नवीन गुप्ता
फरीदाबाद/पटियाला, 15 सितंबर: केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने पटियाला में गुर्जर समाज के सम्मेलन में शिरकत की। उन्होंने कहा कि गुर्जर एक जाति का नाम ही नहीं बल्कि न्याय व सच्चाई का भी प्रतीक है और इसमें अनेक धर्मों को मानने वाले लोग शामिल हैं।
श्री गुर्जर ने कहा कि कोई भी समाज शिक्षा के बिना प्रगति नहीं कर सकता इसलिए गुर्जर समाज के लोगों से ये विशेष निवेदन है कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाएं और विशेषकर लड़कियों को भी। उन्होने कहा कि गुर्जर समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है और इस समाज ने इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है। पाकिस्तान में पंजाब का जो हिस्सा गया है उसमें एक जिले का नाम गुजरांवाला है। भारत और पाकिस्तान में हजारों गांव ऐसे हैं जो गुर्जरों के गांव हंै और सैकड़ों गांव और शहर ऐसे है जहां अब गुर्जर नही बसते लेकिन अब तक उनका नाम गुर्जरों के नाम पर ही चला आ रहा है। भारत में गुर्जरों के नाम पर गुजरात प्रांत का नाम है।
श्री गुर्जर ने कहा कि हरियाणा के जिला सोनीपत में गन्नौर के पास गुर्जर खेड़ी गांव में भी गुर्जर प्रतिहार मूर्तिकला के सैकड़ों नमूने मिले हैं। गुर्जर खेड़ी गांव के पास से किसी जमाने में जमुना नदी गुजरती थी। गुर्जर खेड़ी के दूर-दूर तक फैले हुए खण्डहर इस बात की तसदीक करते हैं कि आज से आठ-नौ सौ साल पहले यहां पर कोई बहुत बड़ा शहर रहा होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर-प्रदेश में इस कौम ने ऐसे महान सपूतों और वीरांगनाओं को जन्म दिया जिन्होंने इतिहास के एक लम्बे दौर में बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी लेकिन अपने मान-मर्यादा और देश के गौरव पर कभी आंच नही आने दी। गुर्जर समाज ने महान शूरवीर, नि:स्वार्थ समाज सेवी, समाज सुधारक, कुशल प्रशासक तथा दूरदर्शी राजनेता दिए जिन्होंने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्टीय क्षितिज पर एक अमिट छाप छोड़ी। गायत्री माता जो ब्रह्मा जी की अर्धांग्निी थी। नंद बाबा जो भगवान श्री कृष्ण के पालक पोषक थे। सवाई भोज जैसे वीर पैदा हुए जिन्होंने अपने वचनों के लिए रानी जयंती को अपना शीष काटकर दे दिया। पन्नाधाय जैसी वीरांगना पैदा हुई जिसने अपने बेटे चन्दन का बलिदान देकर उदय सिंह के प्राण बचाए। विजय सिंह जैसे क्रांतिकारी नेता हुए।
श्री गुर्जर ने कहा कि लौहपुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल न केवल गुर्जर समाज के बल्कि पूरे राष्ट्र के कोहिनूर थे। उनका नाम लेते ही हर भारतवासी का सीना गर्व से फूला नही समाता। लौह पुरूष सही मायने में राष्ट्रीय एकता की प्रतिमूर्ति थे और इसके बेजोड़ शिल्पी थे। स्वतंत्र भारत को अखण्ड बनाने का श्रेय भी उन्ही को जाता है। आजादी के बाद भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में उन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलय करवाकर अखण्ड भारत और राष्ट्रीय एकता की नींव डाली थी। विश्व के इतिहास में यह एक अनूठी घटना मानी गई। यह उनकी कुशल कूटनीति का नतीजा था। दुनिया के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा नही हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में रियासतों का बिना किसी रक्तपात के विलय करवाया हो। इस महान योगदान के लिए उन्हे लौह पुरूष की उपाधि मिली थी।
उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज ने सदा ही अन्याय के विरूद्ध संघर्ष किया और राष्ट्र के मान-सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानियां दी। उन्होंने आशा प्रकट की कि पटियाला सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श के बाद समाज के लोग गुर्जर समाज को नई दिशा देने के लिए उचित निष्कर्ष पर पहुचेंगे ।