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राष्ट्रीय लोक अदालत में 14 जजों की बेंचों पर लोगों की आपसी सहमति से किया जाएगा केसों का निपटारा: सुकीर्ति गोयल

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट।
फरीदाबाद, 09 नवम्बर:
जिला विधिक सेवा विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सुकीर्ति गोयल ने बताया कि आगामी 12 नवम्बर को राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए 14 जजों की बेंच न्यायिक परिसर में बनाई गई है जहां लोगों की आपसी सहमति से केसों का निपटारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आजादी अमृत महोत्सव की श्रृंखला में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से 12 नवम्बर शनिवार को प्रात: 10 बजे स्थानीय न्यायिक परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है । लोक अदालत में लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण व आपसी सुलह समझौते के लिए स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपने केसों का निस्तारण किया जाएगा।
इनमें ट्रिब्यूनल आंशु संजीव तनेजा की अदालत में इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के केसों को अतिरिक्त सैशन जज नरेन्द्र सूरा की अदालत में क्रिमिनल इलेक्ट्रिसिटी के केसों, अतिरिक्त सैशन जज संजय कुमार शर्मा की अदालत में फैमिली कोर्ट के केसों का निपटान आपसी सहमति से करवाया गया है। एडीशनल सीजीएम हरीश गोयल की अदालत में एमसीएफ, सिविल और क्रिमिनल केस, जुडिशल मैजिस्ट्रेट सुमित तुरकिया, जुडिशल मैजिस्ट्रेट गौरंग शर्मा, जुडिशल मैजिस्ट्रेट कुमारी ज्योति ग्रोवर, जुडिशल मैजिस्ट्रेट कुमारी अनुराधा गोयल, जुडिशल मैजिस्ट्रेट अमित नैन, जुडिशल मैजिस्ट्रेट गगनदीप गोयल की अदालत में ट्रैफिक चालान के केसों का निपटान आपसी समझौते से किया गया है। इसी प्रकार अतिरिक्त जुडिशल मैजिस्ट्रेट तैयब हुसैन की अदालत में एनआई एक्ट के केसों और सीनियर जज महेंद्र सिंह और प्रेजिडेंट अमित अरोङ़ा की अदालत में सभी केसों का निपटारा लोगों की आपसी सहमति से किया गया है ।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव सुकीर्ति गोयल ने आगे बताया कि हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पंचकूला के निर्देशानुसार व जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण वाईएस राठौर की अध्यक्षता में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत मेे मोटर दुर्घटना मुआवजा, चैक बाऊंस, दीवानी मामले, बिजली के मामले व अन्य मामलो का मौके पर ही निपटारा किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि लोक अदालत के माध्यम से विचाराधीन विवादों का निपटारा जल्द कराया जा सकता है। लोक अदालत के माध्यम से सुलझाए गए मामलों में आगे कोई अपील/पुनरीक्षण दायर नहीं की जा सकती।
राष्ट्रीय लोक अदालत में केसों का निपटान आपसी सहमति से करवाया जाता है जिससे समय व धन की बचत होती है।


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