निरंकारी संत समागम में उमड़ा लाखों का जनसैलाब
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
नागपुर, 30 जनवरी: प्रभु परमात्मा को जिस किसी भी नाम से पुकारा जायें पर ब्रह्मज्ञान द्वारा इसके दर्शन करने से ही वास्तविक भक्ति का आरंभ होता है। यह दिव्य प्रवचन निरंकारी सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा महाराष्ट्र के 57वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के प्रथम दिन उपस्थित श्रद्धालुजनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। सतगुरू माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी के पावन सान्निध्य में नागपुर के मिहान एसईजेड़ इलाके में आयोजित इस तीन दिवसीय सन्त समागम में देश-विदेश से लाखों का जन परिवार सम्मिलित हुआ और सभी ने सतगुरू के दिव्य दर्शन एवं पावन प्रवचनों का आनंद प्राप्त किया।
सतगुरू माता जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि निराकार परमात्मा जो सर्वत्र समाया हुआ है, समूचे ब्रह्माण्ड का कण-कण जिसमें निहित है, जो स्थिर, अनंत एवं सर्वव्यापी है ऐसे परमात्मा का बोध होने के उपरांत जब हम इससे भावरूप में इकमिक हो जाते हैं, तब हमारे अंदर मानवीय गुणों का स्वतरू ही समावेश हो जाता है। तभी हम समस्त संसार एक परिवार की भावना से युक्त होकर जीवन जीते चले जाते हैं।
सतगुरू माता जी ने समझाया कि हमारी जीव आत्मा इस परमपिता परमात्मा का ही अंश है जो इससे उभरकर अंत में इसी में समाहित हो जाती है। ब्रह्मानुभूति से हमें यह जब बोध हो जाता है कि हमारी वास्तविक पहचान यह शरीर नहीं अपितु हमारी आत्मा है जो इस परमात्मा से ही उत्पन्न हुई है। तो हमारी मुक्ती का मार्ग सहज ही सुलभ हो जाता है।
सेवादल रैली:-
समागम के दूसरे दिन का शुभारम्भ एक आकर्षक सेवादल रैली द्वारा हुआ जिसमें हजारों की संख्या में सेवादल के भाईयों एवं बहनों ने वर्दियों में सुसज्जित होकर भाग लिया। सतगुरू माता जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी का रैली में आगमन होते ही मिशन के सेवादल अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ देकर दिव्य युगल का हार्दिक स्वागत किया गया। सेवादल रैली का अवलोकन करने के उपरान्त सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने मिशन के शान्ति के प्रतीक श्वेत ध्वज को लहराया।
इस रैली में शारीरिक व्यायाम के अतिरिक्त योगा, एरिएल सिल्क्स, मानव पिरामिड, रोप स्कीपिंग तथा अनेकों प्रकार के खेल कूद और करतब प्रस्तुत किए गए। इसी तरह मिशन की सिखलाई पर आधारित विभिन्न भाषाओं के माध्यम से लघु नाटिकायें प्रस्तुत की गई जिनके माध्यम से भक्ति में सेवा के महत्व को उजागर किया गया। यह प्रस्तुतिकरण नागपुर, मुंबई, पुणे, रत्नागिरी, गडचिरोली, छत्रपती संभाजी नगर, बारामती, रायगढ़ एवं वसई आदि क्षेत्रों के सेवादल यूनिटों द्वारा किया गया।
सेवादल रैली को संबोधित करते हुए सतगुरू माता जी ने कहा कि सेवा में समर्पण का भाव सबसे अहम होता है। इसी भावना से प्रेरित होकर सेवादल के सभी सदस्य अपनी निर्धारित वर्दी में जहां जैसी भी आवश्यकता हो वहां पर तुरंत पहुंचकर अपनी सेवायें निष्काम भाव से निभाते हैं। साथ ही अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी मिशन एवं समाज के प्रति सेवाओं के लिए निरंतर तत्पर रहते हैं। ऐसे समर्पित भाव के साथ ही सेवाए सुमिरण एवं सत्संग को जीवन में अपनाते हुए इस परमात्मा को प्राथमिकता देकर समूची मानवता की सेवा में सदैव तत्पर रहना सेवादल के सदस्यों का मूल भाव होता है।
निरंकारी प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र:-
समागम में आयोजित भव्य निरंकारी प्रदर्शनी/श्रद्धालु भक्तों एवं समागम में आने वाले जनसाधारण के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस प्रदर्शनी को मुख्य प्रदर्शनी के अतिरिक्त बाल प्रदर्शनी एवं स्वास्थ्य व समाज कल्याण विभाग प्रदर्शनी के रूप में दर्शाया गया है।
उल्लेखनीय है कि निरंकारी बच्चों द्वारा विभिन्न मॉडल, आधुनिक तकनीकी, एनीमेशन इत्यादि के आधार पर बनाई गई बाल प्रदर्शनी को देखने के लिए नागपुर एवं आसपास के स्कूलों के छात्र सैंकड़ों की संख्या में समागम के तीन दिन पहले से ही आ रहे हैं। इस प्रदर्शनी में आधुनिक युग के जीवन में आ रही समस्याओं का सटीक समाधान मिशन की सिखलाई का आधार लेकर प्रस्तुत किया गया है। इस प्रदर्शनी को देखने वाले छात्र, उनके अभिभावक एवं अध्यापक वर्ग अत्यंत प्रभावित हैं और इस बाल प्रदर्शनी की काफी सराहना की जा रही है।
इसके अतिरिक्त शारीरिक स्वास्थ्य, पर्यावरण संतुलन, युवा एवं महिला सशक्तीकरण की दिशा में मिशन द्वारा किए जा रहे कार्यों को दर्शाने वाली समाज कल्याण प्रदर्शनी को भी जनसाधारण द्वारा सराहा जा रहा है।