समधी कवल खत्री ने ही किया जब पीर जी और आनंदकांत भाटिया को भी कटघरे में खड़ा?
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 16 सितम्बर: बर्बाद गुलिस्तां करने को, बस एक ही उल्लू काफी है। यहां हर शाख पे उल्लू बैठें हैं ,अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा।।
राम जन्मभूमि अयोध्या में जन्मे एक मशहूर शायर शौक बहराइची का नेताओं व गलत कार्यो में लिप्त व्यक्तियों पर कटाक्ष करने के लिए लिखा गया उक्त शेर नगर निगम फरीदाबाद MCF पर एकदम सटीक बैठता है। एक लम्बे अरसेे से आर्थिक तंगी से गुजर रहे MCF के पास इतनी जमीन और आय के साधन हैं कि वो कभी कर्जे में नहीं रह सकता। बावजूद इसके, निगम को अपने कर्मचारियों की सेलरी तक देने का राज्य सरकार की तरफ देखना पड़ता है। दूसरी तरफ निगम की जमीन का असली फायदा जहां चंद रसूखदार लोग उठा रहे हैं, वहीं भ्रष्ट्राचार में डूबे निगम के अधिकारी निगम की आय को अपनी आय का साधन बनाकर मालामाल हुई बैठे हैं।
बता दें कि MCF के पास निगम क्षेत्र में ऐसे ना जाने कितने पार्क/जगह हैं जिन पर चंद रसूखदार लोगों ने अवैध रूप से मार्किट बनाकर उन पर मार्किट बनाई हुई है और उनसे लाखों रूपयों का किराया वसूल रहे हैं, पगड़ी की रकम अलग। वास्तव में जो पैसा निगम के खजाने में जाना चाहिए उनको वो अपनी तिजोरियों में भरने में लगे हुए हैं। ऐसा नहीं हैं कि निगम के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं हैं, अपितू अपने निजी स्वार्थ के लिए वे इस तरफ से चुप्पी साधे हुए हैं।
अब बात करते हैं असली मुद्दे की तो शहर का कनॉट पैलेस कहे जाने वाली NH-1 मार्किट के बीचोंबीच नगर निगम फरीदाबाद के NH-1-D पार्क की करीब 2.5 एकड़ ऐसी बेशकीमती जगह है जिस पर आधे-आधे पर होना तो पीर मोतीनाथ मंदिर और पार्क चाहिए था, लेकिन वहां मंदिर की जगह पर नाममात्र के मंदिर/पीर जी की गद्दी और छोटे से पार्क को छोड़कर लंबी-चौड़ी मार्किट और रहने के लिए शानदार कोठी बनी हुई है। वहीं मार्किट का किराया भी बजाए नगर निगम के रसूखदारों द्वारा वसूला जा रहा है। वहीं करीब 70-80 वर्गगज जगह पर एक पूर्व विधायक का कब्जा बताया जाता है।
क्या है NH-1D पार्क का सच?:-
बता दें कि पुर्नवास विभाग यानि MOR के सन् 1958 और 1961 के नक्शे में NH-1D पार्क की करीब 2.5 एकड़ जगह में आधे में पार्क दर्शाया गया है तो आधे में पीर मोतीनाथ मंदिर, और कुछ हिस्सा संभावित तौर पर किसी के नाम के नाम अलॉट है। लेकिन यदि ग्राऊंड लेवल पर आकर देखा जाए तो जिस सवा एकड़ में पीर मोतीनाथ मंदिर होना चाहिए था, वहां मात्र करीब 1200 वर्गगज जगह में तो पीर मोतीनाथ की गद्दी है और करीब 300-400 वर्गगज में रहने के लिए पीर जी ने अपने व परिजनों के लिए एक आलीशान कोठी बनाई हुई है जोकि अवैध रूप से बनी बताई जाती है! इसके अलावा बाकी जगह पर ग्राऊंड फ्लोर पर एक पूरी मार्किट बनी हुई जिसमें करीब 13 दुकानें बनाकर उनसे लाखों रूपयों का किराया भी वसूला जा रहा है जोकि रसूखदारों की जेब में जा रहा है। यहां एक-दुकान की कीमत करोड़ों में है। यदि नगर निगम पीर जी की धार्मिक गद्दी को छोड़कर बाकी जगह पर बनी दुकानों और रिहायश को अपने कब्जे में ले ले तो नगर निगम को करोड़ों की प्रोपर्टी और लाखों रूपयों का किराया प्रति महीने राजस्व के रूप में मिल सकता है।
