मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
फरीदाबाद, 9 जुलाई: मुख्यमंत्री कार्यालय यानि CMO के नाम पर अवैध निर्माण के कार्यो को अंजाम देने में शहर का एक बिल्डर काफी सक्रिय है। नगर निगम क्षेत्र में बे-रोकटोक अवैध निर्माण करने के मामले में माहिर कहे जाने वाला एक ठेकेदार/बिल्डर अक्सर चर्चाओं में रहता है। अपने आपको मुख्यमंत्री के प्रिंसीपल सेक्रेटरी आरके खुल्लर सहित कई IAS अधिकारियों का खासमखास और उनसे अपने दोस्ताना/लंगोटिया संबंध बताकर ये ठेकेदार नगर निगम फरीदाबाद में रिहायशी प्लॉटों की CLU कराए बिना उन पर धड़ाधड़ बहुमंजिला व्यवसायिक ईमारत बनाकर सरकार व नगर निगम को करोड़ों रूपये के राजस्व का चूना लगाने में पिछले काफी अर्से से लगा हुआ है। उक्त अधिकारियों का खासमखास बताकर निगम के संबंधित अधिकारियों पर रौब झाडऩे वाले इस ठेकेदार का खुला चैलेंज होता है कि कोई भी अधिकारी उसके अवैध निर्माण की तरफ आंख उठाकर तक नहीं देख सकता, तोडऩा तो रही दूर की बात।
शायद यही कारण है कि NIT के श्री वैष्णोदेवी मंदिर के सामने एनएच-1 में 1F/31, BP (लोहे की चद्दरों की आड़ में), तिकोना पार्क स्थित केनरा बैंक के बराबर में और श्री शनिदेव मंदिर के सामने जहां इस ठेकेदार के अवैध निर्माण जोर-शोर से चल रहे हैं, वहीं निगमायुक्त की सरकारी कोठी के सामने इस ठेकेदार ने सीना चौड़ा कर दिन-रात अवैध निर्माण को लगभग पूरा भी कर दिया है। ये तो चंद उदाहरण मात्र है, इसके अलावा NIT में कई ओर भी जगह इस ठेकेदार के अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं जिसकी जानकारी हम आपको अपनी अगली खबर में देंगे।
इस बारे में जब तोडफ़ोड़ विभाग के एसडीओ पदमभूषण से पूछा गया तो उनका मानना था कि उपरोक्त निर्माणाधीन ईमारतों के नक्शे रिहायशी पास है ना कि कॉमर्शियल।
हां, इस ठेकेदार की एक खास बात यह है कि वह अवैध निर्माण कराने से पहले नक्शा तो निगम से पास जरूर कराता है लेकिन रिहायशी और फिर उस रिहायशी नक्शे की आड़ में बिना किसी CLU के प्लॉट पर पूरी तरह से बहुमंजिला व्यवसायिक ईमारत तैयार कर सरकार और MCF को करोड़ों रूपये के राजस्व का चूना लगा देता है। और संबंधित अधिकारी हैं कि इस ठेकेदार द्वारा दिए गए नोटों के बंडल की रोशनी में आंखें मूंदे बैठे रहते हैं।
वहीं दूसरी तरफ नगर निगम फरीदाबाद के कमिश्रर की कांटों से भरी कुर्सी का चार्ज संभालते ही जिस प्रकार से निगमायुक्त यश गर्ग ने NIT इंडस्ट्रियल एरिये में बिना CLU के अवैध सब-डिविजन कर एक्सप्रो कंपनी पर हो रहे अवैध निर्माण पर अपना पहला पीला पंजा चलवाया, उससे अवैध निर्माणकर्ताओं में हड़कम्प सा मच गया था। इस पहली तोडफ़ोड़ ने नगर निगम फरीदाबाद की कमिश्रर रही अनिता यादव की कार्यशैली की याद भीताजा कर दी थी जिन्होंने कि अपने कार्यकाल में अवैध निर्माणकर्ताओं पर नकेल कसते हुए निगमायुक्त का चार्ज लेते ही शहर के विकास के साथ-साथ तोडफ़ोड़ पर ध्यान केन्द्रित कर रखा था। जिस कारण जहां अवैध निर्माणकर्ताओं के पसीने छूटे हुए थे, वहीं तोडफ़ोड़ विभाग के अधिकारी भी अवैध निर्माण के मामले में चौकन्ने से रहते थे।
जब निगमायुक्त डॉ.यश गर्ग ने पदभार संभालते ही तोडफ़ोड़ की उस पहली घटना को अंजाम दे दिया तो इस अवैध निर्माणकर्ता ने रेवाड़ी, रोहतक, चंडीगढ़ सहित उन जगहों पर अपने सम्पर्कों के माध्यम से निगमायुक्त के जुगाड़ ढूंढने शुरू कर दिए थे जहां-जहां उनकी पोस्टिंग रही थी। इस काम में संलिप्त एक ठेकेदार तो पागल सा हुआ पड़ा था जोकि पहले तो NGT और फिर कोरोना के चलते हुए लॉकडाऊन के कारण काम नहीं कर पा रहा था। और अब जब निर्माण कार्य शुरू हो चुके हैं तो इसने रूके हुए अपने अवैध निर्माणों को दोबारा से शुरू कर दिए हैं जोकि फिलहाल 5-6 जगह चल रहे बताए जा रहे हैं। यह ठेकेदार रहता तो सैक्टर-15 में है लेकिन अपने सारे अवैध निर्माण तोडफ़ोड़ विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करता है बडख़ल विधानसभा क्षेत्र के अंर्तगत एनएच.-1 व 5 में है।
अब देखना यह है कि निगमायुक्त डॉ. यश गर्ग का कहर किस दिन इस ठेकेदार द्वारा करवाए जा रहे अवैध निर्माणों पर बरपता है जिससे कि सरकार व नगर निगम को करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है। जबकि उक्त ठेकेदार का दावा है कि उसने निगमायुक्त डॉ. यश गर्ग के पास मुख्यमंत्री कार्यालय यानि सीएमओ से मुख्यमंत्री के प्रिंसीपल सेक्रेटरी आरके खुल्लर का फोन करवा दिया है, इसलिए अब उन्हें किसी का खतरा नहीं हैं।
गौरतलब रहे है कि नगर निगम क्षेत्र में अवैध निर्माण का कार्य एक बड़े व्यवसाय के रूप में पनप रहा है। जिस वजह से निगम को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा हैं वहीं इस अवैध निर्माण के धंधे को शह देकर निगम अधिकारी अपनी-अपनी तिजोरियां दिन-प्रतिदिन भरने में लगे हुए हैं। निगम क्षेत्र में चंद ऐसे ठेकेदारों का गिरोह सक्रिय है या कहिए बोलबाला है जोकि अवैध निर्माण करने के लिए निगम अधिकारियों से अपनी सैटिंग के चलते प्लॉट मालिक से मुंहमांगे दाम वसूलते है। इन ठेकेदारों की गारंटी होती है कि जिस प्लॉट पर वो निर्माण करेंगे उस पर निगम का तोडफ़ोड़ दस्ता अपनी दृष्टि/नजर नहीं मारेगा। – क्रमश: