Non-HCS से IAS के बाद अब HCS से IAS बने अधिकारियों को भी मिला मौका
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
Chandigarh, 9 सितंबर: ऐसा सुनने और पढऩे में भले भी आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु सत्य यही है कि हरियाणा में कोई प्रशासनिक अधिकारी जो अपने सेवा करियर के दौरान ना उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) अर्थात SDO (सिविल), जिसे उपमंडलाधीश अर्थात SDM भी कहा जाता है और न ही अतिरिक्त उपायुक्त अर्थात ADC जिसे अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) भी कहते हैं अर्थात उक्त दोनों पदों पर कभी तैनात नहीं रहा हो, वह भी किसी जिले का उपायुक्त अर्थात डिप्टी कमिश्नर (DC) तैनात हो सकता है। लेकिन ऐसा कर दिखाया हाल ही में IAS प्रमोट हुए सतपाल शर्मा ने जिनको कि पंचकूला जिले का उपायुक्त (DC) एवं साथ-साथ माता मनसा देवी पूजास्थल बोर्ड का मुख्य प्रशासक तैनात किया गया है
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट और प्रशासनिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार के मुताबिक जब भी कोई व्यक्ति IAS अधिकारी बनता है, बेशक वह UPSC द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित आल इंडिया सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर अर्थात सीधी भर्ती में चयनित होकर IAS बना हो अथवा प्रदेश सिविल सेवा (HCS)से प्रमोट होकर या गैर-राज्य सिविल सेवा (Non-HCS) कोटे से चयनित होकर IAS बना हो, उसकी यही चाह होती है कि वह जल्द ही अपने प्रदेश के किसी जिले का DC तैनात हो।
शनिवार 6 सितम्बर को हरियाणा सरकार द्वारा डेढ़ दर्जन IAS अधिकारियों के सम्बन्ध में किये गए ताजा तैनाती-तबादला आदेश में गत माह 4 अगस्त को हरियाणा सिविल सेवा (HCS) एग्जीक्यूटिव ब्रांच -EB से IAS में प्रमोट हुए 15 अधिकारियों में से एक सतपाल शर्मा जिन्हें 21 अगस्त को IAS का 2017 बैच वर्ष (सेनिओरिटी/वरिष्ठता) अलॉट किया गया, को पंचकूला जिले का उपायुक्त (DC) एवं साथ-साथ माता मनसा देवी पूजास्थल बोर्ड का मुख्य प्रशासक तैनात किया गया है। शर्मा इससे पूर्व पंचकूला सहित हरियाणा शहरी विकास प्राधिकारण (HSVP) में बतौर प्रशासक (मुख्यालय) के पद पर तैनात थे।
बहरहाल, दिसम्बर-2002 में ेहरियाणा में तत्कालीन सत्तासीन ओपी चौटाला सरकार के दौरान ग्रुप C कर्मचारी वर्ग के कोटे से सतपाल शर्मा को सीधे HCS अधिकारी नोमिनेट (मनोनीत) किया गया था। ज्ञात रहे कि तब इसके लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने की कोई व्यवस्था नहीं थी, तब से गत माह अगस्त-2025 तक अर्थात उनके IAS अधिकारी के तौर पर प्रमोशन तक वह हरियाणा में वैसे तो प्रदेश सरकार के कई विभागों एवं बोर्ड/निगमों में उच्च प्रशासनिक पदों पर तैनात रहे। हालंकि वह कभी किसी सब-डिवीजन में बतौर SDM या किसी जिले में बतौर ADC तैनात नहीं रहे थे।
इस विषय पर एडवोकेट हेमंत का कहना है कि हालांकि सर्विस करियर दौरान SDM और ADC तैनात रहे बगैर DC पद पर पोस्टिंग में कुछ गलत नहीं है। हालांकि सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था अनुसार हर HCS कैडर अधिकारी, बेशक वो हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) द्वारा आयोजित ओपन परीक्षा उत्तीर्ण में चयनित होकर HCSअधिकारी नियुक्त हुआ हो या तहसीलदार/DRO कोटे या ग्रुप C कर्मचारी वर्ग अथवा DDPO /BDPO कोटे से नोमिनेट या प्रमोट आदि होकर एचसीएस अधिकारी बना हो, वह अपने सेवा करियर दौरान कभी न कभी प्रदेश में किसी उपमंडल का SDM या किसी जिले में बतौर ADC/ADM तैनात अवश्य रहता है। सतपाल शर्मा संभवत: प्रदेश सरकार की अफसरशाही में इकलौते ऐसे अधिकारी होंगे जो अपने HCS की दो दशक से ऊपर सर्विस दौरान उक्त दोनों पदों पर तैनात नहीं रहे।
यहां तक कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर IAS में चयनित होकर नियुक्त हुए अधिकारियों को भी अपने सेवा करियर के पहले चार वर्षो तक SDM और उसके बाद दो-तीन वर्षो तक जिले का ADC तैनात किया जाता है जिसके बाद अर्थात IAS में आने के कम से कम सात से आठ वर्षो के बाद ही उन्हें किसी जिले का DC तैनात किया जाता है।
इसी बीच हेमंत ने यह भी बताया कि हालांकि Non-HCS (गैर-राज्य सिविल सेवा) कोटे से सीधे IAS में चयनित होकर सीधे IAS बने अधिकारियों में ऐसे कई उदाहरण अवश्य हैं जब इस प्रकार से IAS बने अधिकारियों को प्रदेश में SDM या ADC तैनात किये बगैर नियुक्ति के एक-दो या कुछ वर्षो बाद जिला DC के तौर पर पोस्टिंग दे दी गई हो, परन्तु आज तक HCS से IAS में प्रमोट होने वाले सतपाल शर्मा ऐसे संभवत: इकलौते अधिकारी हैं जिन्हें अपने सर्विस करियर दौरान SDM या ADC रहे बगैर जिला उपायुक्त पद पर तैनाती का गौरव प्राप्त हुआ हो।