कैसे-कैसे है NH-1डी पार्क पर कब्जा?:-
यदि पीर जी की धार्मिक गद्दी को उनके अनुनानियों की आस्था के चलते मंदिर को छोड़कर बात की जाए तो वहां जो रिहायश और मार्किट बनी हुई है, वो अवैध बताई जाती है। कारण, इसको नगर निगम ने ना तो किसी को लीज पर दिया है और ना ही किसी को कोई अलॉटमेंट की है। इस पर पूरी तरह से नगर निगम को मालिकाना हक बताया गया है, जिसकी पुष्टि पुर्नवास विभाग के अधिकारियों ने भी है।
वहीं दूसरी तरफ इस 2.5 एकड़ में जो बैंक आदि खुले हुए हैं, उसको लेकर कवल खत्री जोकि पीर जगननाथ के समधी भी हैं, ने नगर निगम कमिश्रर को एक लिखित शिकायत दी है। शिकायत में कवल खत्री ने कहा है कि आनंदकांत भाटिया जोकि बडख़ल विधानसभा से एमिनेंट पर्सन रहे हैं, NH-1D पार्क में बने बैंक से 2-3 लाख रूपये प्रति महीना किराया वसूलता है। खत्री का आरोप है कि पार्क में बने बैंक का नगर निगम से ना तो काई नक्शा पास है और ना ही निगम से कोई अलॉटमेंट। इसी के साथ अप्रत्यक्ष रूप से कवल खत्री ने अपने समधी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। कारण, जिस जगह में पीर मोतीनाथ मंदिर बना हुआ है और वहां जो मार्किट बनी हुई है, ना तो उसकी कोई अलॉटमेंट बताई जाती हैऔर ना ही निगम से किसी तरह का नक्शा पास।
क्या कहते हैं आनंदकांत भाटिया?:-
भाटिया पर लगे आरोपों को लेकर जब उनसे बात की गई तो उनका कहना था कि बैंक वाली उक्त प्रोपर्टी उनकी धर्मपत्नी और साली के नाम हैं जिसकी उनके पास कनवेस डीड भी है। रही बात नक्शे पास की तो वो ये बैंक करीब 25 साला पुराना है। साथ ही वे भी चाहते हैं कि निगमायुक्त NH-1D पार्क पर हुए कब्जे/निर्माण की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच करे ताकि सारी बातें उजागर हो सके। वहीं जब पीर मोतीनाथ मंदिर की गद्दी संभाल रहे पीर जगननाथ जी से जब उनका पक्ष जानने के लिए फोन मिलाया गया तो फोन नहीं उठा। यदि खबर के बाद भी वो अपना कोई पक्ष देना चाहें तो मैट्रो प्लस को दे सकते हैं।
क्या है पीर मोतीनाथ मंदिर का इतिहास?:-
जानकारों का कहना है कि भारत देश की आजादी के बाद पाकिस्तान मेें धार्मिक उन्माद के चलते 5 धार्मिक गद्दियां उनके अनुनानियों द्वारा पाकिस्तान से विस्थापित कर भारत में आकर NIT फरीदाबाद में उनके अनुनायियों द्वारा ही पूजा-अर्चना कर स्थापित की गई थी। इनमें से एक गद्दी पीर मोतीनाथ की भी थी जोकि NH-1D पार्क में स्थापित की गई थी। इस गद्दी के प्रति भी उनके अनुनानियों में गहरी आस्था बताई जाती है।
कैसे है नगर निगम के पास मालिकाना हक:-
पुर्नवास विभाग यानि MOR के अधिकारियों के मुताबिक सन् 1961 में भारत सरकार के पुर्नवास विभाग ने NIT NH-1-2-3-4-5 की ग्रीन बेल्ट, नसर्री, डंपिंग ग्राऊंड्स आदि को तत्कालीन नोटिफाईड एरिया कमेटी फरीदाबाद (अब MCF) को ट्रांसफर कर दिया था। इसके मुताबिक उक्त NH-1D पार्क की करीब 2.5 एकड़ जगह पर जो मालिकाना हक है, वो अब नगर निगम के पास है।
क्या कहते हैं निगमायुक्त?:-
उक्त मामले के बारे में जब निगमायुक्त यशपाल यादव से बात की गई तो उन्होंने उपरोक्त मामले के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए इस सारे मामले की जांच करवाने की बात कही।
अब देखना यह है कि इस मामले में शासन-प्रशासन क्या कार्यवाही अमल में लाता है? -क्रमश: