मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ़/भिवानी, 21 नवम्बर: फर्जी एनओसी के सहारे हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय से 9वीं से 12वीं कक्षा तक की मान्यता हासिल करने का मामला सामने आया है। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक निजी स्कूल व संबंधित शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ चार सप्ताह में शिकायत पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुदीप आहलूवालिया ने मामले की सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार की शिकायत पर आदेश किए हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने भिवानी एसपी को दी शिकायत में बताया था कि गांव आसलवास मरहेटा स्थित वत्स इंटली प्रभुराम सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा फायर विभाग की फर्जी एनओसी तैयार कर हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय से नौंवी से 12वीं कक्षा तक की मान्यता 2018 में प्राप्त कर ली थी।
इसी मामले में आरटीआई के जरिए असल व फर्जी एनओसी भी शिक्षा निदेशालय से प्राप्त कर ली थी। जिसके बाद मामले की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी भिवानी अजीत सिंह श्योराण को की थी, मगर जिला शिक्षा अधिकारी ने इस शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाए खुद ही कुंडली जमा शिकायत को ही दबा दिया था। इसी मामले में स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से 9 नवंबर को हाईकोर्ट में मामले में न्याय की गुहार लगाई। 19 नवंबर को हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान भिवानी एसपी को चार सप्ताह के अंदर शिकायत पर कार्रवाई करने के आदेश किए हैं।
शिकायत में इनके खिलाफ की गई कार्रवाई की मांग:-
बृजपाल सिंह परमार ने मामले की शिकायत में वत्स इंटली प्रभुराम सीनियर सेकेंडरी स्कूल आसलवास मरहेटा के डॉयरेक्टर गजानंद शर्मा, स्कूल संचालक संदीप शर्मा, स्कूल प्राचार्या दीक्षा शर्मा सहित सरकारी स्कूल के प्राचार्य श्रीराम शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी करने व सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने पर आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज किए जाने व जिला शिक्षा अधिकारी भिवानी अजीत सिंह श्योराण के खिलाफ शिकायत दबाने व निजी स्कूल से मिलीभगत करने पर केस दर्ज किए जाने की मांग की गई थी।
ये था पूरा मामला:-
भिवानी जिले के गांव आसलवास मरहेटा स्थित वत्स इंटली प्रभुराम सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा 2 सितंबर, 2014 में दमकल विभाग से एनओसी ली थी। इसके बाद निजी स्कूल से शिक्षा निदेशालय ने नई फायर एनओसी मांगी थी। निजी स्कूल प्रबंधन समिति सदस्यों ने पुरानी एनओसी के साथ छेड़छाड़ करते हुए 2 सितंबर, 2018 की फर्जी एनओसी तैयार कर ली और इसी फर्जी एनओसी के जरिए कक्षा नौंवी से 12वीं तक की स्थायी मान्यता भी हासिल कर ली थी। इसी फर्जी एनओसी की जांच पड़ताल जिला दमकल अधिकारी कार्यालय द्वारा भी की गई। जिसकी जांच रिपोर्ट 23 जुलाई, 2020 को की गई। इस जांच रिपोर्ट में जिला दमकल अधिकारी ने भी एनओसी को फर्जी बताया और इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को जो सक्षम अधिकारी हैं उसे कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। मगर इस पर भी जिला शिक्षा अधिकारी ने कोई कदम नहीं उठाया था।
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