Metro Plus से Jassi Kaur की रिपोर्ट
Faridabad News,6 अक्टूबर: कोविड-19 अभी भारतीय परिवेश में बना रहेगा और इस दौरान रोजगार तथा अर्थव्यवस्था के हित में उद्योगों को चलाना भी आवश्यक है, ऐसे में जहां उद्योग प्रबंधकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है वहीं सरकार तथा संबंधित विभागों को भी चाहिए कि वह परिस्थितियों को समझे और उसी के अनुरूप योजना व नीति तैयार की जाए। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने हाल ही में न्यूनतम वेतन बढ़ौतरी संबंधी सर्कुलर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा है कि यह एमएसएमई सैक्टर पर एक अतिरिक्त आर्थिक भार है जिसे वापिस लिया जाना चाहिए।
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जे.पी मल्होत्रा के अनुसार लॉकडाउन के बाद एमएसएमई सैक्टर को रिकवरी के लिए अभी समय लगेगा जबकि सामान्य स्तर पर आने के लिए एक बड़े घटनाक्रम से गुजरना पड़ेगा। श्री मल्होत्रा ने बताया कि जो परिस्थितियां बनी हुई हैं उनमें उत्पादन की लागत बढ़ रही है। कोविड-19 संबंधी मानकों को मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसैस का हिस्सा बनाना पड़ रहा है, लॉकडाउन के दौरान बिना उत्पादन व बिक्री के श्रमिकों को वेतन देना पड़ा और अब सरकार ने 1.1.20 से प्रभावी न्यूनतम वेतन जारी कर दिया है जो वास्तव में एमएसएमई सैक्टर पर एक अतिरिक्त भार है जिसे मौजूदा समय में सहन नहीं किया जा सकेगा।
श्री मल्होत्रा के अनुसार एमएसएमई सैक्टर पहले से ही अपने उत्पादन की लागत में बढ़ौतरी से परेशान है और उपभोक्ता द्वारा बढ़ी हुई लागत न देने के कारण आर्थिक परेशानियों के दौर से गुजर रहे हैं, ऐसे में न्यूनतम वेतन में बढ़ौतरी एमएसएमई सैक्टर्स की परेशानियों को और बढ़ा देगी जिस पर सरकार व संबंधित विभागों को ध्यान देना चाहिए।
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव विजय राघवन के अनुसार वर्तमान में उद्योग सरकार व सभी संबंधित उद्योगों से सहयोग की उम्मीद रख रहे हैं, ऐसे में उद्योगों पर आर्थिक भार नहीं थोपा जाना चाहिए।
एसोसिएशन का मानना है कि वित्त वर्ष 2020-21 को जीरो ईयर, शून्य वर्ष माना जाना चाहिए और इस दौरान किसी भी प्रकार के वेतन में बढ़ौतरी या कटौती के प्रावधान नहीं किए जाने चाहिएं। एसोसिएशन ने इस संबंध में न्यूनतम वेतन सकुर्लर दिनांक 30.09.20 से तुरंत प्रभाव से निरस्त करने का भी आग्रह किया है।