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फरीदाबाद नगर निगम का हाल कहीं पंचकूला की तरह ही ना हो जाए..!

पंचकूला नगर निगम ने रचा इतिहास, हाईकोर्ट के हस्तक्षेप बावजूद नहीं बन सके सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर…
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
पंचकूला/फरीदाबाद, 1 दिसंबर:
ऐसा सुनने और पढऩे में भले ही आश्चर्यजनक प्रतीत हो, परन्तु सच यही है कि पंचकूला नगर निगम ने प्रदेश के इतिहास में एक प्रकार का अजीबोगरीब रिकॉर्ड बना लिया है। मौजूदा निगम सदन जिसका कार्यकाल अब केवल आगामी करीब डेढ़ महीना ही शेष है, में आज तक सीनियर डिप्टी मेयर (वरिष्ठ उप महापौर) और डिप्टी मेयर (उप-महापौर) दोनों पदों के लिए निर्वाचन नहीं हो सका है।
ओर ऐसा ही कुछ हाल हो सकता है फरीदाबाद नगर निगम का भी। बता दें कि फरीदाबाद नगर निगम के चुनाव 2 मार्च, 2025 को हुए थे और चुनाव परिणाम 12 मार्च को आ गया था तथा नव-निवार्चित मेयर और पार्षदों को राज्यस्तरीय समारोह में पंचकूला में ही 25 मार्च को एक साथ शपथ दिलाई गई थी। यानि चुनाव के 8 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, बावजूद इसके यहां केन्द्र व प्रदेश सरकार के तीन मंत्रियों की आपसी खींचतान के चलते जहां सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं हो सका है, वहीं इसी के चलते फाईनैंस कमेटी भी नहीं बन पाई हैं जिससे विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि 11 अगस्त को सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर और फाईनैंस कमेटी के मेंबर्स बनाने के लिए नगर निगम कमिश्रर ने मीटिंग तो बुलाई थी, लेकिन इन पदों पर अपने-अपने समर्थकों को बिठाने के लिए जो राजनैतिक खींचतान चली, उसके चलते आज तक भी इनके चुनाव नहीं हो पाए जबकि भाजपा हाईकमान ने इस मामले को सुलझाने के लिए मंत्री कृष्णपाल पंवार को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था, लेकिन वो भी कुछ नहीं कर पाए। अब देखना यह है कि कहीं पंचकूला नगर निगम की तरह ही कहीं फरीदाबाद निगम का हाल ना हो जाए।
हालांकि पंचकूला नगर निगम में उपरोक्त दोनों पदों का चुनाव कराने में हो रहे अत्याधिक विलंब के विषय पर गत् वर्ष 2024 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक रिट याचिका के जवाब में हरियाणा सरकार द्वारा सितम्बर, 2024 तक चुनाव कराने का आश्वासन देने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 24 जुलाई 2024 को मामले का निपटारा कर दिया था। परन्तु उसके बावजूद न ही उपरोक्त समय अवधि तक और न ही उसके बाद निर्धारित की गई पिछले वर्ष नवम्बर माह की संशोधित तारीख तक निगम के दोनों पदों का निर्वाचन संभव हो सका। नवम्बर में तो निगम की जॉइंट कमिश्नर जो चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) थी, के अचानक बीमार पडऩे पर निर्वाचन टाल दिया गया, जिस पर विपक्षी कांग्रेस ने सवाल भी उठाये थे।
बहरहाल, इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एवं म्युनिसिपल कानून जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि दिसम्बर, 2020 में अम्बाला, पंचकूला और सोनीपत तीनों नगर निगमों के एक साथ आम चुनाव करवाए गये थे जिसमें इन तीनों में मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष/सीधे तौर पर सम्बंधित निगम क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा किया गया था।
पंचकूला नगर निगम के कुल 20 वार्डों में भाजपा के 9 और उसकी तत्कालीन सहयोगी जजपा के 2 अर्थात हरियाणा में तत्कालीन सत्ताधारी गठबंधन के कुल 11 नगर निगम सदस्य जीते थे जबकि कांग्रेस के 7 और 2 अन्य/निर्दलीय विजयी रहे थे जो दोनों बाद में भाजपा में शामिल हो गए।
बहरहाल, 5 जनवरी 2021 को पंचकूला नगर निगम के प्रत्यक्ष निर्वाचित मेयर भाजपा के कुलभूषण गोयल को अम्बाला डिवीजन की तत्कालीन मंडल आयुक्त दीप्ति उमाशंकर द्वारा पद और निष्ठा की शपथ दिलाई गयी। हालांकि पंचकूला नगर निगम के सीनियर डिप्टी और डिप्टी मेयर का चुनाव आज तक लंबित रहा है। हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में सीनियर डिप्टी और डिप्टी मेयर का निर्वाचन कराने सम्बन्धी समय सीमा का उल्लेख नहीं है। हालांकि हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 में ऐसा नव-निर्वाचित निगम सदन के 60 दिनों के भीतर है।
वहीं एडवोकेट हेमंत ने एक रोचक परन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी सांझा करते हुए बताया कि वर्ष 2019 में प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 जो प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों पर लागू होता है, में डाली गई नई धारा 18ए के अनुसार उनके आम चुनाव में नव-निर्वाचित अध्यक्ष एवं वार्ड सदस्यों (जिन्हे आम भाषा में पार्षद कहा जाता है हालांकि यह शब्द हरियाणा म्युनिसिपल कानून में नहीं है) की राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्वाचन नोटिफिकेशन के अधिकतम छ: माह के भीतर उन सभी नगर निकायों में उपाध्यक्ष (वाईस प्रेजिडेंट) का चुनाव होना कानूनन आवश्यक है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उपरोक्त छ: माह की अवधि समाप्त होने पर सम्बंधित नगर निकाय अर्थात नगर परिषद या नगर पालिका को तत्काल प्रभाव से विघटित (भंग) समझा जाएगा।
हेमंत का कानूनी मत है कि ठीक इसी प्रकार का प्रावधान हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में भी डाला जाना चाहिए। चूंकि हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 में नगर निगम गठन के 60 दिनों के भीतर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कराने का उल्लेख प्रभावी नहीं रहा है।



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