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फरीदाबाद, 5 सितंबर (नवीन गुप्ता): सत्संग का मतलब ज्ञान चर्चा, भजन तथा ध्यान होता है। तीनों चीजों का समावेश व्यक्ति को मानसिक संतुष्टि देता है। सत्संग से ही व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इसीलिए मानव जीवन में सत्संग जरूरी है। यह बात सैक्टर-16 स्थित किसान भवन में अध्यात्मिक संत श्रीश्री रविशंकर जी के परम शिष्य एवं आर्ट आफ लिविंग के शिक्षक आनंद देसाई ने आर्ट ऑफ लिविंग फरीदाबाद की ईकाई द्वारा आयोजित सत्संग समारोह से पूर्व पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।
देसाई ने कहा कि हमारे दिमाग में भी दाएं और बाएं दो तरफ बाजू होते हैं। जब हम तर्क करते हैं तब बायां दिमाग उसे ऊर्जा देता है और जब सजृनात्मक कार्य करते हैं तब दायां दिमाग काम करता है। जब मस्तिष्क में असंतुलन पैदा होता है तब व्यक्ति के दिमाग में तनाव पैदा होता है। जिसे हम मानसिक रूप के नाम से जानते हैं। इसके समायोजन के लिए सत्संग बहुत जरूरी है, क्योंकि 20 मिनट ध्यान करने वाला व्यक्ति अपने 8 घंटे की थकान को मिटा सकता है। एक प्रश्र के उत्तर में देसाई ने कहा कि हर व्यक्ति बचपन से ही ध्यानी होता है लेकिन उम्र के बढ़ते चरणों के साथ-साथ वह सामाजिक कार्यों में इतना विलिन हो जाता है कि वह ध्यान जैसी मुद्रा को ही भूल जाता है और तनाव जैसी बीमारियों को शरीर में आश्रय देता है। उन्होंने कहा कि ध्यान लगाने के लिए एकांत ही जरूरी नहीं बल्कि मन को संयमित कर ध्यान की प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है।
देसाई ने कहा कि ध्यान से आईक्यू पावर बढ़ती है। इसके द्वारा सही विचार सही समय पर आता है। नए आईडिया का सजृन होता है तथा मोटिवेशन की भावना को बल मिलता है।
इस अवसर पर जाट समाज के अध्यक्ष जेपीएस सांगवान ने संत का स्वागत करते हुए कहा कि संत समाज को नई राह और प्रेरणा दिखाते हैं। ध्यान और सत्संग से नई ऊर्जा का सृजन होता है। इसलिए ऐसे कार्यक्रमों में लोगों को बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।
इस अवसर पर संस्था के महासचिव एचएस मलिक, रमेश चौधरी, आरएस दहिया, बीआर नेहरा, जेपी मल्होत्रा, डा. लोहान तथा आर्ट ऑफ लिविंग इकाई की प्रशिक्षिका अनीता नेहरा तथा अनीता भाटिया सहित अनेक लोग उपस्थित थे।