नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 9 अक्तूबर: निजी स्कूलों द्वारा किए जा रहे शिक्षा के व्यवसायीकरण और उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा दिए जा रहे संरक्षण का मामला एक बार पुन: प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच गया है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए तीन पत्रों को पीएमओ ऑफिस ने आवश्यक एवं उचित कार्यवाही हेतु मुख्य सचिव हरियाणा को भेजा है। मंच का आरोप है कि जुलाई, अगस्त व सितंबर माह में भेजे गए इन पत्रों पर हरियाणा सरकार ने आज तक कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की है। मंच ने मुख्यमंत्री से पुन: आग्रह किया है कि वे मंच के पत्रों व पीएमओ ऑफिस द्वारा भेजे गए पत्रों पर अभिभावकों के हित में शीघ्र कार्यवाही करें।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने पीएमओ ऑफिस के तीनों पत्रों को मीडिया की जानकारी में लाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री के पास निजी स्कूलों के प्रबंधकों से बातचीत करने के लिए तो समय है जबकि मंच की ओर से मुख्यमंत्री को मुलाकात के लिए समय देने के 9 आग्रह पत्र लिखने के बावजूद आज तक मंच को बातचीत के लिए समय नहीं दिया गया है और न ही लूट खसौट व मनमानी कर रहे निजी स्कूलों के खिलाफ कोई भी उचित कार्यवाही की गई है। उल्टे उनके कहने पर शिक्षा नियमावली-2003 को निरस्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
कैलाश शर्मा ने बताया कि मंच की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिनांक 23 जून 2015, 1 अगस्त 2015 व 4 सितम्बर 2015 को तीन ज्ञापन भेजकर मांग की गई कि हरियाणा में निजी स्कूल सीबीएसई, हुड्डा व शिक्षा नियमावली के सभी नियम, कानून व प्रावधानों का सरेआम उल्लंघन करके छात्र व अभिभावकों का आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं। इस पर रोक लगाने की मांग को लेकर मंच की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल को 9 पत्र लिखे जा चुके हैं जिसमें यह भी आग्रह किया गया है कि वे इस विषय पर बातचीत करने के लिए मंच को समय प्रदान करें लेकिन मुख्यमंत्री महोदय ने मंच के पत्रों पर आज तक कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की है। अत: प्रधानमंत्री महोदय इस पर उचित कार्यवाही कराएं।
पीएमओ ऑफिस ने मंच के पत्रों को दिनांक 1 जुलाई 2015, 19 अगस्त 2015 व 15 सितम्बर 2015 को अपने पत्र क्रमांक 0145776, 0191266, 0216916 के साथ मुख्य सचिव हरियाणा को उचित एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजा। लेकिन हरियाणा सरकार ने पीएमओ ऑफिस के उपरोक्त तीनों पत्रों पर कोई भी उचित कार्यवाही आज तक नहीं की है और न ही मंच को बातचीत करने के लिए समय प्रदान किया है। जबकि निजी स्कूलों की सशक्त लॉबी से मुख्यमंत्री अब तक दो बार मिल चुके हैं और उनके मांगपत्र पर उचित कार्यवाही करते हुए शिक्षा नियमावली 2003 को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी के चलते निजी स्कूल प्रबंधकों के हौंसले बुलंद हैं।
मंच ने इस पर अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल को एक और पत्र लिखकर मंच के ज्ञापन मांगपत्र पर उचित कार्यवाही कराने की मांग की है। मंच ने अपने पत्र के साथ अब तक मुख्यमंत्री को लिखे 9 पत्रों की फोटो कापी भी संलग्न की है। मंच ने 1 नवम्बर को करनाल में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है जिसमें मंच द्वारा आगे किए जाने वाले आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। सम्मेलन की सफलता के लिए प्रत्येक जिले में जिला सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।