का शिकार होकर भय के साये में जीना पड़ रहा था।

शहर के ज्यादातर व्यस्ततम रास्तों व चौराहों को दलित उपद्रवियों ने अपनी गुंडागर्दी से बंद कर दिया था चाहे वह अजरौंदा चौक या बाटा चौक। हर जगह जय भीम के नारों के साथ दलित उपद्रवी तांडव मचा लोगों को भयभीत करने में लगे थे। यहां तक कि इन्होंने शहर के दो अलग-अलग मॉल्स में घुसकर जमकर उत्पात मचाया और गाडिय़ों को तोड़ा।

राम रहीम और जाट आंदोलन के दौरान फरीदाबाद शहर जितना शांत रहा आज उतना ही अशांत था। कारण था दलितों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ अपील करने की बजाए बगावत करना। शहर में खुलेआम यह सब उपद्रव हो रहा था और पुलिस मुकदर्शक बने सब देख रही थी। शहर में आज जो उपद्रव दलित समाज के लोगों ने किया उसने पुलिस व्यवस्था की धज्जियां उड़ाकर रख दी।
करीब 6-7 घंटे चले इतने बड़े उपद्रव के बाद पुलिस की नींद तब खुली जब इन उपद्रवियों के शिकार आम जनता के साथ-साथ पुलिसकर्मी स्वयं भी होने लगे। उपद्रवियों ने मस्जिद चौक तथा बाटा चौक पर पुलिसकर्मियों पर हमला कर कईयों को घायल कर दिया। इसके बाद तो पुलिसकर्मियों का जलवा देखने लायक था। पुलिस कमिश्रर अमिताभ सिंह ढिल्लों के आदेशों के बाद पुलिस ने बाटा चौक पर उपद्रवियों की जो हालत की वो देखने लायक थी। पुलिसवालों ने दलित उपद्रवियों पर लाठीचार्ज कर उनको अधमरा कर दिया। लाठीचार्ज होते ही उपद्रवी दुम दबाकर अपनी-अपनी बाईकों को ही छोड़-छोड़कर भागने लगे जिनको पुलिसवालों ने उनकी कालोनी और घरों में घुसकर बुरी तरह तोड़ा। पुलिस ने उपद्रवियों की बाईकों को अपने कब्जे में लिया और उन्हें ट्रकों में भरकर विभिन्न थानों में पहुंचा दिया। संभवत: पुलिस अब इन बाईकों के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर उपद्रवियों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी।
जो भी हो जिस तरह के हालात आज शहर में देखने को मिला वह फरीदाबाद के इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में जाना जाएगा। क्योंकि जितना शांत फरीदाबाद जिला हैं उतना ही शायद ही कोई ओर जिला हो। ओर इस सबका कारण वो दलित नेता भी हैं जिन्होंने जिले में अपनी राजनीति चमकाने के लिए इन दलितों का उपयोग किया। ऐसे स्वार्थी नेताओं के खिलाफ भी पुलिस को कड़ी कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए जिसका दंश शहर की जनता को बेवजह झेलना पड़ा।
वहीं शहर के लोगों का कहना है कि पुलिस ने जो कार्यवाही अपने ऊपर होने के बाद की वही कार्यवाही अगर वो दलितों के बाहर आते ही उन्हें खदेड़ कर कर देती तो ये नौबत ना आती जिसके कारण पूरे शहर का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया और लोगों को 4-5 घंटे आतंक के साये में भयभीत होकर रहना पड़ा।     

 

 

 


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