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मल्होत्रा ने कहा, केंद्र सरकार का 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज उम्मीद के मुताबिक नहीं।

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 15 मई:
DLF इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा ने केंद्र सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इस पैकेज में MSME सैक्टर को प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की गई है जिसकी वर्तमान में काफी उम्मीद व्यक्त की जा रही थी। श्री मल्होत्रा के अनुसार वित्तीय पैकेज में जो प्रावधान किए गए हैं, उसका मुख्य केंद्र बिंदु ऋण प्रक्रिया है और निर्विवाद सत्य है कि ऋण अंतत: ऋण ही होता है और बैंक वास्तव में बैंक ही रहते हैं।
श्री मल्होत्रा ने स्पष्ट करते कहा है कि यदि उद्योग ऋण लेते हैं तो यह उन पर एक आर्थिक भार रहेगा और बैंकों द्वारा वित्तीय सहायता सुलभता से प्रदान की जाएगी इसको लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। उनके अनुसार वास्तविकता यह है कि कोरोना वायरस के कारण चल रहे लॉक डाउन में एमएसएमई सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, वास्तुस्थिति यह है कि एमएसएमई सेक्टर के पास नकदी का अभाव बना हुआ है और केंद्र सरकार से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह लघु उद्योगों की इस समस्या के समाधान के लिए प्रभावी पग उठाएगी।
श्री मल्होत्रा के अनुसार ईएसआईसी अर्थात भविष्य निधि निगम के पास 80,000 करोड़ रूपए का एक फंड है जिसे आपात स्थिति में खर्च किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा है कि वर्तमान में उद्योगों के पास जबकि नकदी की समस्या बनी हुई है ऐसे में यदि वेतन व अन्य खर्चों के लिए ईएसआईसी विभाग अपना योगदान देता तो यह एमएसएमई सेक्टर के लिए एक बड़ी राहत थी।
आर्थिक पैकेज में प्रोविडेंट फंड में 2 प्रतिशत तक कटौती पर विचार व्यक्त करते हुए श्री मल्होत्रा ने कहा है कि यह छूट भी केवल उन्हीं उद्यमियों को मिलनी है जहां 9 प्रतिशत श्रमिक 15,000 रूपये से कम की सैलरी लेते हैं।
इस मौके पर श्री मल्होत्रा ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि यदि इस पूरी छूट का आकलन किया जाए तो यह प्रति माह 3 माह के लिए 300 रूपय से अधिक नहीं है जो कि महज 10 किलो आटे की कीमत के समान है। एमएसएमई सेक्टर की नई परिभाषा पर विचार व्यक्त करते हुए श्री मल्होत्रा ने कहा है कि यह एमएसएमई सेक्टर के लिए एक स्वागत योग्य निर्णय हैं, परंतु इससे वित्तीय परेशानियों और आर्थिक भार कम नहीं होगा।
एसोसिएशन के महासचिव विजय राघवन के अनुसार केंद्र सरकार से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह एमएसएमई सेक्टर के लिए बूस्टर इंजेक्शन की घोषणा करेगा ताकि एमएसएमई सेक्टर को नकदी की समस्या से उबारा जा सकेगा, परंतु आर्थिक पैकेज में इस संबंध में प्रावधान देखने को नहीं मिले, बल्कि वेतन, ब्याज और ऋण के रूप में एमएसएमई सेक्टर की समस्याएं बढ़ेंगी ऐसा कहा जा सकता है।
इस मौके पर श्री मल्होत्रा ने लाक डाउन के दौरान डीएलएफ औद्योगिक क्षेत्र में 5900 श्रमिकों के साथ 75 यूनिटों में कार्य आरंभ करने की अनुमति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा है कि स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के दिशा-निर्देश के साथ यह उद्योग कार्य करने को तैयार हैं, परंतु इन उद्योगों के समक्ष भी समस्याएं बनी हुई हैं।
श्री मल्होत्रा के अनुसार श्रम, ऑर्डर की स्थिति और कई तथ्यों पर किंतु-परंतु का असमंजस इन उद्योगों की समस्याएं बढ़ा रहा है, जिसे तुरंत प्रभाव से दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने सप्लाई चैन सिस्टम के लिए प्रभावी पग उठाने का आग्रह करते हुए कहा है कि इसके लिए भी कैश फ्लो काफी आवश्यक है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
इस मौके पर मल्होत्रा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह वर्तमान परिवेश में उद्योगों की समस्याओं को समझें और ऐसे पग उठाए जाएं जिससे उद्योगों के समक्ष आ रही नकदी की समस्या का फौरी तौर पर समाधान हो सके।
श्री मल्होत्रा के अनुसार लगभग 2 माह के अंतराल उपरांत उद्योगों को आरंभ करने के लिए और उन्हें पुन: गति पकडऩे के लिए आर्थिक सहयोग जरूरी है और ऋण व ब्याज से अलग यदि वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है तो यह उद्योगों को एक बड़ी राहत प्रदान करेगा जो लाक डाउन के नाकारात्मक प्रभावों से बचने की दिशा में कारगर कदम होगा।


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