रिटायर्ड महिला IAS अधिकारी को हरियाणा पुलिस शिकायत अथॉरिटी में नियुक्त किया गया सदस्य
हरियाणा पुलिस अधिनियम अनुसार अथॉरिटी में कम से कम एक महिला होनी आवश्यक
कानून की धारा 59 की अनुपालना अनुसार नियुक्ति आदेश में राज्यपाल नहीं बल्कि मुख्यमंत्री का होना चाहिए उल्लेख: हेमंत
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Chandigarh, 18 सितंबर: हरियाणा सरकार के गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा द्वारा 2005 बैच की एक रिटायर्ड महिला IAS अधिकारी सुमेधा कटारिया को हरियाणा की प्रदेश स्तरीय पुलिस शिकायत अथॉरिटी का सदस्य नियुक्त किया गया है जिनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। गत् माह 8 अगस्त को 1989 बैच के रिटायर्ड IPS अधिकारी डॉ. आरसी मिश्रा को हरियाणा पुलिस शिकायत अथॉरिटी का चेयरपर्सन जबकि 2014 बैच के रिटायर्ड IAS अधिकारी ललित सिवाच को अथॉरिटी का सदस्य नियुक्त किया गया था। इन दोनों पदाधिकारियों ने 11 अगस्त को कार्यभार संभाल संभाला था।
बता दें कि गत् 28 अगस्त को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और प्रशासनिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, गृह विभाग की ACS और अन्य आला अधिकारियों, प्रदेश के एडवोकेट जनरल, विधि परामर्शी (LR) आदि को लिखकर हरियाणा प्रदेश पुलिस शिकायत अथॉरिटी में एक महिला सदस्य की तत्काल नियुक्ति किये जाने का मामला उठाया था।
एडवोकेट हेमंत कुमार ने हरियाणा पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 59(2)(C) के परन्तुक का हवाला देते हुए लिखा था कि इस कानूनी प्रावधान अनुसार अथॉरिटी में चेयरपर्सन के अतिरिक्त अधिकतम तीन सदस्य हो सकते हैं जिसमें हालांकि एक महिला मेम्बर होनी अनिवार्य है। वहीं अगर अथॉरिटी की चेयरपर्सन महिला होती है तो महिला सदस्य की कानूनी आवश्यकता नहीं होगी। साढ़े चार वर्ष पूर्व अप्रैल, 2021 में जब पिछली हरियाणा प्रदेश पुलिस शिकायत अथॉरिटी का गठन किया गया था तो उसमें पूर्व IAS अधिकारी नवराज संधू को चेयरपर्सन जबकि रिटायर्ड IAS आरसी वर्मा और रिटायर्ड IPS केके मिश्रा को सदस्य नियुक्त किया गया था। चूंकि तब चेयरपर्सन नवराज संधू महिला थी इसलिए अथॉरिटी में महिला सदस्य की नियुक्ति न होने से उक्त कानूनी प्रावधान की अवहेलना नहीं हुई थी।
हेमंत ने अपने अभिवेदन में दिसम्बर-2024 में UT चंडीगढ़ में पुर्नगठित स्टेट पुलिस शिकायत अथॉरिटी में भी एक महिला सदस्य की नियुक्ति होने का हवाला दिया था। चंडीगढ़ पुलिस शिकायत अथॉरिटी में हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जस्टिस कुलदीप सिंह को चेयरमैन जबकि हरियाणा कैडर की एक रिटायर्ड IAS धीरा खंडेलवाल और एक रिटायर्ड IPS अमरजोत सिंह गिल को सदस्य नियुक्त किया गया था।
बहरहाल, एडवोकेट हेमंत ने इस विषय पर एक अन्य रोचक परन्तु महत्वपूर्ण पॉइंट उठाते हुए बताया कि हरियाणा पुलिस शिकायत अथॉरिटी के सदस्य के तौर पर सुमेधा कटारिया के 17 सितम्बर को जारी नियुक्ति आदेश में भी हरियाणा के मुख्यमंत्री के स्थान पर गवर्नर (राज्यपाल) का उल्लेख किया गया है जोकि कानूनन सही नहीं है। गत माह 8 अगस्त को रिटायर्ड IPS डॉ. आरसी मिश्रा को अथॉरिटी का चेयरपर्सन एवं रिटायर्ड IAS ललित सिवाच को अथॉरिटी का सदस्य नियुक्त करने सम्बन्धी जारी आदेश में भी राज्यपाल का उल्लेख किया गया था। हालांकि हरियाणा पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 59(2)(C) जिसके अंतर्गत उक्त सभी पदाधिकारियों की नियुक्तियां की गई, में राज्यपाल की बजाय मुख्यमंत्री के शब्द का उल्लेख है जिस कारण प्रदेश सरकार के गृह विभाग द्वारा भी इनके नियुक्ति आदेश में भी कानूनन चीफ मिनिस्टर शब्द होना चाहिए। चूंकि किसी भी सरकारी आदेश में उसी शब्द का प्रयोग किया जा सकता है जैसा कि सम्बंधित कानून में स्पष्ट उल्लेख हो, उससे अलग नहीं।
गौरतलब है कि डॉ. आरसी मिश्रा की हरियाणा पुलिस शिकायत अथॉरिटी में चेयरपर्सन पद पर नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। चूंकि सितम्बर- 2006 के सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश में पुलिस सुधार पर दिये गए ऐतिहासिक निर्णय -प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में दिए गए निर्देशानुसार प्रदेशस्तरीय पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी में चेयरपर्सन के तौर पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की नियुक्ति करने का उल्लेख है जिसका चयन प्रदेश के सम्बंधित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से राज्य सरकार को भेजे गए पैनल में से सरकार द्वारा किया जा सकता है। हालांकि दोनों अथॉरिटीज में सदस्यों के तौर पर रिटायर्ड IAS और IPS अधिकारी नियुक्त किये जा सकते है।