मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
बल्लभगढ़/फरीदाबाद, 15 जुलाई: प्रशासनिक अनदेखी के चलते जिले में मौजूद ऐतिहासिक विरासतें अपना अस्तित्व खो रही हैं। कुछ ऐतिहासिक इमारतें जहां भू-माफियाओं की भेंट चढ़ चुकी हैं वहीं कुछ जर्जर हाल में अपनी पहचान खोती जा रही है। इनके संरक्षण की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। देश-विदेश में सूरजकुंड मेले को पहचान दिलाने वाले सूर्य कुंड की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है, जिसके चलते कुंड सूख चुका है।
इसके अलावा बल्लभगढ़ में नेशनल हाइवे के पास मौजूद रानी की छतरी और शाही तालाब की हालत खस्ता है। मुगलों के शासनकाल में बनाई गई कोस मीनार धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं।
रानी की छतरी का हाल:-
यह ऐतिहासिक स्थल बल्लभगढ़ बस अड्डे से करीब एक किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे पर ही स्थित है। बताया जाता है कि राजा नाहर की रानी यहां स्नान के लिए आया करती थी और स्नान के बाद छतरी पर पूजा पाठ करती थी। आज भी वहां पर पूजा स्थल बना हुआ है। फिलहाल रानी की छतरी की देखरेख न होने के कारण यह जर्जर हो गई है। आसपास कई लोगों ने कब्जे भी जमाए हुए हैं। सरकार ने इसके जीर्णद्वार के लिए 3 साल पहले 1.20 करोड रूपये भी मंजूर कर दिए हैं। किंतु इसके बावजूद भी अभी तक इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
सूखे कुंड की सुध लेने वाला कोई नहीं:-
देश-विदेश में सूरजकुंड मेले को अंतराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले सूर्य कुंड की सुध लेने वाला कोई नहीं है। 10वीं शताब्दी में तोमर शासक सूरजपाल ने इस कुंड का निर्माण करवाया था। इसके साथ ही भगवान सूर्य देव का एक मंदिर भी बनाया गया था। मंदिर का अब कोई आस्त्तिव नहीं बचा है। अरावली की वादियों में स्थित इस कुंड की शोभा करीब डेढ़ दशक पहले तक देखते ही बनती थी। मगर अरावली में अवैध रूप से भूजल दोहन व खनन के कारण इस क्षेत्र का जलस्तर लगातार घटता चला गया और कुंड सूख गया। प्रशासन के समक्ष अवैध खनन का मामला वह पिछले काफी समय से उठा रहे है। फिलहाल इस कुंड की देखरेख का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है। मगर उसके जीर्णोद्धार के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
जमींदोज हो चुकी ऐतिहासिक इमारतेें:-
शहर में कुछ ऐतिहासिक इमारतें ऐसी भी थी जिन पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर उनका संपूर्ण आस्तिव ही समाप्त कर दिया। चावला कालोनी में ऐतिहासिक पुराना कुंआ बना हुआ था। उसे जमींदोज कर अब वहां आलीशान 3 मंजिला बिल्डिंग बनी हुई है। तिगांव रोड़ पर भी राजा का महल था। जोकि मटिया महल के नाम से मशहुर था। उस पर भी भू-माफियाओं ने प्रशासन से मिलीभगत कर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर ली है। इस मामले में वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी हो रही है। शहर में केवल इस समय राजा नाहर सिंह का किला ही सही हालत में है जिसमें होटल चलाया जा रहा है।
नहीं रहेगा नामोनिशान:-
प्रशासनिक अनदेखी के चलते जिले की ऐतिहासिक विरासतें अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। इनके संरक्षण की ओर किसी का ध्यान नहीं है। प्रशासन को इन विरासतों की कोई चिंता नहीं है। अगर यही हालत रही तो धीरे-धीरे ये पूरी तरह लुप्त हो जाएंगी और आने वाली पीढिय़ों को इनके कोई नामोनिशान नहीं मिलेंगे। प्रशासन को इन एतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।