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प्राईवेट स्कूल किताब, कॉपी, वर्दी व स्टेशनरी को बेचने में हर साल लाखों रूपये कमाते हैं

प्राईवेट स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही लगनी चाहिए: कैलाश शर्मा
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 29 मार्च: हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि प्राईवेट स्कूल प्रबंधक लूट खसोट व मनमानी का हर एक तरीका अपना कर छात्र, अभिभावक व अध्यापकों का जमकर आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं। हर साल टयूशन फीस व अपनी मर्जी से बनाए गए दर्जर्नो गैर कानूनी फंडों में तो वृद्धि करते ही हैं इसके अलावा किताब, कॉपी, वर्दी व स्टेशनरी को बेचने में भी हर साल लाखों रूपये कमाते हैं। हर साल नए शिक्षा सत्र के शुरूआत में यह कमीशन खाने का खेल शुरू हो जाता है। इस सबंध में एक एनजीओ द्वारा पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने चैयरमेन सीबीएसई व हरियाणा सरकार को इस विषय पर उचित कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए हैं। मंच ने भी चैयरमेन सीबीएसई को पत्र लिखकर स्कूलों की इस मनमानी की शिकायत है और स्थानीय जिला शिक्षा अधिकारी से मुलाकात कर उन्हें भी इस सबंध में ज्ञापन सौंप कर दोषी स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि सीबीएसई व हरियाणा शिक्षा नियमावली के नियमों के तहत प्राईवेट स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही लगानी चाहिए और छात्र व अभिभावकों को अपनी मर्जी से किताब कॉपी वर्दी स्टेशनरी बाहर से खरीदने की छूट होनी चााहिए लेकिन स्कूल प्रबंधक मोटा कमीशन खाने के चक्कर में प्राईवेट पब्लिशर्स की किताबें लगाते हैं इतना ही नहीं प्रत्येक साल किताबें बदल देते है ताकि छात्र अपनी किताबें बाद में अपने भाई बहन या किसी परिचित को न दे सकें स्लैबस बदल जाने की बात कह कर नई बुक्स का सेट थमा दिया जाता है। कुछ स्कूलों ने मंच की सख्ती के कारण अपने स्कूल के अंदर खुली किताब, कॉपी, स्टेशनरी की दुकान को अपने स्कूल के सामने शिफ्ट कर दिया है या अभिभावकों को एक ही निर्धारित दुकान से किताब कॉपी का सेट खरीदने के मौखिक/ लिखित आदेश जारी किए हैं। मंच के जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिव कुमार जोशी व सचिव डॉ० मनोज शर्मा ने बताया कि एनसीईआरटी की बुक्स का जो सेट 250 रूपये में आता है प्राईवेट पब्लिशर्स का वही सेट प्रेरेंटस को 3 से 6 हजार रूपये में दिया जाता है। कमीशन की रकम किताबों के दुकानदार और स्कूल प्रशासन में बराबर बट जाती है। 3-4 वर्ष के बच्चों का नसर्री में जहां दाखिला एक से डेढ़ लाख रूपये में किया जाता है। वहीं उनकी किताब कॉपी का सेट 2-3 हजार का होता है, किताब कॉपी के साथ स्कूल बैग का वजन मासूम छात्र के वजन से ज्यादा हो जाता है। स्कूल प्रबंधक छात्र को वहीं नोट बुक व कॉपी लेने के लिए कहते हैं जिन पर उनके स्कूल का नाम व लोगो होता है। इसी चक्कर में उसकी कीमत डबल हो जाती है। कैलाश शर्मा ने बताया कि सीबीएसई ने जुलाई 15 में सभी स्कूल प्रबंधकों को सरकूलर भेजकर कहा था कि प्राईवेट स्कूल प्राईवेट पब्लिशर्स की बुक्स की बजाय एनसीईआरटी की बुक्स पढ़ाएं शिक्षा नियमावली में भी यही नियम हैं। इसके अलावा स्कूल प्रबंधक जब सीबीएसई की मान्यता प्राप्त करते हैं तो उनके मान्यता पत्र में भी साफ लिखा जाता है कि वे अपने स्कूल में एनसीईआरटी कि ही किताबें लगाएंगे लेकिन स्कूल प्रबंध उपरोक्त किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। मंच ने दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्यवाही करने की मांग की है।

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