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विधायक सरकार नहीं, मुख्यमंत्री और मंत्री ही हैं असली हरियाणा सरकार!

Metro Plus से Naveen Gupta की स्पेशल रिपोर्ट
Chandigarh, 8 अप्रैल:
वास्तव में कौन होती है असली सरकार, मुख्यमंत्री और उनके मंत्री या फिर जनता द्वारा चुने गए सभी के सभी वे विधायक चाहे वे किसी भी पार्टी के हों? 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में कौन-कौन सरकार में शामिल हैं और कौन-कौन नहीं, इसको लेकर आजकल हरियाणा में कसमकश चल रही है।

देखा गया है कि हरियाणा प्रदेश के लगभग सभी विधायक चाहे वे सत्तारूढ़ पार्टी के हों या फिर विपक्षी दलों के और निर्दलीय, सभी के सभी विधायक हरियाणा सरकार का प्रतीक चिन्ह/लोगो अपने लैटर पैड और विजिटिंग कार्ड पर इस्तेमाल करते हैं जोकि गलत है। ऐसे विधायकों द्वारा हरियाणा सरकार का लोगो इस्तेमाल करने पर अब सवाल उठने लगे हैं।

बात करें हाियाणा प्रदेश में असली सरकार की तो बता दें कि कानूनी जानकारों के मुताबिक हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके सभी 13 कैबिनेट और राज्यमंत्री जिनको कि महामहिम राज्यपाल महोदय ने शपथ दिलाई थी, हरियाणा प्रदेश की असली सरकार है और वो ही अपने लैटर हैड और विजिटिंग कार्ड आदि पर हरियाणा सरकार का लोगो इस्तेमाल कर हरियाणा सरकार लिख सकते हैं।

बाकी के सभी विधायक हरियाणा विधानसभा के सदस्य हैं, ना कि सरकार। यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी सरकार नहीं होते हैं, इनका पद संवैधानिक होता है ना कि सरकारी। इसलिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों को छोड़कर बाकी के सभी विधायक हरियाणा विधानसभा का प्रतीक चिन्ह/लोगो ही इस्तेमाल कर सकते हैं, ना कि हरियाणा सरकार का लोगो।

लेकिन देखने में आ रहा है कि मुख्यमंत्री और 13 मंत्रियों वाली असली सरकार को छोड़कर प्रदेश के बाकी सभी 76 विधायक भी चाहें वे सत्तारूढ़ पार्टी के हों या फिर विपक्षी दलों के और निर्दलीय, लगभग सभी के सभी हरियाणा सरकार का प्रतीक चिन्ह/लोगो इस्तेमाल कर रहे हैं ना कि हरियाणा विधानसभा का जोकि पंजाब एवंं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट हेमंत कुमार के मुताबिक गैर-कानूनी हैं।

बता दें कि इसी सप्ताह 3 अप्रैल को अम्बाला जिले के अम्बाला शहर हलके से कांग्रेस पार्टी के विधायक निर्मल सिंह ने प्रदेश के मुख्य सचिव को एक लिखित शिकायत भेजी है जिसमें उन्होंने अम्बाला नगर निगम के वर्तमान कमिश्नर सचिन गुप्ता आईएएस के विरूद्व उन्हें (निर्मल सिंह) को हालिया मुलाकात दौरान निर्धारित प्रोटोकॉल अनुसार उपयुक्त मान-सम्मान न देने का मामला उठाया है।

गौरतलब है कि इस बारे में विधायक द्वारा अपने लैटर पैड पर भेजे पत्र पर हरियाणा विधानसभा की नहीं बल्कि हरियाणा सरकार की आधिकारिक सील अर्थात प्रतीक चिन्ह संप्रतीक (एम्ब्लेम) मुद्रित है।

