मैट्रो प्लस से जस्प्रीत कौर की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 13 अक्टूबर: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन सिद्धपीठ महारानी श्री वैष्णोदेवी मंदिर में मां दुर्गा के चौथे सवरूप माता कूष्माण्डा की भव्य अराधना की गई। मान्यता है कि माता कूष्माडा की सच्चे मन से पूजा कर अपनी मुराद मांगने वाले भक्तो को निराश नहीं करती। उनकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती हैं। इस अवसर पर भक्तों ने मंदिर में परिक्रमा लगाकर मां कूष्माडा के जयकारे लगाए।
आठ भुजाओं वाली मां दुर्गा के इस रूप को लेकर मान्यता है कि इन्होंने ही संसार की रचना की। इसीलिए इन्हें आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी और चंद्रघंटा के बाद पूजा जाता है। चौथे दिन की भव्य पूजा का शुभारंभ मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने करवाया। इस अवसर पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ था।
कौन हैं मां कूष्माण्डा:
चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कूष्माण्डा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है। मान्यता है कि मां कूष्माण्डा ने ही इस सृष्टि की रचना की। इनका निवास स्थान सूर्य है। इसीलिए माता कूष्माण्डा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है। मां दुर्गा का यह एक लौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है, इनके अलावा कोई भी रूप सूर्यलोक में नहीं रहता।
इस अवसर पर भक्तों को बताते हुए प्रधान जगदीश भाटिया ने कहा कि मां कूष्माडा चेहरे पर हल्की मुस्कान और सिर पर बड़ा-सा मुकूट है। आठों हाथों में अस्त और शस्त्र जिसमें सबसे पहले कमल का फूल, तीर, धनुष, कमंडल, मटकी, चक्र, गदा और जप माला सवारी है इनकी शेर। इनके प्रिय वस्त्र लाल साड़ी और हरा ब्लाउज हैं ।
उन्होंने बताया कि मां कूष्माडा की पूजा संतरी रंग के कपड़े पहनकर करें। मान्यता है कि इस दिन प्रसाद में हलवा शुभ माना जाता है, घर में सौभाग्य लाने के लिए कूष्माण्डा माता की पूजा के बाद मेवे या फल दान करें। पूजा अर्चना के अवसर पर मंदिर में उद्योगपति आर.के. बत्तरा, सुरेंद्र गेरा एडवोकेट, कांशीराम, अनिल ग्रोवर, नरेश, रोहित, बलजीत भाटिया, अशोक नासवा, प्रीतम धमीजा, सागर कुमार, गिर्राजदत्त गौड़, फकीरचंद कथूरिया नेतराम एवं राजीव शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।