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सावधान: फर्जी दस्तावेजों के सहारे 134ए के तहत स्कूलों में दाखिला लेने वालों की अब खैर नहीं।

नियम 134ए में लिया फर्जी दस्तावेजों से दाखिला तो अब खैर नहीं, सवा लाख बच्चों के दाखिलों की होगी जांच
प्रदेशभर के निजी स्कूलों में नियम´ 134ए के तहत दाखिल बच्चों के अभिभावकों की होगी आर्थिक पिछड़ेपन की जांच
अधिकांश अभिभावकों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे बच्चों को दिलाए दाखिल!
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
चंडीगढ़/फरीदाबाद, 21 दिसम्बर:
प्रदेशभर के उन प्राईवेट स्कूल संचालकों के लिए राहत की खबर है जिनके स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के सहारे 134ए के तहत स्कूलों में दाखिले हुए हैं, वहीं उन अभिभावकों के लिए ये बुरी खबर है जो अपने नौनिहालों/बच्चों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे विभिन्न प्राईवेट स्कूलों में नियम 134ए के दाखिल कराकर उन्हें फ्री पढ़ा रहे हैं।
जी हां, गरीब लोगों के हक पर डाका मार फर्जी दस्तावेजों के सहारे नियम 134ए के तहत प्रदेशभर के प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों का उाखिला कराने वाले ऐसे अभिभावकों के खिलाफ कड़ा रूख अपनाते हुए शिक्षा निदेशालय ने ऐसे अभिभावकों द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों की जांच करने के आदेश जारी कर दिए हैं। जांच में जिन अभिभावकों के दस्तावेज फर्जी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ धोखाधड़ी करने के के मामले में मुकदमा भी दर्ज करवाकर उनके एडमिशन कैंसिल किए जाएंगे। यही नहीं, इन फर्जी दस्तावेजों को बनाने में जिन संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता पाई जाएगी उनके खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। ध्यान रहे कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे नियम 134ए के तहत प्राईवेट स्कूलों में एडमिशन कराए जाने के मामले को मैट्रो प्लस के माध्यम से पाईनवुड इंटरनेशनल बोर्डिंग स्कूल पावटा के प्रिंसीपल नरेन्द्र परमार और स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार द्वारा कई बार उठाया गया था जिस पर अब शिक्षा निदेशालय ने ये आदेश जारी किए हैं।
फर्जी दस्तावेजों के सहारे बच्चों को दाखिला दिलाने वालों की खैर नहीं होगी। कारण, अब आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के अंतर्गत निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत अपने बच्चों को दाखिला दिलाने वालों के दस्तावेजों की जांच के मौलिक शिक्षा निदेशालय ने आदेश दिए हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने नियम 134ए में गरीब बच्चों के दाखिला के दौरान अनियमितताएं बरते जाने संबंधी शिकायतें मौलिक शिक्षा निदेशालय को दी थी। शिकायत में यह भी हवाला दिया गया था कि कई अभिभावकों ने तो फर्जी दस्तावेजों के सहारे बच्चों को नियम 134ए के तहत दाखिला दिलाया दिया, जिसकी फिजिकल वेरिफिकेशन कराए जाने की भी मांग उठाई गई थी। मौलिक शिक्षा निदेशालय द्वारा वर्तमान शैक्षशिक सत्र 2019-20 के तहत करीब सवा लाख आर्थिक पिछड़ेपन के अंतर्गत आने वाले अभिभावकों के बच्चों को दाखिला 134ए के तहत दिया हुआ है। जबकि प्रदेशभर में करीब 2.75 लाख वैकेंसी थी, मगर सभी सीटों पर गरीब बच्चों के दाखिले नहीं हो पाए थे। जिन सीटों पर निजी स्कूलों में दाखिले किए गए उनमें भी कुछ अभिभावकों ने फर्जी यानी झूठी जानकारी देकर बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिला दिया। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के समक्ष ऐसी कई शिकायतें आई, जिसके बाद इस संबंध में मौलिक शिक्षा निदेशालय को शिकायतें भेजकर अवगत कराया गया। अब मौलिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों के अभिभावकों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की जांच के आदेश दिए हैं।
गलत सूचनाएं देकर बनवाए फर्जी सर्टिफिकेट व गलत तथ्यों पर गरीबों के हक डकारने वालों पर कराएंगे कार्रवाई: बृजपाल परमार
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि अपात्र होते हुए भी पात्र की श्रेणी में आने के लिए गलत सूचनाएं देकर फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर गलत तथ्यों के सहारे पात्र गरीब बच्चों के अधिकारों पर कुंडली जमाने वाले अभिभावकों पर कड़ी कार्रवाई कराई जाएगी। ऐसे अभिभावकों के खिलाफ शिक्षा विभाग को गुमराह करने व झूठे तथ्य मुहैया कराकर गलत तरीके से लाभ उठाने पर धोखाधड़ी का भी केस दर्ज हो सकता है। जबकि सरकारी योजना लाभ गलत तरीके से लेने में अगर किसी सरकारी कर्मचारी की भूमिका भी शामिल पाई जाती है तो उस पर भी साजिश के तहत धोखाधड़ी करने का मामला बनता है। ऐसे मामलों में संगठन अपात्र लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करा पात्र लोगों के बच्चों को उनका हक दिलाया जाएगा।
बृजपाल परमार ने बताया कि उनका संगठन गरीब बच्चों की शिक्षा व उनका हक दिलाने के लिए काम कर रहा है। किसी भी अपात्र द्वारा पात्र बच्चे की हकमारी नहीं करने दी जाएगी।


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