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आशीर्वाद रसोई में केवल पांच रूपये में भरपेट खाना खिलाया जाता है

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News, 11 दिसम्बर:
आज की स्वार्थ भरी दुनिया में जहां मानव सिर्फ अपने ही स्वार्थ पूर्ति में लगा हुआ है वहीं कुछ लोग परोपकार को ही अपना कर्म व धर्म बनाए हुए हैं। ऐसा ही जज्बा रखते हैं शहर में पांच रूपए में लोगों को भरपेट स्वादिष्ट खाना खिलाने वाली आशीर्वाद रसोई के संचालक राजीव को छड़ व उनके साथी स० कुंदन राज सिंह।
इस मौके पर आशीर्वाद रसोई के संचालक ने बताया कि राजीव को छड़ तथा स० कुंदन राज सिंह ने एक मुलाकात के दौरान बताया कि कुछ ही समय में उनकी यह रसोई अपने दो वर्ष पूरे कर लेगी। उन्होंने बताया कि उनकी शुरूआत में 100 लोगों को खाना खिलाने की योजना बनाई थी। अब वे अपने साथियों के सहयोग से 400 लोगों को यह लाभ दे पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि न केवल फरीदाबाद बल्कि दिल्ली में एम्स अस्पताल, मुम्बई में टाटा हॉस्पिटल तथा कोलकाता के बाद आशीर्वाद रसोई अपनी अगली यूनिट चंडीगढ़ में भी शुरू करने जा रही है।
मानी-जानी आशीर्वाद रसोई न केवल लोगों को पांच रूपए में खाना खिला रही है बल्कि गुरू महाराज घसीटाराम कंत जी के मिशन लोक भलाई पर चलते हुए पर्यावरण बचाने के लिए नो टू प्लास्टिक अभियान में भी हिस्सा ले रही है। इस योजना के तहत आशीर्वाद रसोई के सदस्य और कंत दर्शन दरबार के सेवकों ने कपड़े के बैगों का वितरण किया। सभी दुकानदारों को 25-25 कपड़े के बैग दिए तथा मार्केट में आने-जाने वाले लोगों को भी बैग वितरित किए तथा प्लास्टिक के इस्तेकाल से होने वाले नुकसानों से अवगत कराया। इसके अलावा त्यौहार के दिनों में आशीर्वाद रसोई त्यौहारिक रंगों में रंगी जाती है। बाजार में अगर कोई महिला मेंहदी लगवाने जाए तो एक हाथ पर मेंहदी लगाने के 100 रूपए देने पड़ते हैं। धन के अभाव में निम्नवर्गीय महिलाएं घर पर ही मेंहदी लगाकर अपना शौक पूरा कर लेती हैं। उनका भी मन तरसता होगा डिजाइनर मेंहदी लगवाने के लिए। इसलिए आशीर्वाद रसोई में करवाचौथ, दीवाली तथा भैयादूज के त्यौहारों पर मात्र-5 रूपए में मेंहदी लगाई जाती है।
कुंदन राज सिंह का कहना है कि हमारे इस प्रयास से हमारे जानने वाले रिश्तेदार तथा न जानने वाले भी हमारी मदद करते हैं। उनके घर में जो भी कपड़ा, खिलौना, बर्तन, किताबें, घडियां या कोई अन्य सामान रखा है। जिसे वे इस्तेमाल नहीं कर रहे जोकि किसी अन्य के काम आ सकता है, वे हमें दे जाते हैं। इस सामान को हम यहां पर आने वाले लोगों को दे देते हैं। चाहे उस वस्तु की कीमत सैकड़ों की हो या हजारों की हम उसके पांच रूपए ही लेते हैं।
हमारे गुरू महाराज घासीराम कंत जी कहते हैं कि जो इंसान अच्छा मानव बन जाता है वह किसी भी मार्ग पर चले उसकी उन्नति ही होती है। लोगों के दुखों को दूर करना तथा लोक भलाई करना ही उसका मिशन बन जाता है।


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