इसी प्रकार गत् वर्ष अक्टूबर-2024 में हिसार जिले के उकलाना हलके से कांग्रेस विधायक नरेश सेलवाल द्वारा उनके लेटर पैड पर प्रदेश के मुख्यमंत्री, बिजली (उर्जा) मंत्री, मुख्य सचिव आदि को दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड के अंतर्गत उकलाना क्षेत्र में तैनात एक असिस्टेंट इंजीनियर द्वारा विधायक सेलवाल के साथ किये गये कथित अभद्र व्यवहार की लिखित शिकायत भेजी गई थी एवं उस पत्र के ऊपर भी हरियाणा सरकार के संप्रतीक (एम्ब्लेम) की छाप थी। वहीं इस मामले में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक भी पीछे नहीं हैं।

स्पीकर स्पीकर रहे ज्ञानचंद गुप्ता ने विधायकों को क्यों दी थी महरूम झंडी?हे ज्ञानचंद गुप्ता ने विधायकों को क्यों दी थी महरूम झंडी?-
मनोहर-नायब सरकार में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष/स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने विधायकों की गाड़ियों के लिए महरूम रंग की झंडी बनवाई थी ताकि आम जनता में उनकी गाड़ी की पहचान हो सके।
इसका एक कारण यह भी था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन-प्रतिनिधियों के वीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए उनकी गाड़ियों पर से लाल बत्ती और हूटर हटवा दिए थे, वो बात अलग है कि इन जन-प्रतिनिधियों ने मोदी के आदेशों को दरकिनार या कहें कि उसका अल्टरनेट निकालते हुए नीली-लाल बती वाली बिलिंक लाईट लगानी शुरू कर दी, जोकि अब लगभग सभी विधायकों और अधिकारियों तक की गाड़ी पर भी देखी जा सकती हैं।
एडवोकेट हेमंत कुमार ने भी बताया कि साढ़े चार वर्ष पूर्व जब हरियाणा विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता द्वारा अक्टूबर, 2020 में प्रदेश के विधायकों को अपनी अपनी गाड़ियों/वाहन के आगे महरूम रंग की छोटी झंडी लगाने की अनुमति प्रदान की गयी, तो उस झंडी पर भी हरियाणा विधानसभा का ही प्रतीक चिन्ह संप्रतीक (एम्ब्लेम) था ना कि हरियाणा सरकार का।

महामहिम राज्यपाल करें अधिकारिक स्पष्टीकरण जारी: हेमंत कुमार:-
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि कुछ माह पूर्व उन्होंने इस विषय पर प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा विधानसभा के स्पीकर, मुख्य सचिव, विधानसभा सचिव आदि को एक ज्ञापन भेजकर इस संबंध में आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी करने की अपील करते हुए सार्वजानिक तौर पर यह मुद्दा उठाया था कि एक विधायक बेशक वह सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्षी दल अथवा निर्दलीय हो, क्या अपने आधिकारिक लैटर पैड, विजिटिंग कार्ड अथवा अन्य लिखित सामग्री आदि पर हरियाणा सरकार के आधिकारिक एम्बलेम (संप्रतीक) का प्रयोग कर सकता है। विशेषकर तब जब हरियाणा विधानसभा द्वारा अपना स्वयं का आधिकारिक एम्बलेम (प्रतीक चिन्ह) बनाया गया है जोकि हालांकि देखने में हुबहू प्रदेश सरकार जैसा नजर आता है, परन्तु उसमें हरियाणा सरकार के स्थान पर हरियाणा विधानसभा का उल्लेख किया गया है। दुर्भाग्यवश आज तक न तो विधानसभा सचिवालय और ना ही प्रदेश सरकार द्वारा उस पत्र का कोई जवाब दिया गया है।
एडवोकेट हेमंत कुमार की मानें तो इस मामले में महामहिम राज्यपाल महोदय को स्पष्ट करना चाहिए कि कौन हरियाणा सरकार का लोगो इस्तेमाल कर सकता है और किसको हरियाणा विधानसभा का लोगो इस्तेमाल करना चाहिए।

अब देखना यह है कि राज्यपाल और सरकार इस मामले में क्या कदम उठाते हैं?


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