हाईकोर्ट ने फीस बढ़ोतरी मामले में स्थानीय अदालतों की दखलंदाजी पर लगाई रोक
फर्जी पेरेंट्स एसोसिएशनों के नाम पर राजनीति करना चाहता है अभिभावक एकता मंच: एचपीएससी
चंडीगढ़/फरीदाबाद, 27 अक्टूबर: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) ने फीस बढ़ोतरी मामले में स्थानीय अदालतों के हस्तक्षेप पर रोक लगाते हुए इस मामले में अभिभावकों को स्कूलों की फीस जमा कराने के आदेश जारी किए हैं। माननीय हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि स्कूलों की निधार्रित फीस जमा कराकर अभिभावक रि-एडमीशन से बच सकते हैं। हाईकोर्ट के इन आदेशों के बाद से अभिभावक एकता मंच के उन स्वार्थी लोगों को भारी झटका लगा है जोकि अभी तक अभिभावकों को गुमराह कर उनसे प्राईवेट स्कूलों के खिलाफ केस डलवाने में लगे हुए थे। यह कहना है हरियाणा प्रोग्रेसेसिव स्कूल्ज कांफ्रेस (एचपीएससी) के प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाई तथा जिला अध्यक्ष सुरेश चन्द्र का।
एचपीएससी के इन पदाधिकारियों ने बताया कि फीस बढ़ोतरी को लेकर चंद अभिभावकों ने गुमराह होकर प्राईवेट स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ स्थानीय अदालतों में कुछ केस दायर कर दिए थे। इन केसों के आधार पर स्थानीय अदालतों ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर प्राईवेट स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ अपने आदेश भी पारित कर दिए थे। इस पर सेंट जॉन्स स्कूल, मार्डन स्कूल तथा डीएवी पब्लिक स्कूल बल्लभगढ़ आदि प्राईवेट स्कूल वालों ने अपने एडवोकेट मोहक भड़ाना के माध्यम से स्थानीय अदालतों के आदेशों के खिलाफ संबंधित अभिभावकों को पार्टी बनाकर माननीय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद माननीय हाईकोर्ट ने अभिभावकों को रि-एडमीशन से बचने के लिए एक मौका देते हुए उन्हें स्कूलों की फीस जमा कराने के आदेश जारी करते हुए स्थानीय अदालतों को ऐसे मामलों को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए दखलंदाजी ना करने के निर्देश जारी किए हैं। शहर में चंद शरारती तत्वों द्वारा खराब किए जा रहे प्राईवेट स्कूलों के माहौल को ठीक करने की दिशा में हाईकोर्ट का यह बहुत अच्छा कदम है।
गौरतलब रहे कि इससे पहले भी ग्रेंड कोलम्बस इंटरनेशनल स्कूल के एक मामले में अदालत ने अभिभावकों को केस चलने तक बढ़ी हुई फीस कोर्ट में जमा कराने के निर्देश जारी किए थे। इस पर उस अभिभावक ने बढ़ी हुई फीस अदालत में जमा कराने की बजाए स्कूल में ही जमा कराकर अपना केस ही वापिस की लिया था। इसके चलते उक्त अभिभावक को बहकाने वाले अभिभावक एकता मंच के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले शरारती तत्वों की काफी फजीहत हुई थी।
फीस बढ़ोतरी को लेकर नहर पार स्थित मार्डन डीपीएस के खिलाफ डाले गए एक मामले में तो माननीय आलोक आनंद की अदालत ने अपने फैसले में 30-07-2016 को माना है कि ऐसे मामले उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।
स्कूलों के पक्ष में फैसला सुनाकर हाईकोर्ट ने जो कदम उठाया है उसको प्राईवेट स्कूल तथा अभिभावकों के बीच मधुर संबंध बनाने की एक अच्छी पहल माना जा रहा है।
प्राईवेट स्कूल संचालकों का ब्लैकमेल करने का प्रयास करते हंै अभिभावक एकता मंच: एचपीएससी
एचपीएससी के उक्त पदाधिकारियों का कहना है कि शहर के प्राईवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी का नाम देकर चंद शरारती तत्व फर्जी पेरेंट्स एसोसिएशनों और अभिभावक एकता मंच के नाम पर कुछ स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों को मोहरा बनाकर प्राईवेट स्कूल संचालकों का ब्लैकमेल करने का प्रयास करते हंै। एडमीशन के दौरान किसी ना किसी स्कूल के सामने धरना-प्रदर्शन करने वाले इन शरारती तत्वों के खिलाफ हरियाणा प्रोग्रेसेसिव स्कूल्ज कांफ्रेस (एचपीएससी) ने भी कड़ा रूख अपना लिया है। एचपीएससी अब ऐसा करने वालों को कानूनी भाषा में जवाब देगी। एचपीएससी के इन पदाधिकारियों का कहना है कि अभिभावक एकता मंच फीस कम कराने का लालच देकर गिनती के दो-चार पैरेंट्स को गुमराह करके मंच के लोग फर्जी पेरेंट्स एसोसिएशन के नाम पर पिछले कई सालों से अपना राजनैतिक उल्लू साध रहे हैं।
श्री गोंसाई तथा सुरेश चन्द्र का कहना है कि वास्तव में ये लोग चंद अभिभावकों के कंधे पर बंदूक रखकर समाज में अपनी पहचान बनाते हुए भविष्य में नगर निगम के होने वाले चुनावों में चुनाव लड़कर पार्षद बनना चाहते हैं। इस बात का खुलासा ये मंच के लोग स्वयं पिछले दिनों तेरापंथ भवन में हुई अपनी हल्ला बोल रैली में कर चुके है कि उन्हें नगर निगम के चुनावों में इस बार अभिभावक एकता मंच के बैनर तले कम से कम 20 पार्षद जिताने हैं। अपनी इस राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिए मंच के लोग भोले-भाले अभिभावकों के साथ अब ट्रैड यूनियनों का भी सहारा ले रहे हैं।
एचपीएससी के इन पदाधिकारियों का कहना है कि अभिभावक एकता मंच के पदाधिकारी वास्तव में चंद अभिभावकों को गुमराह कर उनके बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर इन्हें सस्ती शिक्षा ही दिलवानी है तो फिर ये सरकारी स्कूलों का स्तर सुधराने का प्रयास क्यों नहीं करते जिन सरकारी स्कूलों पर सरकार अरबों-करोड़ों रूपये का खर्च बच्चों को फ्री शिक्षा दिलाने के लिए करती है।