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डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग सहित मेयर व पार्षदों पर दर्ज हो सकती है संगीन धाराओं में एफआईआर !

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 23 दिसम्बर: अब तक यह सुना जाता रहा है कि सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावी है और काफी हद तक वो सही भी है। लेकिन फरीदाबाद में अब यह बात झुठला दी उद्योगपति से नगर निगम में डिप्टी मेयर बने मनमोहन गर्ग ने। डिप्टी मेयर गर्ग ने शहर की प्रथम नागरिक एवं महापौर सुमनबाला और अजय बैंसला, जितेन्द्र यादव उर्फ बिल्लु पहलवान, दीपक चौधरी, बीर सिंह नैन, सुरेन्द्र अग्रवाल, सुभाष आहूजा तथा महेन्द्र सरपंच नामक निगम पार्षदों पर निगमायुक्त मोहम्मद शाईन के सलाहकार रहे आर.के. गर्ग (वर्तमान में अतिरिक्त निगमायुक्त धीरेन्द्र के टेक्नीकल एडवाईजर) को साथ लेकर जिस तरह दबंगई दिखाते हुए नगर निगम फरीदाबाद के एडीशनल कमिश्नर के टेक्नीकल सलाहकार आर.के. गर्ग को निगमायुक्त के कैंप कार्यालय में घुसकर उन्हें बुरी तरह बेइज्जत करके जबरन उनकी सीट से उठाकर कार्यालय से बाहर कर दिया, वह मामला अब धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना के बाद आरके गर्ग द्वारा दी गई लिखित शिकायत के बाद उपरोक्त पर तलवार लटक गई है। यदि अतिरिक्त निगमायुक्त के माध्यम से निगमायुक्त कम जिला उपायुक्त को विडियो क्लीपिंग के सबूत के साथ दी गई राकेश कुमार गर्ग (आरके गर्ग) की शिकायत पर कार्यवाही होती है तो उक्त जन-प्रतिनिधियों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, जबरन निगमायुक्त कार्यालय में घुसकर बेईज्ज्ती करने जैसे संगीन आरोपों के चलते गैर-जमानती धाराओं में मुकदमा दर्ज होना तय है। वहीं इससे इनकी कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है। यह सब अब जिला उपायुक्त कम निगमायुक्त के आत्मविवेक पर निर्भर करता है कि वो इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
ध्यान रहे कि जिस निगमायुक्त मोहम्मद शाईन के रहते निगम पार्षद तो क्या निगम के बड़े-बड़े अधिकारियों तक की भी हिम्मत नहीं होती थी कि वो उनके कैंप कार्यालय को तो छोड़ो कार्यालय तक की भी सीढिय़ां बिना उनकी परमिशन के नही चढ़ जाए, उसी निगमायुक्त के तबादले बाद उनके कैंप कार्यालय में पांच पार्षदों व मेयर सुमन बाला को साथ लेकर डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग ने गत 21 दिसम्बर को एडीशनल निगमायुक्त के टेक्नीकल सलाहकार आर.के. गर्ग को बुरी तरह बेइज्जत करके जबरन उनकी सीट से उठाकर कार्यालय से बाहर कर दिया। यह मामला अब धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है।
अतिरिक्त निगमायुक्त धीरेन्द्र के टेक्नीकल एडवाईजर राकेश कुमार गर्ग ने 22 दिसम्बर को निगम कमिश्नर को लिखी अपनी शिकायत में कहा है कि उन्हें निगम कमिश्नर के पत्र क्रमांक एमसीएफ/पीए/2018/462 दिनांक 11-05-2018 के तहत निगमायुक्त का कंस्लटेंट/एडवाईजर नियुक्त किया गया था। वे निगम में निगमायुक्त तथा अतिरिक्त निगमायुक्त की संतुष्टी के लिए काम करते थे। गर्ग ने पत्र में कहा कि गत 10-12-2018 को जब निगमायुक्त यानि सीएमसी कार्यालय छोड़ रहे थे तो मैने उनसे स्वयं को भी रिलीव करने को कहा। परन्तु अतिरिक्त निगमायुक्त यानि एसीएमसी कम सीवीओ के कहने पर वे सीधे उनके अधीन टैक्नीकल मैटर की असिस्टेंस के लिए सीएमसी के पत्र क्रमांक एमसीएफ/पीए/2018/416 दिनांक 10-12-2018 के तहत काम करने लगे। वहीं एसीएमसी ने अपने कार्यालय के पत्र क्रमांक 196 दिनांक 14-12-2018 के तहत उन्हें सीधे नगर निगम के टैक्नीकल कार्यो को असिस्ट करने के लिए नियुक्त कर दिया। जिससे कि वे सीधे एसीएमसी के कार्यो को पूरा करने में लग गए।
