Metro Plus News
Uncategorizedएजुकेशनफरीदाबादराजनीतिहरियाणा

ब्रांडेड प्राइवेट स्कूलों के गड़बड़झाले सामने आये, जानिए कैसे करते है करोड़ों की रकम इधर-उधर!

~ लाभ में होते हुए भी वसूलते हैं मनमानी फीस!
~ RTI से हुआ खुलासा?!
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट।
फ़रीदाबाद, 27 जून:
हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि ब्रांडेड प्राइवेट स्कूल प्रबंधक खासकर CBSE वाले लाभ में होते हुए भी प्रतिवर्ष ट्यूशन फीस व अन्य फंडों में वृद्धि करके अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलते हैं। मंच ने आरोप लगाया है कि स्कूल प्रबंधक पेरेंट्स से वसूली गई फीस का इस्तेमाल अपने निजी खर्चो व अपने अन्य संस्थानों पर खर्च करते हैं।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में RTI लगाकर CBSE व हरियाणा बोर्ड के उन सभी प्राइवेट स्कूलों की सूची मांगी थी जिन्होंने पिछले 3 सालों में बैलेंस शीट के साथ फार्म-6 जमा कराया है।
मिली जानकारी के अनुसार निर्धारित अवधि 31 मार्च, 2021 तक CBSE के 150 स्कूलों में से सिर्फ 88 ने फार्म-6 जमा कराया है जिसमें से 44 ने बैलेंस शीट नहीं लगाई है। उसी प्रकार हरियाणा बोर्ड के 350 स्कूलों में से सिर्फ 20 स्कूलों ने फॉर्म-6 जमा कराया है उसमें से भी 10 ने बैलेंस शीट नहीं लगाई है।
मंच ने अलग से CBSE के 36 स्कूलों द्वारा पिछले 3 सालों में बैलेंस शीट के साथ जमा कराए गए फार्म-6 की फोटोकॉपी भी मांगी थी जिसमें से DAV 14, 37 व बल्लभगढ़, सेंट एंथोनी, टैगोर, MVN 17 व अरावली, APJ, होली चाइल्ड, अग्रवाल बल्लमगढ़, DPS 19, 81 व बल्लमगढ़, सेंट थॉमस, तक्षशिला, EICHER स्कूल, मानव रचना, मॉर्डन स्कूल-17 आदि का आधी अधूरी बैलेंस शीट के साथ फार्म-6 प्राप्त हुआ है। शेष स्कूल ग्रैंड कोलंबस इंटरनेशनल स्कूल, DAV-49 व NIT-3, अग्रवाल पब्लिक स्कूल सेक्टर-3, रेयान, श्रीराम, हरमनगेमिंनर, गोल्ड फील्ड सेक्टर-16 ने फार्म-6 व बैलेंस शीट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा ही नहीं कराई है।
मंच ने उपलब्ध बैलेंस शीट की जांच व पड़ताल मंच के वरिष्ठ सलाहकार सतीश मित्तल CA से कराई है। जांच से पता चला है कि स्कूल प्रबंधकों ने लमसम आमदनी दिखाई है। ट्यूशन फीस के अलावा अन्य जिन गैर-कानूनी फंडों में फीस वसूली गई है उन फंडों का नाम और उनमें वसूली गई फीस का जिक्र नहीं किया गया है। इसी प्रकार खर्चों में कई फालतू मदों जैसे एडवरटाइजमेंट, लीगल, एनुअल फंक्शन, किताब कॉपी बेचने, वेलफेयर मनोरंजन, डोनेशन, दिवाली खर्चा, टूर एंड ट्रैवल, प्लॉट व जमीन खरीदने आदि पर लाखों खर्चा दिखाया है जोकि पूरी तरह से गैर-कानूनी है। इसके अलावा आमदनी व खर्चा बराबर करने के लिए जो पैसा लाखों में लाभ के रूप में बचा उसे अन्य दूसरे खर्चों पर दिखा दिया गया है। यह बात भी पकड़ में आई है कि लाभ के पैसे को अपने अन्य संस्थानों में ट्रांसफर किया गया है। जितने अध्यापक व कर्मचारियों के नाम व उनको दी गई सैलरी दिखाई हैं उसमें भी हेराफेरी की गई है। बिना कार्यरत अध्यापक व कर्मचारियों के नाम दर्शाए गए हैं। जितनी तनख्वाह उनके नाम के आगे दिखाई गई है वास्तव में वह उनको दी ही नहीं गई है। स्कूल प्रबंधकों ने साइन पूरी तनख्वाह पर कराये हैं जबकि दी उससे आधी है। स्कूल की शिक्षण सोसायटी के चेयरमैन, एमडी, प्रबंधक व उनकी धर्मपत्नी आदि ने प्रति महीने 5 लाख से ज्यादा तनख्वाह ली है जबकि कानूनन वे स्कूल से कोई भी पैसा लेने के हकदार नहीं होते हैं।
मंच का आरोप है कि स्कूल प्रबंधकों ने जान-बूझकर फॉर्म 6 के साथ बैलेंस शीट जमा नहीं कराई है और जिन्होंने जमा भी कराई है तो उसमें काफी हेराफेरी की गई है।
मंच ने उदाहरण के रूप में बताया है कि DAV-37 की बैलेंस शीट में 2017-18 में 4 करोड़ व 2018-19 में दो करोड़ 31 लाख की बचत दिखाई गई है उसके बावजूद भी इस स्कूल ने आगे फीस बढ़ाई व डेवलपमेंट फंड के रूप में लाखों रुपए अभिभावकों से वसूले। इसी प्रकार DAV-14 ने फीस व सेल्स के रूप में 37 करोड़ से ज्यादा पैसे आमदनी में दिखाए हैं लेकिन किन-किन फंडों में व किस-किस मदों में सेल्स करके आमदनी की उसको नहीं बताया है। इसी प्रकार आमदनी व खर्च को पूरा करने के लिए असिस्टेंस के रूप में 17-18 में एक करोड़, 90 लाख, 18-19 में तीन करोड़ से ज्यादा खर्चा दिखाया गया है। किस रूप से और किन मदों में यह खर्चा हुआ स्कूल ने यह नहीं बताया है। इसके अलावा 14 करोड़ 60 लाख की बैंक में FD दिखाई गई है। फिर भी यह स्कूल कहता है कि वह घाटे में है।
मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि DPS, ग्रैंड कोलंबस, मानव रचना आदि सभी स्कूलों ने भी ऐसा ही काम कर रखा है। इनकी भी बैलेंस शीट प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है।
मंच का लीगल व ऑडिट सैल सभी बैलेंस शीट का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। जांच पड़ताल हो जाने के बाद सबसे पहले हरियाणा सरकार से मांग की जाएगी कि इन सभी स्कूलों के साथ साथ फरीदाबाद के अन्य सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 5 साल के खातों की, आमदनी व खर्च की जांच CAG से कराई जाए। मांग पूरी ना होने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का सहारा लिया जाएगा।


Related posts

बिजली-पानी देने में फेल सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों ने मुख्यालय पर फोड़े मटके और ट्यूबलाइटें

Metro Plus

भीषण गर्मी में ठंडे पानी को तरस रहे इस स्कूल के बच्चे

Metro Plus

बडख़ल झील एक बार फिर पर्यटन केंद्र के रूप में कैसे उभरेगी? देखें!

Metro Plus