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अवैध कब्जेधारी आढ़तियों के आगे नतमस्तक हुआ प्रशासन!

डबुआ मंडी में कॉमन प्लेटफॉर्म पर कब्जा और किराया, मार्किट फीस/कमीशन की वसूली पर आखिर मार्किट कमेटी क्यों हैं मौन?
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट।
फरीदाबाद, 6 दिसंबर:
हरियाणा की सबसे बड़ी मंडी कहे जाने वाली डबुआ मंडी में चंद आढ़तियों और मार्किट कमेटी के अधिकारियों की कथित संलिप्तता के चलते जहां सरकार को भारी-भरकम राजस्व का मोटा नुकसान हो रहा है, वहीं किसानों के लिए बने कॉमन प्लेटफार्म पर अवैध रूप से कब्जा कर चंद आढ़ती हर महीने लाखों के वारे-न्यारे किए जा रहे हैं। वहीं प्रशासन है कि इनके आगे नतमस्तक हुआ पड़ा हैं।

मैट्रो प्लस की खबर के बाद जब मार्किट कमेटी के अधिकारियों/कर्मचारियों ने जैसे-तैसे कॉमन प्लेटफार्म पर से 6 नवंबर तक अवैध रूप से कब्जा खाली करने के आदेश पारित किए तो इसका खामियाजा मंडी सुपरवाईजर देवराज को कब्जाधारी आढ़तियों द्वारा करवाए गए राजनैतिक दवाब के चलते अपना ट्रांसफर करवाकर भुगतना पड़ा। उसके बाद से मंडी प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। हालांकि उपरोक्त मामले में मंडी के संबंधित अधिकारियों के साथ मंडी प्रशासक और आढ़तियों की दोनों एसोसिएशनों के बीच दीवाली बाद बैठक होनी थी जिसमें कि कॉमन प्लेटफार्म पर कब्जे और अन्य मसलों का फैसला होना था, लेकिन वो बैठक आज तक नहीं हो पाई है जबकि इस मामले को उठे एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। बावजूद इसके कि जिला उपायुक्त ने इस मामले में सख्ती बरतने के निर्देश दिए हुए हैं।

बता दें कि मार्किंटिंग बोर्ड ने मंडी में अपनी सब्जी/फल बेचने आने वाले किसानों के लिए एक शैडनुमा एक कॉमन प्लेटफार्म बनवाया हुआ है जहां वे अपना सामान रखकर बेच सकते हैं। लेकिन असलियत में इस कॉमन प्लेटफार्म पर मंडी के दबंग कहे जाने वाले चंद आढ़तियों ने ही अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। कानूनन या कहिए मार्किट कमेटी के नियम के मुताबिक आढ़ती अलॉट या खरीदी हुई अपनी दुकानों से ही किसानों से नीलामी/ऑक्सन में खरीदा हुआ माल या कहिए सब्जी/फल बेच सकते हैं, लेकिन यहां उल्ट है।

जानकारी के मुताबिक यहां चंद बड़े आढ़तियों ने अपनी-अपनी दुकानों को तो मोटे किराए पर दिया हुआ है और वे किसानों के लिए बने कॉमन प्लेटफार्म में क्रेट रख गैर-कानूनी रूप से कब्जा कर वहां से अपना माल बेच रहे हैं। बाकायदा इसके लिए उन्होंने कॉमन प्लेटफार्म पर अपने बोर्ड तक भी लगा रखे हैं जोकि गैर-कानूनी हैं। यहीं नहीं, मजेदार बात तो यह है कि ऐसे दबंग आढ़तियों द्वारा यहां अवैध रूप से किए हुए कब्जों की बकाया जगहों को भी आगे किराए पर उठाकर उनसे मोटा किराया वसूला जा रहा है। लेकिन मार्किट कमेटी के अधिकारी ये सब जानते हुए भी ना जाने क्यों अपनी आखों पर काली पट्टी बांधे बैठे हैं।

आढ़तियों द्वारा माल की खरीद/बिक्री संदिग्ध!:-
यहां हम आपको यह भी बता दें कि मंडी में लाईसैंसशुदा आढ़ती सिर्फ मंडी में अपना माल बेचने आने वाले किसानों से मार्किट कमेटी द्वारा नियुक्त ऑक्सन रिकार्डर के जरिए ही उनके माल को खुली नीलामी में खरीदकर उस माल को मार्किंटिंग बोर्ड/सरकार के नियमों के मुताबिक अपना कमीशन 5 प्रतिशत, मंडी टैक्स का एक प्रतिशत और एचआरडीएफ का एक प्रतिशत यानि कुल 7 प्रतिशत लेकर आगे माल खरीदने आने वाले थोक और खुदरा व्यापारियों को बेच सकते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा हो नहीं रहा। मंडी सुत्रों की मानें तो ये चंद आढ़ती 10 से लेकर 15 प्रतिशत तक बढ़ाकर माल को बेचते हैं, जोकि एक बहुत बड़ा घोटाला/स्कैम है।

आढ़तियों द्वारा ट्रैडिंग का काम करना कितना जायज?:-
आढ़तियों को लेकर एक बात ओर सामने आ रही है कि मार्किट कमेटी से आढ़त का लाईसैंस लिए बैठे चंद बड़े आढ़ती कमीशन पर आढ़त का काम करने की बजाए यहां ट्रेडिंग का काम करते हैं जोकि गैर-कानूनी है। मार्किट कमेटी द्वारा इस पर इनका लाईसैंस भी कैंसिल किया जा सकता है, लेकिन यहां कथित तौर पर मिलीभगत के चलते संबंधित अधिकारियों द्वारा ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा। -क्रमश:

नोट: अब अगली कड़ी में हम आपको क्रमवार: बताएंगे आढ़तियों द्वारा आढ़त की बजाए ट्रैडिंग करने की कहानी, मंडी के चारों गेटों पर बैरियर व कैमरे ना लगने, आढ़ती और ऑक्सन रिकार्डर के बीच घालमेल, पार्किंग माफिया आदि की कहानी!


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