आरके गर्ग ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिनांक 21-12-2018 को जब वे निगमायुक्त के कैंप कार्यालय में बने एसीएमसी के अधीन चल रहे अपने कार्यालय में बैठकर उनके निर्देशानुसार फाईलों को एक्जामीन कर रहा था तो अचानक डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग अपनी टीम के साथ एकाएक उनके कार्यालय में आ गए तथा तेज-तेज आवाज में चिल्लाने लगे कि सीट से उठो और ऑफिस छोड़ दो तथा एमसीएफ से संबंधित किसी फाईल को अब मत टच करना। गर्ग ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि इस पर वे एक सीनियर सीटिजन के नाते हाथ जोड़कर अपनी सीट से खड़े हुए और ऑफिस से निकलकर सारी घटना की जानकारी एसीएमसी यानि अतिरिक्त निगमायुक्त को दी। गर्ग ने घटनाक्रम की लाईव विडियो क्लिपिंग भेजते हुए अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि किस तरीके से उनके साथ दुव्र्यवहार कर उन्हें नीचा किया गया, ऑफिस डेकोरम को तोड़ते हुए दंबगई की गई, उनके खिलाफ गलत भाषा का प्रयोग किया गया और भारतीय संविधान को तोड़ा गया। उनका कहना है कि जिस तरीके का उनके साथ व्यवहार किया गया वो गलत था। क्योंकि वो तो निगमायुक्त और अतिरिक्त निगमायुक्त के अधीन कार्य कर रहे थे। ऐसे में ये उनकी ही नहीं बल्कि उन अधिकारियों की भी बेईज्जती है जोकि कार्यालय चला रहे हैं। वे तो सिर्फ एक चेहरा थे।
गर्ग ने लिखा है कि वे अतिरिक्त निगमायुक्त के धन्यवादी है जिन्होंने वीडियो क्लिपिंग देखते हुए उनकी बात सुनी और मुझे पूरा सहयोग करने की बात कहते हुए मुझे अगले आदेशों तक अपने पद पर बने रहने के लिए कहा। साथ ही गर्ग ने जिला उपायुक्त कम निगमायुक्त का भी धन्यवाद किया कि उन्होंने भी उन्हें यह आश्वासन दिसा कि वे इस मामले में मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
इस शिकायती पत्र के साथ ही आर के गर्ग ने कुछ सवाल किए हैं जैसे कि:-
1. किस अधिकार के तहत मनमोहन गर्ग और उनकी टीम निगमायुक्त के कैंप कार्यालय में घुसी और माहौल खराब किया, सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाई और उन्हें बेईज्जत किया जबकि उनका उनसे प्रत्यक्ष व और अप्रत्यक्ष रूप से कोई कनेक्शन नहीं हैं तथा उनको तो निगमायुक्त ने नियुक्त किया है। अगर उपरोक्त सभी को उनके खिलाफ कोई शिकायत थी तो वे अपनी शिकायत निगमायुक्त या अतिरिक्त निगमायुक्त के सामने ढंग से रख सकते थे जोकि मुझे बुला सकते थे। परन्तु मनमोहन गर्ग और उनकी टीम ने ऐसा ना करके कानून को अपने हाथों में लेकर भारतीय संविधान के खिलाफ काम किया। यह राज्य सरकार का दायित्व है कि वो भारतीय संविधान की रक्षा करे।
2. यह महत्वपूर्ण जांच का विषय है कि उपरोक्त का इरादा क्या था? क्या ये लोग भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए चुने गए थे या फिर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए? क्योंकि वे (आरके गर्ग) तो बड़ी सावधानीपूर्वक फाईलों की जांच करके उसकी रिपोर्ट निगमायुक्त को देते थे जिस पर फैसला उनको करना होता था।
अंत में अपनी शिकायत में गर्ग ने लिखा है कि उन्होंने अपने साथ हुए घटनाक्रम से सीएमसी व एसीएमसी को पूरी तरह अवगत करा दिया है। अब उन्हें देखना है कि उन्हें भ्रष्टाचार दूर करने और पेंडिंग फाईलों का निपटाने के लिए मेरी सेवाओं की आवश्यकता है या नहीं। बाकी का सारे मामले का फैसला उन्होंने जिला उपायुक्त कम निगमायुक्त पर छोड़ दिया है।
अब देखना यह यह कि वे इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

 


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