मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
– मौलिक शिक्षा निदेशालय के आदेशों के बावजूद नहीं दी अधिकांश निजी स्कूलों ने नियम 134ए के तहत रिक्त सीटों की सूची
– 19 अप्रैल तक सीटें देने की दी थी मोहलत, ऐसे निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने के दिए निर्देश
– स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल ने दी चेतावनी, आधी अधूरी सीटों की जानकारी देने वाले स्कूलों पर कराएंगे कार्रवाई
चंडीगढ़, 19 अप्रैल: मौलिक शिक्षा निदेशालय के आदेशों के बावजूद अब तक प्रदेश भर के अधिकांश निजी स्कूलों ने नियम 134ए के तहत दाखिला के लिए सीटों की जानकारी शिक्षा विभाग को उपलब्ध नहीं कराई गई। इतना ही नहीं निजी स्कूलों द्वारा वैकेंसी नहीं दर्शाए जाने की वजह से 19 अप्रैल को नियम 134ए का पहला ड्रा भी अटक गया है।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने चेतावनी दी है कि जिन निजी स्कूलों ने नियम 134ए के तहत दाखिला के लिए आधी अधूरी जानकारी शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई है, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करवाई जाएगी। अधिकांश नामी स्कूलों ने अब तक शिक्षा विभाग को रिक्त सीटों की कोई सूची नहीं दी गई है, ऐसे में हजारों गरीब बच्चे इन स्कूलों में दाखिला पाने से वंचित रह गए हैं, ये उनके शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन है। माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में भी इस मामले को चुनौती देकर ऐसे निजी स्कूलों व संबंधित शिक्षा अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करवाई जाएगी। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर सख्त हिदायतें दी हैं कि 19 अप्रैल तक निजी स्कूल अपने विद्यालय के अंदर नियम 134ए के तहत दाखिला के लिए कक्षावार रिक्त सीटों की सूची संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराएं।
मौलिक शिक्षा निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन निजी स्कूलों ने अब तक खंड कार्यालय में अपने विद्यालय के अंदर रिक्त सीटों की जानकारी नहीं भेजी हैं, उन विद्यालयों के खिलाफ संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी कड़ी कार्रवाई करें। पत्र में यह भी हवाला दिया गया है कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संबंद्धता रखने वाले निजी स्कूलों की मान्यता रद्द व सीबीएसई विद्यालयों की अनापत्ति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय ने यह भी टिप्पणी की है कि ऐसे विद्यालय जिन्होंने रिक्त सीटों की जानकारी नहीं दी है, ये शायद गरीब बच्चों को अपने विद्यालयों में दाखिला ही नहीं देना चाहते हैं, ऐसे में शिक्षा विभाग भी अब इन स्कूलों के प्रति सख्त रूख अख्तियार कर कड़ी कार्रवाई का मन बना चुका है।
ये है प्रदेशभर में निजी स्कूलों व गरीब बच्चों के दाखिलों की स्थिति:-
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि प्रदेशभर में 7596 निजी स्कूल हैं, जिनके अंदर मुफ्त दाखिला के लिए एक लाख 37 हजार बच्चों के आवेदन आनलाइन प्रदेशभर में भरे जा चुके हैं। जबकि प्रदेशभर में सवा दो लाख सीटें निजि स्कूलों में बकाया दर्शायी गई हैं। प्रदेशभर में लगभग 27 लाख विद्यार्थी कक्षा पहली से 12वीं तक पढ़ाई कर रहे हैं। इन बच्चों के हिसाब से 10 व 20 फीसदी सीटें नियम 134ए के तहत भरी जानी निर्धारित की हुई हैं।
बृजपाल परमार ने बताया कि प्रदेशभर के इन सभी निजी स्कूलों में करीबन तीन लाख सीटें रिक्त होनी चाहिए, जिन पर गरीब बच्चों के दाखिले सुनिश्चित किए जाने का काम शिक्षा विभाग का है। पिछले शिक्षा सत्र में केवल मात्र 80 हजार गरीब बच्चों को ही उनका अधिकार मिल पाया है। जबकि अब भी हजारों पात्र बच्चे मुफ्त दाखिला से वंचित हैं, क्योंकि शिक्षा विभाग की लेट लतीफी और निजी स्कूलों की मनमानी दोनों ही गरीब बच्चों के हक को डकार रही हैं।