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A.D. स्कूल में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने करवाया अपनी कविताओं का रसपान

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 5 सितम्बर: आज के इस आधुनिक युग में जिसको कि कलयुग भी कहा जाता है, में एक पिता की दयनीय स्थिति को अंतराष्ट्रीय के कवि दिनेश रघुवंशी ने किस प्रकार अपने शब्दों की माला में पिरोकर पेश किया, पढि़ए:-
कभी सोचा ना था कि ये जिंदगी यूं जिंदगी होगी,
मेरी परछाई तक कि मुझसे ऐसी बेरूखी होगी।
मिला उपहार बेटे से, पिता ने बस कहा इतना,
घड़ी मत दे मुझे बेटे, समय दे दे खुशी होगी।।
कवि दिनेश रघुवंशी के इस मुक्तक को सुनते ही पूरा स्कूल प्रांगण तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। मौका था शिक्षक दिवस के रूप में मनाए जाने वाले सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के अवसर पर डबुआ कालोनी स्थित ए.डी. सीनियर सैकेंडरी स्कूल में आयोजित कवि सम्मेलन का। इस कवि सम्मलेन में कवि दिनेश रघुवंशी के अलावा हास्य रस के कवि सरदार प्रताप सिंह फौजदार तथा सुदीप भोला ने अपनी कविताओं से जमकर समां बांधा और स्कूली बच्चों तथा अध्यापकों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। ए.डी. सीनियर सैकेंडरी स्कूल के प्रिंसीपल डॉ० सुभाष श्योराण द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में रोटरी क्लब ऑफ फरीदाबाद इंडस्ट्रिल टाऊन के प्रधान एवं पाईनवुड इंटरनेशनल बोर्डिंग स्कूल के प्रिंसीपल नरेन्द्र परमार तथा पूर्व प्रधान नवीन गुप्ता ने अतिथि के तौर पर शिरकत की।
इस अवसर पर हास्य कवि सरदार प्रताप सिंह फौजदार ने अपनी शानदार प्रस्तुति देते हुए अर्ज किया कि:-
आगे आगे एक नंगा आदमी भागा चला जा रहा था,
उसके पीछे एक कच्छा पहनकर चला आ रहा था।
मित्र बोला प्रताप सिंह, यह क्या क्लेश है, कैसा भेष है,
मैने कहा आगे वाला विकसित, पीछे वाला विकासशील देश है।।
इसके अलावा जहां सरदार प्रताप सिंह फौजदार ने स्कूली बच्चों को अध्यापकों के ऊपर बनी कई शानदार प्रस्तुति दी।
वहीं आगरा से आए कवि सुदीप भोला ने कुछ इस तरह अपनी प्रस्तुति देकर बच्चों की तालियां बटोरी कि:-
वतन की देहरी पे प्रहरी, सो गए नींद गहरी।
ना जाने कब से उन्होंने नहीं किया आराम,
जलाएं एक दिया हम उन वीरों के नाम।।
शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित इस कवि सम्मेलन का मंच संचालन करते हुए अंतराष्ट्रीय स्तर के कवि दिनेश रघुवंशी ने देशभक्ति तथा मां के ऊपर बनाई कविताएं सुनाकर सबको भाव-विभोर कर दिया। दिनेश रघुवंशी ने स्कूल प्रांगण में मौजूद स्कूली बच्चों, अध्यापकगणों तथा अतिथियों को अपने मुक्तक समर्पित करते हुए सुनाया कि:-
मेरी आखों का तारा ही मुझे आखें दिखाता है,
जिसे हर एक खुशी दे दी वो हर गम से मिलाता है।
जुबां से कुछ कहूं, कैसे कहूं, किससे कहूं,मां हूं,
सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है।।
इसके अलावा उन्होंने मां द्वारा अपने बच्चों पर की गई कृपादृष्टि को कुछ इस तरह ब्यां किया कि:-
हमारे वास्ते सपना सलोना बन गई अम्मा,
जमीं पर लेटकर अक्सर बिछौना बन गई अम्मा।
रूलां देती हैं अभी याद उन बचपन के मेलों की,
खिलौने दे न पाई तो खिलौना बन गई अम्मा।।
जबकि आज के इस आधुनिक दौर में लोगों के प्यार और नफरत को ब्यां करते हुए कवि दिनेश रघुवंशी ने सुनाया कि
दिल में उल्फत संभाल कर रखना,
ये इबादत संभाल कर रखना।
लोग नफरत संभाले बैठे हैं,
तू मोहब्बत संभाल कर रखना।।
ए.डी. सीनियर सैकेंडरी स्कूल के प्रांगण में आयोजित इस कवि सम्मलेन का वहां मौजूद सभी स्कूली बच्चों, अध्यापकगणों तथा अतिथियों ने जमकर आनंद लिया वहीं स्कूली बच्चों को अपनी कविताओं के माध्यम से संदेश दिया कि बच्चे संस्कारवान बने, माता-पिता के आज्ञाकारी बने तथा समय आने पर देश की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर करने के लिए तैयार रहें।
इस अवसर पर 11वीं तथा 12वीं कक्षा के कुछ बच्चे अध्यापक की ड्रैस में आए थे जिसकी सभी ने सराहना की। कार्यक्रम के अंत में तीनों कवियों तथा अतिथिगणों को स्कूल के प्रिंसीपल डॉ.सुभाष श्योराण ने प्लांट देकर सम्मानित किया। कुल मिलाकर यह कवि सम्मेलन सबके लिए एक अच्छी यादगार बन गया।


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