हिसार-दिल्ली के बीच स्टेज कैरिज बस परमिट पर दौड़ रही 16 निजी बसों ने लगाया सरकार को एक करोड़ 3 लाख का चूना!
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट।
चंडीगढ़, 15 जुलाई: बस अड्डा फीस को लेकर हरियाणा राज्य परिवहन विभाग में एक मोटा गड़बड़झाला सामने आया है। जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना में हरियाणा राज्य परिवहन विभाग ने खुद माना है कि एक बस सर्विस सोयायटी की 16 बसों की 2016 से बस अड्डा फीस जमा नहीं कराई है। जिस पर सरकार को एक करोड़, 3 लाख, 2 हजार, 323 रुपये का चूना लगा है।
अचरज तो इस बात का भी है कि बस सर्विस सोसायटी के परमिट को हर साल रिन्यू करते समय रोहतक, झज्जर, हिसार रोडवेज अधिकारियों ने करोड़ों बकाया होने पर भी एनओसी दे डाली। जिसकी जांच हुई तो कई रोडवेज अधिकारियों पर भी आंच आएगी। इन अधिकारियों की वजह से रोडवेज को एक सोसायाटी ने करोड़ों की चपत लगा डाली, वहीं उच्च स्तरीय विभागीय जांच की गई तो प्रदेश भर में परिवहन समितियों की बस अड्डा बकाया फीस का बड़ा गड़बड़झाला सामने आएगा।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने आरटीआई की सूचना के आधार पर इस गड़बड़झाले की शिकायत परिवहन मंत्री हरियाणा, अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन विभाग व निदेशक हरियाणा परिवहन विभाग को दी है। शिकायत में हिसार-दिल्ली के बीच स्टेज कैरिज बस परमिट पर दौड़ रही 16 निजी बसों से बकाया एक करोड़, 3 लाख, 2 हजार, 323 रुपये जमा कराने और इस मामले में संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि एक सोसायटी ने सरकार के पैसे का गबन किया है, जिसके बदले रोडवेज में चार नई बसें शामिल हो सकती है। अगर सरकार इस बस परमिट प्रकरण में अड्डा फीस की विजिलेंस जांच कराए तो करीब 10 करोड़ से अधिक का घपला उजागर हो सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर के डिपो में रोडवेज अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकार को बस अड्डा फीस का मोटा चूना लग रहा है।
बृजपाल सिंह ने बताया कि आरटीआई में सामने आया है कि सांपला बस स्टैंड पर 37 लाख, 27 हजार, 292 बस अड्डा फीस 2016 से अब तक बकाया है। रोहतक बस स्टैंड पर 36 लाख, 9 हजार, 335 बस अड्डा फीस बकाया है। महम बस स्टैंड पर 29 लाख, 65 हजार, 696 रुपये बस अड्डा फीस बकाया है। इसी तरह प्रदेश के 22 जिलों के संबंधित बस अड्डा फीस की जांच कराई जाए तो कई सोसायटी कई सालों से रोडवेज को एक रुपया नहीं दे रही हैं, जबकि हर साल अधिकारी इन बसों के कैरिज बस रूट परमिट को रिन्यू करते आ रहे हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने परिवहन मंत्री से पूरे प्रदेश में बस अड्डा फीस की उच्च स्तरीय या विजिलेंस जांच की मांग की है।