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चण्डीगढ़/फरीदाबाद, 20 अगस्त (महेश गुप्ता): हरियाणा में हुडा शॉपिंग सेंटरों में शॉप-कम-फ्लैट धारकों को बड़ी राहत देते हुए प्रदेश सरकार ने व्यवसायिक गतिविधियों के लिए भवन का इस्तेमाल करने की स्वीकृति दे दी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शॉप-कम- फ्लैट को शॉप-कम-आफिस में तब्दील करने की नीति को स्वीकृति देेते हुए प्रदेश भर में हजारों एससीएफ धारकों को राहत दी है। पिछले करीब डेढ़ दशक से इस मामले को उठा रहे हुडाधारकों द्वारा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री श्रीमती कविता जैन के माध्यम से अपनी मांग उठाई गई थी, जिसे मंजूरी दिए जाने के बाद एससीएफ धारकों में खुशी की लहर है।
गौरतलब रहे कि करीब छ: महीने पहले ऑल हरियाणा हुडा शॉपकीपर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शहरी स्थानीय निकाय मंत्री श्रीमती कविता जैन से मुलाकात की थी। एसोसिएशन के लीगल एडवाइजर ने बताया था कि हुडा शॉपिंग सेंटरों में शॉप-कम-फ्लैट (एससीएफ) धारकों को इसके व्यवसायिक उपयोग के लिए उनके भवन को पूरी तरह से व्यवसायिक गतिविधि चलाने मसलन शॉप-कम-आफिस (एससीओ) के तौर पर उपयोग करने की मंजूरी दी जाए। इसके लिए उन्होंने बड़े शहरों में एससीओ से होने वाले फायदे पर भी जानकारी दी गई। श्रीमती कविता जैन के प्रयासों से एसोसिएशन पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात के लिए चंडीगढ में समय दिलाया गया, ताकि वह मुख्यमंत्री को अपने प्रस्ताव से आश्वस्त कर सकें। इस लंबित मांग की जानकारी तथा प्रस्ताव पर प्रेजेंटेशन लेने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।
श्रीमती कविता जैन ने बताया कि सरकार ने अब एससीएफ को एससीओ में तब्दील करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे प्रदेश भर में 1173 एससीएफ धारकों को फायदा पहुंचेगा। इसके लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने अपनी 111वीं बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगा दी है। मंत्री ने बताया कि शॉप कम फ्लैट (एससीएफ) को शॉप कम आफिस (एससीओ) में बदलने के लिए क्षेत्र के अनुरूप दर निर्धारित की गई है। उच्च संभावित क्षेत्र के लिए 16 हजार रूपए प्रति वर्ग मीटर दर निर्धारित की गई है, जबकि अति उच्च संभावित क्षेत्र में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी, मध्यम एवं कम क्षमता संभावित क्षेत्र में 20 से 40 प्रतिशत की दर में कमी की जाएगी। एससीओ के लिए एससीएफ के ग्राउंड तल का अधिकृत क्षेत्र ही प्रथम एवं द्वितीय तल पर व्यवसायिक करवाने तथा बढाने की अनुमति होगी। इसके अतिरिक्त होने वाले किसी भी निर्माण को संपदा अधिकारी अपनी देखरेख में तोडऩे के लिए न केवल अधिकृत होंगे, अपितु रिकवरी भी करेंगे।