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कौन हैं वो अधिकारी जो प्रमोशन करने के लिए जिला रजिस्ट्रार IS Yadav को बचाने में लगे हैं?

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
चंडीगढ़/गुरूग्राम/फरीदाबाद, 16 जुलाई:
आखिर क्या कारण है कि हरियाणा के इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स विभाग में तैनात आईएस यादव नामक असिस्टेंट डॉयरेक्टर को उनके ही विभाग के कुछ अधिकारी बचाने में लगे हुए हैं ताकि उनकी प्रमोशन होकर वे डिप्टी डॉयरेक्टर बन सकें। शायद यही कारण रहा कि जहां उनके ट्रांसफर तथा उनके फरीदाबाद और दिल्ली के कई चार्ज छीनने के इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स विभाग के कमिश्रर के तीन जुलाई के आर्डर तक को करीब एक सप्ताह तक रोककर 10 जुलाई की शाम को जारी किए, वहीं उनके खिलाफ हुई शिकायतों की जांच में उनको दोषी पाए जाने के बावजूद भी असिस्टेंट डॉयरेक्टर आईएस यादव जिनके पास फिलहाल नूंह और रिवाड़ी का चार्ज है, को चार्जशीट करने की बजाए उनको सिर्फ जवाब तलबी की गई।
ध्यान रहे कि नूंह में तैनात ईश्वर सिंह यादव यानि आईएस यादव नामक असिस्टेंट डॉयरेक्टर पर डिस्ट्रिक इंडस्ट्रीज सेंटर फरीदाबाद के ज्वाईंट डॉयरेक्टर सहित एडिशनल जनरल मैनेजर, ट्रेड फेयर अथार्रिटी ऑफ हरियाणा, नई दिल्ली, लॉयसन ऑफिसर इंडस्ट्रीज, हरियाणा भवन, नई दिल्ली और जनरल मैनेजर चुनारी इम्पोरियम, नई दिल्ली का एडिशनल चार्ज था जोकि काफी महत्वपूर्ण पोस्ट हंै।
जानकारी के मुताबिक गुरूग्राम की 6 व्यवसायिक और रिहायशी कॉलोनी के रेजिडेंट्स ने अपनी कॉलोनी की आरडब्ल्यूए और शॉप एसोसिएशन के खिलाफ जिला रजिस्ट्रार कार्यालय गुरूग्राम में शिकायत की थी। आरोप था कि इन शिकायतों पर कार्यवाही करने की बजाए गुरूग्राम में ज्वाईंट डॉयरेक्टर कम जिला रजिस्ट्रार, फर्म एंड सोसायटी के तौर पर अपनी तैनाती के दौरान जिला रजिस्ट्रार आईएस यादव ने मामले को लटकाए रखा। इस पर इस सारे मामले की शिकायत उक्त शिकायतकर्ताओं ने विभाग के उच्चअधिकारियों को कर दी। चंडीगढ़ मुख्यालय ने इन शिकायतों की जांच के लिए अपने इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स विभाग के एडिशनल डॉयेक्टर वजीर सिंह को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त कर दिया था। वजीर सिंह ने अपनी जांच में आईएस यादव को दोषी करार देते हुए अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यालय में सौंप दी।
आरोप है कि चंडीगढ़ मुख्यालय में बैठे आईएस यादव के चहेतों ने लालचवश इस जांच रिपोर्ट पर कार्यवाही करने की बजाए इसे दबाए रखा। अब जब गुरूग्राम के शिकायतकर्ताओं ने अपनी शिकायत पर कोई कार्यवाही ना होती देख इस मामले में जब जनसुचना अधिनियम यानि आरटीआई के तहत विभाग से जानकारी मांगी तो अफरातरफरी में अपने को फंसता देख मुख्यालय से गत् 2 जुलाई को पत्र क्रमांक मीमो न.एडमन/आई/आई.एस.यादव//कंम्पलेंट/8617-ए जारी कर जोकि डॉयरेक्टर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, हरियाणा के कार्यालय से ज्वाईंट डॉयरेक्टर (एडमन) द्वारा जारी कर दिया गया।
मजेदार बात तो यह है कि इस पत्र में आईएस यादव नामक असिस्टेंट डॉयरेक्टर को जांच अधिकारी द्वारा दोषी करार किए जाने के बावजूद उनसे सिर्फ जवाब तलबी की गई ना कि उन्हें चार्जशीट किया, जोकि होना चाहिए था। इस मामले में जब मुख्यालय बैठे विभागीय अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने दबी जुबान में स्वीकार किया कि आईएस यादव को असिस्टेंट डॉयरेक्टर से डिप्टी डॉयरेक्टर की प्रमोशन देने के लिए ही उन्हें चार्जशीट करने की बजाए सिर्फ उनसे जवाब तलबी कर खानापूर्ति की गई है ताकि उनकी प्रमोशन में कोई रूकावट ना आए।
ऐसे में यहां सवाल यह उठता है कि जब विभाग के एडिशनल डॉयेक्टर वजीर सिंह ने आईएस यादव को दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट में दोषी करार दे ही दिया तो फिर उन्हें चार्जशीट करने की बजाए कारण बताओ नोटिस क्यों दिया गया। इसलिए मुख्यालय की यह कार्यवाही संदेहात्मक नजर आ रही है।
वहीं मुख्यालय द्वारा दो जुलाई को जारी किए गए एक्सपलेशन लैटर में आईएस यादव से सात दिनों के अंदर व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब मांगा गया है और जवाब ना देने की सूरत में उनके खिलाफ कार्यवाही करने की बात की गई है। ये मियाद पत्र के मुताबिक 9 जुलाई को समाप्त हो चुकी है और उन्होंने जवाब दिया है या नहीं, इस बारे में कोई बताने को तैयार नहीं है।
इस मामले में जब इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स विभाग के प्रिंसीपल सेक्रेटरी ए.के. सिंह और डॉयरेक्टर साकेत कुमार से उनका पक्ष जानना चाहा तो उनसे बात ना हो सकी।
इसके अलावा ज्वाईंट डॉयरेक्टर कम जिला रजिस्ट्रार, फर्म एंड सोसायटी के तौर पर अपनी तैनाती के दौरान फरीदाबाद में भी आईएस यादव ने कई ऐसे आर्डर किए जिन पर उंगलियां उठ रही हैं। इनमें से एक मामला था गढ़वाली संस्था का जिसमें आईएस यादव पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं जिसका खुलासा हम अपनी अगली खबर में करेंगे।
जो भी हो जिस तरह से इस अधिकारी पर आरोप लग रहे हैं उससे कहीं ना कहीं दाल में काला नजर आ रहा है। -क्रमश:


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