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लोककला और संस्कृति का मेलजोल अलबेला है, ये सूरजकुंड का मेला है…

देशभर के कलाकारों ने अपनी एक प्रस्तुति से एक भारत और श्रेष्ठ भारत को किया आत्मसात।
38वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले के शुभारंभ अवसर पर कलाकारों ने अपनी जोरदार प्रस्तुति से कराए भारतीय लोक कला और सांस्कृतिक विरासत के दर्शन
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
सूरजकुंड News, 7 फरवरी:
लोककला और संस्कृति का मेलजोल अलबेला है, ये सूरजकुंड का मेला है, ये सूरजकुंंड का मेला है। एक विश्व है, एक कुटुंब है, एक ही भारत देश है, हरियाणा एक और हरियाणवी एक का मिलता यहां संदेश है। लोककला और संस्कृति का मेल जोल अलबेला है, ये सूरजकुंड का मेला है।

अवसर था शिल्प कला और संस्कृति के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बना चुके 38वें सूरजकुंड शिल्प मेले के शुभारंभ समारोह के दौरान मेला परिसर में चौपाल का। देशभर के कलाकारों ने शिल्प मेले के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मौजूदगी में अपनी एक ही प्रस्तुति से एक भारत और श्रेष्ठ भारत का संदेश दिया। देशभर से अलग-अलग 11 राज्यों के 60 कलाकारों ने एकरूपता का परिचय देते हुए देश की समृद्व संस्कृति को एक माला में पिरोया।


मणिपुर के प्रसिद्व पुंगचलम नृत्य से हुई सांस्कृतिक पक्ष की शुरुआत:-
शिल्प मेले के शुभारंभ अवसर पर प्रस्तुत किए गए इस अद्वभूत सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत मणिपुर के प्रसिद्ध पुंगचलम नृत्य से की गई जिसमें राधा कृष्ण की रासलीला को दर्शाया गया। इसी में लय से लय मिलाते हुए हरियाणा की कलाकारों ने मत छेड़ बलम मेरे चूंदड़ न हो जागी तकरार जले की, गीत पर जोरदार घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी।
संगीत के तारतम्य के साथ ही केरला से कहानी को सिर्फ इशारों में बयान करने वाले कत्थक कलीद्व लद्दाख से कलाकारों ने आराधना स्वरुपी मास्क की। इसी में राजस्थान से कलाकारों से चरी और भवई की प्रस्तुति से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का काम किया। एक बार फिर मणिपुर के कलाकारों ने श्रीकृष्ण की रास लीला, सिक्किम की कलाकारों ने सिंगीछम नृत्य पेश किया।

थीम स्टेट उड़ीसा के कलाकारों ने वहां के प्रसिद्ध लोक नृत्य छाऊ, यूपी के कलाकारों ने कत्थक नृत्य, पंजाब के कलाकारों ने जोरदार भांगड़ा पर सभी को झूमने पर मजबूर किया। अरुणाचल प्रदेश के कलाकारों ने एक बार फिर से मास्क की प्रस्तुति दी। देश की पूर्व दिशा से शुरू किए गए इस शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति का समापन सूरजकुंड की धरा पर हरियाणा के कलाकारों ने किया, जिसके बोल रहे कि लोककला और संस्कृति का मेलजोल अलबेला है, ये सूरजकुंड का मेला है, ये सूरजकुंड का मेला है। इस लोकगीत की कोरियोग्राफी मथुरावासी संजय शर्मा द्वारा की गई थी। 38वें सूरजकुंड मेले के शुभारंभ अवसर पर देश की सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुई इस प्रस्तुति ने मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित मौके पर मौजूद दर्शकों से उनकी तालियों के माध्यम से आशीर्वाद लेने का काम किया। इस प्रस्तुति ने इस शिल्प मेले के शुभारंभ अवसर को और अधिक यादगार बनाने का काम किया।

इसके अलावा मेला परिसर में मुख्य मंच चौपाल पर अलग-अलग प्रदेशों से कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से दिनभर दर्शकों को अपनी अपनी सांस्कृतिक विरासत से सराबोर कर मनोरंजन किया।


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