सोनिया शर्मा
फरीदाबाद, 28 मार्च: बच्चों में सकारात्मक सोच के लिए अध्यापक और अभिभावकों को अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना चाहिए। जिस तरह अध्यापक और अभिभावक की सोच होगी उसी तरह बच्चों में भी सोच की परंपरा बलवती होगी। ये विचार जवाहर कालोनी स्थित होली चाइल्ड पब्लिक स्कूल की संस्थापिका शोभा भाटिया ने विद्या आरंभ समारोह (ओरिएंटेशन डे) में उपस्थित अभिभावकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा की शुरूआत बच्चों में सकारात्मक विचार के साथ की जानी चाहिए, क्योंकि बच्चा जो सुनता है वह भूल जाता है लेकिन जो देखता है वह अमिट छाप उसके दिमाग में हमेशा रह जाती है। इसलिए हमें ऐसी विचारधारा बच्चों के समक्ष प्रस्तुत करनी चाहिए जो उसके मस्तिष्क में छवि को ठीक रख सके। वह छवि माता-पिता की हो, अध्यापकों या अपने बड़ों की। उन्होंने कहा कि यह नन्ही पौधें देश की उन्नति में तभी सार्थक सिद्ध हो सकती है कि जब हम इनमें नैतिक गुणों का समावेश कर सकेंगे। यह कर्तव्य अभिभावकों के साथ-साथ अध्यापकों का भी है, क्योंकि आज भागदौड की जिंदगी में बच्चों का विकास तभी संभव है जब परिवार और स्कूल प्रबंधन दोनों साथ चलकर बच्चों के सामने आ रही परेशानी का मिलकर सामना करें तभी बच्चे का मन और मस्तिष्क पढाई की ओर अग्रसर हो सकता है।
इससे पूर्व स्कूल काउंसलर सुनीता भोला ने अभिभावकों को पढ़ाई से संबंधित नई-नई विधियों द्वारा माता-पिता को अवगत करवाया गया और कहा कि बच्चा एक गीली मिट्टी की भांति होते हैं जिसे जिस तरह मोड़ा जाए वह उसी राह चलकर अपना रास्ता बना लेते हैं।
स्कूल की प्रिंसीपल गीता धीर ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा अब प्रतियोगी हो गई है। प्रतियोगिता के इस दौड़ में वही बच्चा दौड सकता है जोकि बदलते परिवेश के अनुसार अपने आपको ढालने का प्रयास करेगा।
इससे पूर्व स्कूल के नन्हे-नन्हें बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर अभिभावाकों की वाहवाही लूटी। कार्यक्रम में दीप राणा, मीनाक्षी कत्याल, पिंकी मेहंदीरत्ता, शेफाली खोसले, मंजीत कौर, पूजा सतीजा, अंजू सेतिया, गुरप्रीत सहित अनेक अध्यापक उपस्थित थे।