Metro Plus से Naveen Gupta की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 20 दिसंबर: NIT का दिल कही जाने वाली NIT-1 मार्किट के बीचोंबीच MCF की बेशकीमती जमीन पर मंदिर की आड़ में बना एक शापिंग काम्पलेक्स आजकल शहर में फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा का विषय बने भी क्यों ना। आखिरकार इस पर कथित तौर पर कब्जा भी ऐसे व्यक्ति का ही जिसको NIT के लोग सामने तो भगवान की तरह पूजते है और पीछे से ना जाने क्या-क्या बुराईयां करते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं NIT-1 मार्किट में मिलाप दवाखाने के पीछे बने उस पीरजी कॉमर्शियल शॉपिंग काम्पलेक्स की जोकि पीर मोतीनाथ जी मंदिर की आड़ में अवैध रूप से बना हुआ है। वहीं इस सारे मामले को लेकर अब एक लिखित शिकायत नगर निगम सहित शासन-प्रशासन को की गई है।
शिकायत में कहा गया है कि Metro Plus द्वारा पूर्व में प्रमुखता से उठाए गए उक्त मुद्दे पर नवंबर-2022 में ZTO ऑफिस की एक टीम ने पीर मोतीनाथ टैम्पल पर जाकर जांच भी की थी। वहां पीर जगननाथ से उक्त प्रोपर्टी के मालिकाना हक संंबंधी दस्तावेज दिखाने पर पीरजी द्वारा दस्तावेज दिखाने के लिए समय मांगने उपरांत अब तक ना तो पीरजी ने दस्तावेज दिए गए और ना ही ZTO ऑफिस द्वारा इस मामले में कोई आगामी कार्यवाही अमल में लाई गई जबकि इस मामले को दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। इसके अलावा तत्कालीन निगमायुक्त यशपाल यादव द्वारा उस समय NIT जोन के ज्वार्इंंट कमिश्रर को भी इस मामले की जांच सौंपी गई थी, लेकिन इस जांच का क्या हुआ, वो जांच रिपोर्ट भी आज तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है।
शिकायत में निगमायुक्त से इस मामले की गहनता से जांच करवाते हुए निगम की करोड़ों रूपयों की प्रोपर्टी पर मंदिर की आड़ में हुए सभी अवैध कब्जों को हटवाने के आदेश जारी करने की मांग की गई है ताकि नगर निगम को उसकी करोड़ों की प्रोपर्टी मिल सके जैसे कि निगम ने पूर्व में फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन से अपने कब्जे में ली थी जहां आज निगम के कई कार्यालय और कांफ्रेंस हॉल बने हुए हैं और वहां आजकल समाधान शिविर भी लग रहा है। इस मामले को भी उस समय Metro Plus ने प्रमुखता से उठाया था।
बता दें कि MCF के पास निगम क्षेत्र में ऐसे ना जाने कितने पार्क/जगह हैं जिन पर चंद रसूखदार लोगों ने अवैध रूप से मार्किट बनाकर उन पर मार्किट बनाई हुई है और उनसे लाखों रूपयों का किराया वसूल रहे हैं, पगड़ी की रकम अलग। वास्तव में जो पैसा निगम के खजाने में जाना चाहिए उनको वो अपनी तिजोरियों में भरने में लगे हुए हैं। ऐसा नहीं हैं कि निगम के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं हैं, अपितू अपने निजी स्वार्थ के लिए वे इस तरफ से चुप्पी साधे हुए हैं।
अब बात करते हैं असली मुद्दे की तो शहर का कनॉट पैलेस कहे जाने वाली NIT-1 मार्किट के बीचोंबीच नगर निगम फरीदाबाद के NIT-1D पार्क की तो यह एक ऐसी बेशकीमती जगह है जिस पर मौके पर पार्क और पीर मोतीनाथ मंदिर के अलावा 13 दुकानें, एक रिहायशी मकान, प्रथम तल पर एक लंबा-चौड़ा हॉल, एक पूर्व विधायक की दुकान, एक बैंक और एक नगर निगम के कर्मचारी की रिहायश बनी देखी जा सकती है। नक्शे के मुताबिक आधे-आधे पर होना तो पीर मोतीनाथ मंदिर और पार्क चाहिए था, लेकिन वहां मंदिर की जगह पर नाममात्र के मंदिर/पीर जी की गद्दी और छोटे से पार्क को छोडक़र लंबी-चौड़ी मार्किट और रहने के लिए शानदार कोठी बनी हुई है। वहीं मार्किट का किराया भी नगर निगम की बजाए रसूखदारों द्वारा वसूला जा रहा है। वहीं करीब 70-80 वर्गगज जगह पर एक पूर्व विधायक का कब्जा बताया जाता है।
