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निगम क्षेत्र में अवैध होर्डिंग्स लगाने के नाम पर हो रही है लाखों-करोड़ों की वसूली!

अवैध होर्डिंग्स की रकम का लेवा कौन? नगर निगम अधिकारी या फिर विज्ञापन कंपनी!
नगर निगम में अधिकारियों/कर्मचारियों का एक विशेष वर्ग कर रहा है होर्डिंग्स माफिया के रूप में काम
नगर निगम अधिकारी संदेह के घेरे में, निगम प्रशासन मौन
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 23 जुलाई: एक तरफ तो नगर निगम आयुक्त मोहम्मद शाइन निगम एरिया में अवैध रूप से लगे होर्डिंग्स को हटवाने में लगे हैं, वहीं उनके मातहत निगम अधिकारी/कर्मचारी इन अवैध होर्डिंग्स को लगवाकर अपनी जेबें भरने में लगे हैं। इन्हें निगमायुक्त के आदेशों का कतई डर नहीं हैं। शहर में जगह जगह लगे अवैध होर्डिंग्स अपनी कहानी खुद बयां कर रहे हैं, खासतौर पर निगम मुख्यालय के आसपास लगे होर्डिंग्स।
जानकारी के मुताबिक आज की तारीख में निगम एरिया में होर्डिंग्स लगाने का ठेका किसी भी विज्ञापन कंपनी के पास नहीं हैं और ना ही नगर निगम अभी होर्डिंग्स लगाने के लिए किसी को परमिशन दे रहा है। तो फिर किसकी परमिशन से निगम एरिया में सैकड़ों होर्डिंग्स लग रहे हैं? कौन इन होर्डिंग्स को लगा रहा है? वो कौन लोग हैं जो इन अवैध होर्डिंग्स को लगाने के नाम पर विज्ञापनदाताओं से लाखों-करोड़ों की वसूली कर रहे हैं? ये वो सवाल है जो आज हर किसी की जुबां पर है।
सूत्रों की माने तो नगर निगम में अधिकारियों/कर्मचारियों का एक विशेष वर्ग होर्डिंग्स माफिया के रूप में काम कर रहा है, जिसकी भनक अभी शायद निगमायुक्त को नही है। इस माफिया वर्ग की निगाह हर उस एरिया में रहती हैं जहां होर्डिंग्स लगते हैं या फिर लगने होते हैं। शहर में यदि कोई व्यक्ति या कंपनी/शोरूम/होटल/स्कूल वाला अपने आप किसी विज्ञापन साइट या फिर खम्भों पर अपने होर्डिंग्स लगा देता है तो इस माफिया वर्ग के कारिंदों का फोन उस होर्डिंग लगाने वाले के पास आ जाता है। यहां से शुरू होता है अवैध वसूली का धंधा। ये माफिया वर्ग होर्डिंग लगाने वाले को फोन करके पहले तो ये पूछता है कि उसने किसकी परमिशन से होर्डिंग लगाएं है। उसको चालान काटने की धमकी दी जाती है। यदि होर्डिंग लगाने वाला उनकी बातों में आ जाता है तो उससे चालान ना काटने के नाम पर माोटी रकम वसूल ली जाती है, और यदि होर्डिंग लगवाने वाला दबंगई से बात करता है तो फिर माफिया वर्ग के कारिंदे का फोन काट देते हैं।
नीलम फ्लाईओवर एक तरफ यूनिपोल पर लगे दा चैम्पस नामक स्कूल के होर्डिंग को लेकर जब होर्डिंग पर लिखे मोबाईल नंबर पर बात की गई तो अपने आप को स्कूल संचालिका बताने वाली एक महिला ने बताया कि उन्होंने सिटीलुक के दिनेश से यह होर्डिंग लगवाया है। इसको लगवाने की कीमत उन्होंने मात्र 2500 रूपये बताई जोकि किसी को भी हजम नही होगी। इसे देखते हुए लगता है कि निगम क्षेत्र में अवैध होर्डिंग्स लगवाने वाला माफिया कितना शातिर है।
शहर में हार्डिंग्स बोर्ड के फ्लेक्स बनाने वाले एक कंपनी के प्रतिनिधि ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि नगर निगम द्वारा अलॉट की गई साइटों पर हॉर्डिंग लगाने की जो वसूली की जा रही है वो यूनिपोल यानि सिंगल पोल की 65 से 70 हजार प्रति होर्डिंग तथा Gantry यानि डबल पोल के लिए 1.25 लाख से लेकर 1.5 लाख तक प्रति साइट वसूली की जा रही है। इसके अलावा खम्भों पर जो बोर्ड लगते हैं उनकी वसूली एरिया और बोर्ड की गिनती के मुताबिक की जाती है। ये रकम किसकी जेब में जाती है ये तो नगर निगम वाले जाने या फिर विज्ञापन एजेंसी वाले जिसका ठेका रद्द हो चुका है। इसके अलावा इनका यह भी कहना था कि नोएडा का एक ही व्यक्ति है जोकि हर बार अपनी कंपनी का नाम बदल-बदल कर नगर निगम की साइट्स पर हार्डिंग्स लगाने का ठेका लेता है। अब तक नगर निगम द्वारा जिन कंपनियों को ये ठेके दिए गए हैं उनके नाम हैं C.Lal, Traffic Media व Ansh Media।
यहां यह बात भी ध्यान रहे कि निगमायुक्त मोहम्मद शाइन ने पिछले दिनों जनवरी 2018 में उस विज्ञापन कंपनी का ठेका समाप्त कर दिया था जोकि पिछले पांच सालों से निगम एरिया में अलग अलग नामों से होर्डिंग्स लगा रही थी। अब निगमायुक्त ने शहर में होर्डिंग्स लगाने के लिए नई विज्ञापन पॉलिसी बनाई है जिसके तहत अब विज्ञापन कंपनियों से पूरे निगम एरिया में एक साथ की बजाय तीनों जोनों में अलग अलग टेंडर लिए जाएंगे। इससे जहां निगम का राजस्व बढ़ेगा वहीं विज्ञापन कंपनी का एकाधिकार भी खत्म होगा।
कुल मिलाकर जो भी हो, जिस तरह से निगम क्षेत्र में अवैध होर्डिंग्स का व्यापार फल-फूल रहा हैं उससे कहीं ना कहीं भष्ट्राचार की बू आ रही है और उससे निगमायुक्त की छवि भी भ्रष्ट्र अधिकारियों के कारण खराब हो रही है। इसलिए निगमायुक्त को चाहिए कि इस मामले में तुरंत उचित कार्यवाही करें।

नीलम फ्लाईओवर चढ़ते व उतरते समय दोनों तरफ यूनिपोल पर लगे होर्डिग्स। 


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