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मल्होत्रा ने कहा, MSME सेक्टर के लिए फौरी तौर पर Cash फ्लो उपलब्ध कराना समस्या का समाधान नहीं।

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 11 जून:
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा ने केंद्र सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर के लिए ऋण संबंधी सुविधा प्रदान करने तथा लिक्विडिटी स्पोर्ट के लिए घोषित योजनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह एमएसएमई सेक्टर के लिए फौरी तौर पर कैश फ्लो उपलब्ध कराने का समाधान नहीं है। यहां मीडिया से बातचीत करते हुए श्री मल्होत्रा ने कहा है कि वर्तमान समय में जबकि अर्थव्यवस्था गंभीर चुनौतियों के दौर से गुजर रही है, ऐसे में सरकार पर और अधिक व्यय करने की उम्मीद नहीं रखी जानी चाहिए।
श्री मल्होत्रा के अनुसार कई ऐसे तथ्य हैं जिन पर यदि ध्यान दिया जाए तो एमएसएमई सेक्टर के समक्ष कैश फ्लो को लेकर आ रही समस्या से निपटा जा सकता है। उन्होंने एमएसएमई सेक्टर के लिए बड़े उद्योगों द्वारा विशेष रुप से राहत व प्रोत्साहन देने की नीति को अपनाने की आवश्यकता जताई है।
श्री मल्होत्रा के अनुसार यदि बड़े उद्योग एमएसएमई सेक्टर की उधारी को कम करें और अपने मार्जिन में कमी लाएं तो इससे एमएसएमई सेक्टर की काफी परेशानियों का समाधान हो सकता है। इसके साथ साथ श्री मल्होत्रा ने जीएसटी के संबंध में सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की मांग करते हुए कहा है कि जीएसटी रिटर्न टीडीएस और आईटी रिटर्न को न्यूनतम मद पर निर्धारित किया जाना चाहिए।
श्री मल्होत्रा के अनुसार ऑटोमोबाइल सेक्टर सहित रियल एस्टेट सेक्टर के समक्ष जो माहौल व चुनौतियां बनी हुई है, उन पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने इस संबंध में ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बीएस सिक्स नामर्स 1 वर्ष के लिए लंबित करने की जहां आवश्यकता पर बल दिया है, वहीं श्री मल्होत्रा ने रियल एस्टेट के क्षेत्र में सीमेंट, स्टील, इलेक्ट्रिकल, इंटीरियर डेकोरेशन कंपनियों को विशेष रूप से प्रोत्साहन देने का आग्रह किया है।
श्री मल्होत्रा के अनुसार ऑटोमोबाइल सेक्टर में लाखों श्रमिक कार्य कर रहे हैं और यदि हम बीएस 6 नॉम्र्स को कुछ समय के लिए लंबित करते हैं तो इससे अधिक नुकसान नहीं होगा, बल्कि रोजगार तथा राजस्व में बढ़ोतरी होगी। इसी प्रकार रियल एस्टेट के क्षेत्र में स्टाम्प ड्यूटी में कमी, सर्कल रेट व रजिस्ट्रेशन में कमी तथा सेल परचेस व ट्रांसफर संबंधी कंप्लीशन पर न्यूनतम राजस्व के लिए नीति तैयार करने की आवश्यकता पर भी श्री मल्होत्रा ने बल दिया है। उन्होंने इसके साथ-साथ प्रोविडेंट फंड कंट्रीब्यूशन में 10 प्रतिशत तथा ईएसआई में 3 प्रतिशत की भागीदारी को 2 वर्ष तक जारी रखने का आग्रह करते कहा है कि इससे उद्योगों को राहत मिलेगी।
श्री मल्होत्रा ने जीएसटी तथा व्यक्तिगत आय संबंधी रिटर्न की दरों में कटौती करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि यह वर्तमान समय की एक बड़ी मांग है।
एसोसिएशन के महासचिव श्री विजय आर राघवन ने इसके साथ-साथ बाजार में मांग को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाने, कंज्यूमर ड्युरेबल्स के लिए वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बनाने की भी मांग की है।
वहीं श्री मल्होत्रा ने श्रम संबंधी कानूनों को उदार बनाने, टैक्स दरों को न्यूनतम स्तर पर लाने, एमएसएमई सेक्टर के लिए रिटर्न को कम करने तथा इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है। श्री मल्होत्रा ने कहा है कि रोजगार व राजस्व को बढ़ाने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहन देना जरूरी है और इस प्रोत्साहन के लिए उद्योगों को वह सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिनसे उन्हें वर्तमान चुनौती से निपटने में सहायता मिल सके।


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