क्या है एनएच-1डी पार्क का सच?:-
बता दें कि पुर्नवास विभाग यानि MOR के सन् 1958 और 1961 के नक्शे में NH-1D पार्क की जगह में आधे में पार्क दर्शाया गया है तो आधे में पीर मोतीनाथ मंदिर, और कुछ हिस्सा संभावित तौर पर किसी के नाम के नाम अलॉट है। लेकिन यदि ग्राऊंड लेवल पर आकर देखा जाए तो जिस जगह में पीर मोतीनाथ मंदिर होना चाहिए था, वहां मात्र थोड़ी सी वर्गगज जगह में तो पीर मोतीनाथ की गद्दी है और ज्यादातर में अपने रहने के लिए पीर जी ने अपने व परिजनों के लिए एक आलीशान कोठी बनाई हुई है जोकि अवैध रूप से बनी बताई जाती है! इसके अलावा बाकी जगह पर ग्राऊंड फ्लोर पर एक पूरी मार्किट बनी हुई जिसमें करीब 13 दुकानें बनाकर उनसे लाखों रूपयों का किराया भी वसूला जा रहा है जोकि रसूखदारों की जेब में जा रहा है। यहां एक-दुकान की कीमत करोड़ों में है। यदि नगर निगम पीर जी की धार्मिक गद्दी को छोडक़र बाकी जगह पर बनी दुकानों और रिहायश को अपने कब्जे में ले ले तो नगर निगम को करोड़ों की प्रोपर्टी और लाखों रूपयों का किराया प्रति महीने राजस्व के रूप में मिल सकता है।
े
कैसे-कैसे है NIT-1D पार्क पर कब्जा?:-
यदि पीर जी की धार्मिक गद्दी को उनके अनुनानियों की आस्था के चलते मंदिर को छोडक़र बात की जाए तो वहां जो रिहायश और मार्किट बनी हुई है, वो अवैध बताई जाती है। कारण, इसको नगर निगम ने ना तो किसी को लीज पर दिया है और ना ही किसी को कोई अलॉटमेंट की है। इस पर पर पूरी तरह से नगर निगम को मालिकाना हक बताया गया है, जिसकी पुष्टि पुर्नवास विभाग के अधिकारियों ने भी है।
वहीं दूसरी तरफ इस NH-1D पार्क में जो बैंक आदि खुले हुए हैं, उसको लेकर कवल खत्री जोकि पीर जगननाथ के समधी भी हैं, ने नगर निगम कमिश्रर को एक लिखित शिकायत दी है। शिकायत में कवल खत्री ने कहा है कि आनंदकांत भाटिया जोकि बडख़ल विधानसभा से एमिनेंट पर्सन रहे हैं, NH-1D पार्क में बने बैंक से 2-3 लाख रूपये प्रति महीना किराया वसूलता है। खत्री का आरोप है कि पार्क में बने बैंक का नगर निगम से ना तो काई नक्शा पास है और ना ही निगम से कोई अलॉटमेंट। इसी के साथ अप्रत्यक्ष रूप से कवल खत्री ने अपने समधी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। कारण, जिस जगह में पीर मोतीनाथ मंदिर बना हुआ है और वहां जो मार्किट बनी हुई है, ना तो उसकी कोई अलॉटमेंट बताई जाती हैऔर ना ही निगम से किसी तरह का नक्शा पास।
क्या है पीर मोतीनाथ मंदिर का इतिहास?:-
जानकारों का कहना है कि भारत देश की आजादी के बाद पाकिस्तान मेें धार्मिक उन्माद के चलते 5 धार्मिक गद्दियां उनके अनुनानियों द्वारा पाकिस्तान से विस्थापित कर भारत में आकर एनआईटी फरीदाबाद में उनके अनुनायियों द्वारा ही पूजा-अर्चना कर स्थापित की गई थी। इनमें से एक गद्दी पीर मोतीनाथ की भी थी जोकि एनएच-1डी पार्क में स्थापित की गई थी। इस गद्दी के प्रति भी उनके अनुनानियों में गहरी आस्था बताई जाती है।
कैसे है नगर निगम के पास मालिकाना हक:-
पुर्नवास विभाग यानि एमओआर के अधिकारियों के मुताबिक सन् 1961 में भारत सरकार के पुर्नवास विभाग ने NIT NH-1-2-3-4-5 की ग्रीन बेल्ट, नसर्री, डंपिंग ग्राऊंड्स आदि को तत्कालीन नोटिफाईड एरिया कमेटी फरीदाबाद (अब नगर निगम फरीदाबाद) को ट्रांसफर कर दिया था। इसके मुताबिक उक्त NH-1D पार्क की जगह पर जो मालिकाना हक है, वो अब नगर निगम के पास है।
अब देखना यह है कि इस मामले में नगर निगम और शासन-प्रशासन क्या कार्यवाही अमल में लाता है? -क्रमश: