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नए साल में करें नए संस्कारों का सृजन: ब्रह्माकुमारी पूनम

नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 29 दिसंबर:
नया साल अर्थात हमें नए साल की शुरुआत स्वयं में परिवर्तन के साथ करनी है। हम नए साल में बहुत सी प्लानिंग करते हैं लेकिन प्लानिंग करते-करते यह भूल जाते हैं कि हमें स्वयं भी परिवर्तित होना है क्यूंकि जीवन में तब तक कुछ नहीं बदलता जब तक हम नहीं बदलते, देखा गया है कि हम सब कुछ बदलना चाहते हैं सिवाय खुद के लेकिन आने वाले वर्ष में हम स्वयं के लिए कुछ रूप-रेखा निर्धारित करें, स्वयं में परिवर्तन लाने के लिए सबसे पहले सकरात्मक शक्ति धारण करने की आवश्यकता पड़ती है। सकरात्मक शक्ति की उत्पत्ति सकरात्मक एवं शक्तिशाली विचारों से होती है जितना-जितना हम शक्तिशाली विचारों का चिंतन करते है तो हमारे मन की अवस्था भी शक्तिशाली होती है और शक्तिशाली मन से बुद्धि भी सही निर्णय करती है। इस प्रकार नए संस्कारों को स्वयं में धारण करने के लिए बुद्धि का शक्तिशाली होना आवश्यक है।
अक्सर देखा जाता है कि जब हम नए संस्कारों को धीरे-धीरे स्वयं में धारण करने लगते हैं तो पुराने संस्कार हम पर हावी होने लगते हैं और हमें स्वयं का परिवर्तन करने में कठिनाई अनुभव होती है और कई बार हम स्वयं से हार भी खा लेते हैं, लेकिन ऐसे में हमें कभी भी घबराना नहीं चाहिए बल्कि मन में ऐसे तूफानों का सामना करने के लिए स्वयं में दृढ़ता की शक्ति धारण करें।
प्रतिदिन कोई न कोई छोटा लक्ष्य सामने रखें जैसे आज का दिन मुझे सारा दिन खुशी में रहना है। चाहे कोई भी बात सामने आए आज का पूरा दिन मुझे सकरात्मक रहना है। कैसी भी बात को सकरात्मक दृष्टिकोण से देखना है। मुझे किसी भी व्यर्थ बात में अपनी बुद्धि को नहीं उलझना है। परचिंतन नहीं करना है। मुझे किसी के लिए भी पूरा दिन गलत नहीं सोचना ह। सबके प्रति शुभभावना रखनी है। इस प्रकार पूरा दिन एक छोटे लक्ष्य को रखने से स्वयं में परिवर्तन की प्रक्रिया आसान प्रतीत होगी और नए संस्कारों के सृजन से आसानी से किसी लक्षय को प्राप्त कर सकेंगे। -ब्रह्माकुमारी पूनम


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