नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 18 मार्च: जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से दुखी श्री महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में इस बार रंगों की होली ना मनाने का निर्णय लिया गया है। यह जानकारी मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने प्रेस को जारी बयान में दी। उन्होंने बताया कि मंदिर में भगवान के भजनों एवं हवन यज्ञ के साथ फूलों की होली खेली जाएगी। यह त्यौहार भाईचारे का प्रतीक है। इसलिए मंदिर संस्थान में हरियाणा प्रदेश की अमन शांति के लिए पहले हवन यज्ञ किया जाएगा। इसके बाद भजन कीर्तन कर परंपरागत होली पर भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जाएगी। 23 मार्च बुधवार की शाम को 4 से 6 बजे तक मंदिर परिसर में गुलाब के फूलों की होली खेली जाएगी। इसके पश्चात मंदिर परिसर में होलिका दहन किया जाएगा।
श्री भाटिया ने कहा कि जाट आरक्षण के दौरान प्रदेश में हुई हिंसा से वह बेहद ही विचलित हैं। इस हिंसा में जिस प्रकार से जान माल की हानि हुई, वह दुर्भागयपूर्ण है। भविष्य में प्रदेश में इस प्रकार की हिंसा की घटना घटित ना हो, इसके लिए वह भगवान से प्रार्थना करते हैं। श्री भाटिया ने कहा कि हरियाणा में सदैव भाईचारा लोगों की प्राथमिकता रही है। मगर जाट आरक्षण के दौरान जिस प्रकार की हिंसा हुई है, वह प्रदेश के इतिहास की पहली घटना है। जिसे देखकर लगता है कि हरियाणा जैसे खुशहाल एवं शांतिपूर्ण प्रदेश को किसकी नजर लग गई है। श्री भाटिया ने कहा कि भाजपा सरकार एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने अल्प कार्यकाल में हरियाणा को विकास की पटरी पर लाने में सफलता हासिल की है। यह प्रदेश तरक्की की राह पर तेजी से अग्रसर हो रहा है। विदेशों से निवेश में लगातार इजाफा हो रहा है। संभतवय: यह विपक्षी लोगों को हजम नहीं हुआ और उन्होंने हरियाणा की शांति व भाईचारे के बीच नफरत की आग लगा दी। लेकिन प्रदेश के लोग इस शडयंत्र को भली भांति समझते हैं और आने वाले दिनों में हरियाणा में फिर से अमन चैन और विकास कायम होगा। उन्होंने सभी प्रदेश वासियों एवं जाट आंदोलन करने वालों से अपील की है कि वह अपनी मांग के साथ प्रदेश में शांति व्यवस्था एवं भाईचारे को बनाए रखें। श्री भाटिया ने शहर की सभी सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से यह भी अपील की है कि वह रंगों की होली खेलने की बजाए फूलों की होली खेंले।