Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News, 21 नवम्बर: विश्व सीओपीडी दिवस के मौके पर संतोष हॉस्पिटल में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्यातिथि के रूप में पधारे जिला रेडक्रास सोसायटी के सचिव विकास कुमार विशिष्ट अतिथि डॉ० एमसी सिंह व जिला रेडक्रास सोसायटी के सदस्य पुरूषोत्तम सैनी का संतोष हॉस्टिपल के डॉ० संदीप मल्होत्रा ने पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।
इस अवसर पर डॉ० संदीप मल्होत्रा ने कहा कि विश्व सीओपीडी दिवस हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को मनाया जाता है। सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज रोग का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान व प्रदूषण है। वहीं जिन गांव-घरों में आज भी चूल्हे पर खाना पकता है वहां की ज्यादातर महिलाएं सीओपीडी की शिकार हैं। सीओपीडी के लक्षण 35 साल की उम्र के बाद ही नजर आते हैं। इसकी इलाज प्रक्रिया लंबी है, ऐसे में मरीज चिकित्सक की सलाह के बिना दवा बंद न करें। उन्होंने कहा कि कि पिछले कुछ सालों की अपेक्षा सीओपीडी की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ी है। उन्होंने बताया कि सीओपीडी के 80 प्रतिशत मरीज धूम्रपान करते हैं। बाकी अन्य प्रदूषण के चलते सीओपीडी की चपेट में आते हैं। प्रदूषण बढऩे के चलते मेट्रो सिटी में जो व्यक्ति धूम्रपान नहीं करते हैं वह भी हर रोज 10 सिगरेट के बराबर धुआं अपने अंदर ले रहे हैं। वास्तव में यह अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक स्तर पर 2020 तक सीओपीडी दुनियाभर में होने वाली मौतों का तीसरा सबसे बड़ा और विकलांगता का पांचवां सबसे बड़ा कारण होगा। ऐसे लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। सीओपीडी के प्रमुख लक्षण के बारे में उन्होंने बताया कि इससे पीडि़त मरीजों में खांसी, जुकाम व फ्लू, सांस लेने में दिक्तत, सीने में जकडऩ, पैरों में सूजन, वजन घटना, स्मरण शक्ति की क्षति, तनाव, सांस प्रणाली में संक्रमण, हृदय की समस्याएं व फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
इस मौके पर मुख्यातिथि विकास कुमार ने कहा कि हवा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण जहरीले तत्व हमारे फेफड़ों और श्वास प्रणाली को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिस वजह से लोगों में सीओपीडी के मामलों में इजाफा हो रहा है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि जो हवा हम सांस के रूप में लेते हैं। वह बेहद जहरीली है। इससे बचाव के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा साधन साबित हो सकता है तथा उनका विभाग संतोष अस्पताल के सहयोग भविष्य में जागरूकता शिविर भी आयोजित करेगा।
इस मौके पर डॉ० एमपी सिंह व पुरूषोत्तम सैनी ने कहा कि सीओपीडी होने पर मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। यह समस्या अचानक परेशान नहीं करती बल्कि शरीर में धीरे-धीरे पनपती रहती है। ऐसे में मरीज को यह बीमारी कब हुई इसका पता लगा पाना कठिन है। इसके लक्षण को समझने में भी काफी समय लग जाता है। आमतौर पर इसके लक्षण समय के साथ गंभीर होते चले जाते हैं और मरीज के दैनिक कार्यों को प्रभावित करने लगते हैं। यह रोग कुछ सालों में विकसित होता है। उपचार से यह लक्षण कम हो सकते हैं और रोग को बदतर होने से रोका जा सकता है।