– लिटल हार्ट पब्लिक स्कूल की दूसरी कक्षा में पढऩे वाले मासूम बच्चे को किया प्रताडि़त, शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर मांगी इच्छा मृत्यु
– निजी स्कूल संचालक के साथ जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग
– अभिभावक ने फर्जी स्कूल चलाने की दी थी शिकायत, इसी के बाद मासूम बच्चे पर ढहाए जाने लगे स्कूल संचालक द्वारा जुल्म
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ़/भिवानी, 10 नवंबर: शहर के लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल की दूसरी कक्षा में पढऩे वाले मासूम बच्चे को प्रताडि़त किए जाने की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होता देख एक अभिभावक ने इच्छा मृत्यु की अनुमति के लिए महामहिम राष्ट्रपति, पीएम मोदी, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन को पत्र भेजा है।
भिवानी शहर के पतराम गेट पड़ाव मोहल्ला निवासी विजय कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि उसने लिटल हाई पब्लिक स्कूल की एक ही कोड पर फर्जी रूप से शाखा (फर्जी स्कूल) संचालन की शिकायत करीबन दो साल पहले हरियाणा सरकार व शिक्षा विभाग को दी थी। इस शिकायत पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो लगातार दो सालों के दौरान विजय ने हर दरवाजे पर दस्तक दी, मगर किसी भी अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की।
विजय का आरोप है कि लिटल हार्ट पब्लिक स्कूल के संचालक पवन कुमार गोयल व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सदानंद वत्स द्वारा उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जाने लगा। विजय ने यह भी आरोप लगाया कि लिटल हार्ट पब्लिक स्कूल की दूसरी कक्षा में पढऩे वाला सात वर्षीय बेटे को भी स्कूल प्रबंधन द्वारा लगातार मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जाने लगा। विजय ने शिकायत में बताया कि उसके बेटे की स्कूल डॉयरी में भी नाजायज तौर पर फीस भुगतान संबंधी बार-बार नोट लिखा जा रहा है, जबकि वह बच्चे की स्कूल फीस का नियमित रूप से भुगतान करता आ रहा है जिसकी रसीदें भी उसके पास हैं। इसी कारण उसका बेटा भी मानसिक प्रताडि़त किए जाने के कारण भारी तनाव के दौर से गुजर रहा है और स्कूल ना जाने की जिद पर अड़ा है। वह अपने बच्चे का इस तरह का बुरा हाल देखकर काफी परेशान हैं और मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। विजय ने बताया कि उसने लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल की शिव नगर कॉलोनी में फर्जी स्कूल संचालन संबंधी शिकायत शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ-साथ जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को भी दी थी। मगर अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसे ही मानसिक रूप से प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। विजय का आरोप है कि उसके सात वर्षीय मासूम बेटे को स्कूल के अंदर धूप के अंदर खड़ाकर उसे शारीरिक रूप से भी प्रताडि़त किया जा रहा है। विजय ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अलावा हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान किए जाने की मांग की है।
इस संबंध में स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार का कहना है कि निजी स्कूलों की मनमानी लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसी वजह से अभिभावक भी उनकी नाजायज शर्तों के थोपे जाने से मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विजय कुमार ने इच्छा मृत्यु की मांग सिर्फ सिस्टम से तंग होकर मांगी हैं। अगर समय रहते उसकी शिकायत पर हरियाणा सरकार व शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई कदम उठाते तो उसके परिवार व बच्चे को इस तरह की प्रताडऩा का शिकार नहीं होना पड़ता।
बृजपाल परमार ने बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चे की डायरी पर फीस संबंधी कोई भी टिप्पणी दर्ज नहीं की जा सकती है, यह नियमों के खिलाफ है। अगर स्कूल प्रबंधन ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। कुछ अर्से पहले डिवीजनल कमिश्नर रोहतक द्वारा भिवानी के जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को एक मामले की सुनवाई के दौरान आदेश दिए थे कि स्कूल की फीस को लेकर बच्चे को किसी सूरत में मानसिक रूप से परेशान नहीं किया जा सकता और ये स्कूल और अभिभावक के बीच का मसला है, इसमें बच्चे को किसी तरह का कोई दबाव नहीं डाला जा सकता। फिर भी निजी स्कूल अपनी मनमर्जी चला रहे हैं।