बैसाखी का त्यौहार सिखों का त्यौहार है: उमंग मलिक
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 12 अप्रैल: सैक्टर-31 स्थित फरीदाबाद मॉडल स्कूल में भव्य संगीत और नृत्य के साथ बैसाखी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया। बच्चों ने भांगड़ा की धुनों पर नृत्य किया और एक शानदार समय का आनंद लिया। फसल के त्यौहार को चिह्नित करने के लिए, बच्चों ने इस मौके पर ढ़ोल की सजावट और पगड़ी बनाने जैसी गतिविधियों का प्रदर्शन किया।
इस मौके पर स्कूल के डॉयरेक्टर उमंग मलिक ने बताया कि बैसाखी का त्यौहार सिखों का प्रसिद्व त्यौहार है। सिखों के लिए यह पर्व मात्र फसल कटाई आगमन का द्योतक ही नहीं बल्कि सिख भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है। वर्ष 1699 में इसी दिन अंतिम सिख गुरू गुरू गोबिंद सिंह ने सिखों को खालसा के रूप में संगठित किया था। सिख इस त्यौहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि बैसाखी पर्व के दिन समस्त उत्तर भारत की पवित्र नदियों में स्नान करने का माहात्म्य माना जाता है। बैसाखी के पर्व पर लोग नए कपड़े धारण करते हैं। वे घर में हलवा एवं अन्य प्रिय व्यंजनों को बनाते हैं। बैसाखी के पर्व पर लगने वाला बैसाखी मेला बहुत प्रसिद्व है। प्राय: यह मेला नदी के किनारे लगता है। बैसाखी के दिन मेले में बहुत भीड़ होती है। हिंदुओं के लिए यह त्यौहार नववर्ष की शुरूआत है। हिंदु इसे स्नान, भोग लगाकर और पूजा करके मनाते हैं। इस दिन सिख गुरूद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। सिख इस त्यौहार को विशेष तरीके से मनाते हैं। वे मंदिर, गुरूद्वारा में जाकर दर्शन करते हैं और पवित्र ग्रन्थ का पाठ करते हैं।
इस अवसर पर स्कूल में एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया। जिसमें स्कूली छात्राओं को बैसाखी के महत्व के बारे में व गांव, किसानों का हमारे लिए क्या महत्व हैं छात्राओं को बताया गया।